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10 वर्ष में 7733 लाभुकों को मिला आवास, पैसे लेकर भी 73 ने नहीं शुरू किया काम

एफआइआर की लटक रही तलवार

ब्रजेश कुमार द्विवेदी, ओबरा

हर समाज के हर वर्ग के गरीब परिवारों को अपना घर उपलब्ध कराने में प्रधानमंत्री आवास योजना कारगर साबित हो रही है. लेकिन इस योजना की रफ्तार धीमी है. कई बड़े सवाल उठते रहे हैं. बावजूद हजारों लोगों का सपना साकार हो गया है. पॉजिटिव चीजे जब चर्चाओं में रहती है, तो निगेटिव का भी कहीं न कहीं थोड़ा बहुत रोल होता है. आवास योजना भी इसी ढर्रे पर चल रही है. एक-दो नहीं बल्कि सैकड़ों लाभुक ऐसे हैं, जिनकी आंखें आवास के इंतजार में पथरा गयी है. सरकारी बाबुओं और कार्यालयों का चक्कर काटते-काटते थक चुके है. हालांकि, अभी भी उनकी उम्मीदें जिंदा है. प्रभात खबर ने ओबरा प्रखंड में पिछले 10 वर्षों में आवास योजना के क्रियान्वयन की पड़ताल की. उन गरीब परिवारों से भी मुलाकात हुई, जो आवास के इंतजार में जैसे-तैसे झुग्गी-झोंपड़ी के सहारे समय काट रहे है. जल्द आवास उपलब्ध न होने की कसक भी नजर आयी. पड़ताल की शुरूआत प्रखंड कार्यालय से हुई. प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन की पड़ताल की गयी, तो पता चला कि 7733 लोगों को आवास का लाभ दिया गया. एक अरब 52 लाख 90 हजार रुपये आवंटित किये गये. लगभग तमाम लोगों ने आवास का निर्माण कराया. 7733 लाभुकों में 73 लाभुक ऐसे हैं जो पहली किस्त की राशि मिलने के बाद भी आवास का काम नहीं कराया. ऐसे लोगों को कई बार नोटिस भी दिया गया है. बीडीओ मो यूनुस सलीम ने बताया कि जिन 73 लाभुकों ने आवास का निर्माण नहीं कराया है उन्हें उजला व लाल नोटिस निर्गत किया गया. अंतिम चेतावनी दी गयी है कि अगर वे आवास का निर्माण नहीं करते हैं, तो उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जायेगी. आवास निर्माण के लिए सरकार द्वारा एक लाख 30 हजार रुपये की राशि उपलब्ध करायी जाती है. पहली और दूसरी किस्त के तौर पर 45-45 हजार और तीसरी किस्त के रूप में 40 हजार रुपये दिये जाते है. इसके पीछे कारण यह है कि कार्य में कोताही नहीं बरती जा सके. जानकारी मिली कि 18810 रुपये मजदूरी के तौर भी भुगतान किये जाने लगे है.

आवास के लिए महीनों से दौड़ लगे रहा सुमन चौधरी

प्रधानमंत्री आवास योजना को पाने के लिए सैकड़ों गरीब परिवार प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहा है. ओबरा देवी मंदिर के पीछे वाले इलाके में नट मुहल्ला के कई महादलितों को आवास का इंतजार है. इन्हीं में एक है रामबली चौधरी का पुत्र सुमन चौधरी. जैसे-तैसे पूरा परिवार गुजर-बसर कर रहा है. आवास योजना का लाभ पाने के लिए वह दर-दर भटक चुका है, लेकिन महीनों बीतने के बाद भी उसकी गुहार नहीं सुनी गयी. मिट्टी के झोंपड़ीनुमा मकान के सहारे परिवार के साथ रह रहा है. सुमन सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि ऐसे कई और भी सुमन है.

क्या कहते हैं अधिकारी

अभी चुनाव का समय है. एक जून को काराकाट लोकसभा क्षेत्र में चुनाव कराया जाना है. पूरा प्रशासनिक तंत्र उसी में लगा है. चुनाव बाद वंचित लाभार्थियों को चिह्नित करते हुए आवास उपलब्ध कराने की कोशिश की जायेगी.

मो यूनुस सलीम, बीडीओ

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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