नहीं बनी सड़क, तो मुहल्ले के लोग करेंगे आंदोलन
-अधिकारियों व जनप्रतिधियों को जानकारी देने के बावजूद नहीं करायी गयी मरम्मत -पैदल चलने में भी लोगों को हो रही परेशानी औरंगाबाद (ग्रामीण) : स्वस्थ व सूखी जीवन के लिए बुनियादी सुविधाओं का सशक्त होना बेहद जरूरी है. जीवन जीने के लिए जितना आवश्यक रोटी, कपड़ा और मकान का है, उससे कम सड़क का नहीं […]
-अधिकारियों व जनप्रतिधियों को जानकारी देने के बावजूद नहीं करायी गयी मरम्मत
-पैदल चलने में भी लोगों को हो
रही परेशानी
औरंगाबाद (ग्रामीण) : स्वस्थ व सूखी जीवन के लिए बुनियादी सुविधाओं का सशक्त होना बेहद जरूरी है. जीवन जीने के लिए जितना आवश्यक रोटी, कपड़ा और मकान का है, उससे कम सड़क का नहीं है.
सड़क से ही यातायात की सुविधा प्राप्त होती है. लेकिन, वही सड़क जब जान के साथ खिलवाड़ करने लगे तो ऐसे व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न खड़ा होना स्वाभाविक है. वैसे सड़कों को सुदृढ बनाने व आम-आवाम को बेहतर सड़क संपर्क से जोड़ने के लिये केंद्र व राज्य सरकार पानी की तरह रुपये बहा रही है. लेकिन, इसका फायदा आम लोगों को कितना हो रहा है, इसका उदाहरण शाहपुर-यमुनानगर पथ से मिलता है.
रामलखन सिंह यादव कॉलेज से लेकर कामा बिगहा मोड़ तक की सड़क पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. वाहनों के आवागमन से उड़ती धूल लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है. सच कहा जाये तो धूल बीमारियों को आमंत्रित कर रही है. वर्ष 2009 में सड़क का निर्माण कराया गया था, उस वक्त लोगों को काफी खुशी हुई थी कि उनकी वर्षों की मांग व मुराद पूरी हो रही है. लेकिन, सड़क बनने के कुछ ही दिन बाद टूट कर बिखड़ने लगी. टूट कर बिखरने का कारण क्या है यह ग्रामीण कार्य प्रमंडल के पदाधिकारी ही जानते हैं. वैसे जनता के हितैषी बताने वाले जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी इस सड़क की ओर नही है.
अब तो स्थिति यह हो गयी है कि सड़क से लाभांवित होनेवाले लोग आंदोलन का मूड बना रहे हैं. बताते चलें कि इस पथ से होकर दर्जनों गांवों के लोग प्रतिदिन आवागमन करते हैं. देर रात तक इस पथ पर आवागमन जारी रहता है. इधर, इस संबंध में ग्रामीण कार्य विभाग प्रमंडल एक के कार्यपालक अभियंता श्याम मंगल रविदास ने बताया कि अभी फिलहाल सड़क का टेंडर नहीं हुआ है. सड़क का निरीक्षण किया जायेगा और फिर विभाग को रिपोर्ट सौंपी जायेगी.