सांस लेना भी मुश्किल
औरंगाबाद कार्यालय : औरंगाबाद शहर की आबादी डेढ़ लाख से भी अधिक हो गयी है, लेकिन यहां न तो कोई पार्क है और नहीं कोई खुला मैदान, जहां लोग सुबह-शाम टहल सकें या व्यायाम कर सकें. लोगों फिलहाल टहलने व व्यायाम करने के लिए पुरानी जीटी रोड से पूरब दिशा में फार्म एरिया तक या […]
औरंगाबाद कार्यालय : औरंगाबाद शहर की आबादी डेढ़ लाख से भी अधिक हो गयी है, लेकिन यहां न तो कोई पार्क है और नहीं कोई खुला मैदान, जहां लोग सुबह-शाम टहल सकें या व्यायाम कर सकें. लोगों फिलहाल टहलने व व्यायाम करने के लिए पुरानी जीटी रोड से पूरब दिशा में फार्म एरिया तक या फिर पश्चिम दिशा में महाराणा प्रताप चौकी की तरफ जाते हैं. सुरक्षा के दृष्टिकोण से ज्यादातर लोग पुरानी जीटी रोड से होकर फार्म एरिया जाना पसंद करते हैं.
अहले सुबह चार बजे से सात बजे तक हर रोज सैकड़ों लोग टहलने व व्यायाम के लिए धर्मशाला चौक, सिन्हा कॉलेज मोड व टाउन इंटर काॅलेज होते हुए फार्म एरिया तक जाते हैं, लेकिन नगर पर्षद ने सुबह में फार्म एरिया की तरफ सैर करनेवाले लोगों के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर रख दी है.
नगर पर्षद द्वारा अदरी नदी के समीप ही कूड़ा-कचरा डाला जा रहा है. पूरे शहर का कचरा इसी जगह पर फेंका जा रहा है. इस कचड़े में मरे हुए पशु भी होते हैं. कचरे व मरे हुए पशुओं के सड़ने से दुर्गंध निकल रही है. इस दुर्गंध से पुरानी जीटी रोड से होकर गुजरने वाले हर व्यक्ति परेशान हैं, लेकिन सबसे अधिक परेशानी सुबह में सैर करनेवालों की हो रही है, जो स्वच्छ हवा के लिए अपने घर से बाहर निकलते हैं.
वे जैसे-जैसे शहर की पूरब दिशा में बढ़ते हैं, दुर्गंध के कारण नाक पर गमछा, रूमाल या तौलिया डालते हुए नगर पर्षद को कोसते हुए चले जाते हैं. इस दुर्गंध से परेशान लोगों ने इस दिशा में सैर करना बंद कर दिया है. आज आलम यह है कि आज इक्के दुक्के लोग ही पूरब दिशा में जाते दिखते हैं.