भुखमरी के कगार पर पहुंचा 10 लोगों का एक परिवार
दुखद. शवदाह गृह के केयरटेकर को तीन वर्षों से नहीं मिला वेतन 16 अप्रैल को है उमेश डोम के बेटे व बेटी की शादी औरंगाबाद (ग्रामीण) : 16 अप्रैल को एक बेटी व एक बेटे की शादी है. वह दोनों की शादी एक साथ इसलिए कर रहा है कि एक ही खर्च में दोनों बच्चों […]
दुखद. शवदाह गृह के केयरटेकर को तीन वर्षों से नहीं मिला वेतन
16 अप्रैल को है उमेश डोम के बेटे व बेटी की शादी
औरंगाबाद (ग्रामीण) : 16 अप्रैल को एक बेटी व एक बेटे की शादी है. वह दोनों की शादी एक साथ इसलिए कर रहा है कि एक ही खर्च में दोनों बच्चों की शादी संपन्न हो जाये. यह तो सिर्फ उसकी सोच है.
सोच तभी साकार होगी,जब शादी में खर्च करने के लिए रुपये होंगे. लेकिन, रुपये की व्यवस्था होगी कैसी. तीन साल से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है. वह पदाधिकारियों व पार्षदों से गुहार लगाते थक गया, पर मिला तो सिर्फ आश्वासन. अब उसके बच्चों की शादी होगी तो कैसे. यह मामला जुड़ा है अदरी नदी में बने शवदाह गृह की रखवाली करनेवाले केयरटेकर उमेश डोम से.
मामला यह है कि लगभग 50 लाख रुपये की राशि से तीन साल पहले नगर पर्षद द्वारा अदरी नदी के पास शवदाह गृह का निर्माण कराया गया था. शवदाह गृह की देखरेख व शवों के अंतिम संस्कार में सहयोग करने के लिए बस पड़ाव महादलित टोले के उमेश डोम को केयरटेकर के रूप में नगर पर्षद द्वारा रखा गया था.
उस वक्त उसे प्रतिदिन के हिसाब से सरकारी मजदूरी महीने में भुगतान करने का भरोसा दिया गया था. 13 जुलाई, 2013 से केयरटेकर के रूप में नगर पर्षद द्वारा उसे रखा गया. मुख्य पार्षद व कार्यपालक पदाधिकारी ने उसकी मजदूरी को हर महीने भुगतान करने का आश्वासन दिया था, लेकिन 33 महीने हो गये.
अब तक पैसों का भुगतान नहीं हुआ. अभी तो उसको पता भी नहीं कि वह दिहाड़ी मजदूरी पर काम करता है कि मानदेय पर. जब नगर पर्षद को ही नहीं मालूम है, तो उसे कैसे मालूम होगा. शुक्रवार को प्रभात खबर प्रतिनिधि से अपना दुखड़ा सुनाते हुए उमेश ने पहले अपना घर दिखाया और फिर अपने परिवार की स्थिति बतायी. उसके पांच बेटियां और तीन बेटे हैं.
मां पहले ही गुजर चुकी है. पिता महेश और पत्नी मिल कर किसी तरह परिवार का भरण पोषण करते हैं. एक उम्मीद थी कि केयरटेकर की नौकरी के बाद परिवार का भरण-पोषण होगा, लेकिन नगर पर्षद के पदाधिकारियों व कुछ पार्षदों ने उसकी एक नहीं सुनी. रुपये के लिए नगर पर्षद का चक्कर काटते हजारों रुपये खर्च हो गये, लेकिन उसका भुगतान नहीं हुआ. बेटी मनीषा व एक बेटे की शादी 16 अप्रैल को होनी है.
लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च है. ऐसे में पैसे की सख्त जरूरत है. उमेश बताता है कि जब उसे केयरटेकर के रूप में रखा गया था, उस वक्त 162 रुपये रोज के हिसाब से महीने का भुगतान करने की बात कही गयी थी. आज 33 महीने हो गये, लेकिन भुगतान के नाम पर सिर्फ 4500 रुपये प्राप्त हुए हैं. परिवार की स्थिति बेहद खराब हो गयी है. एक तरफ बच्चों की शादी, तो दूसरी तरफ परिवार का भरण-पोषण भी करना है. न्याय की गुहार लगाते थक चुका हूं, सिर्फ आश्वासन ही मिला.
इओ व मुख्य पार्षद के बयान अलग-अलग : नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी विमल कुमार कहते हैं कि केयरटेकर की फाइल देखी जा रही है कि उसे कब नियुक्त किया गया है. क्या मानदेय निर्धारण है. फाइल देखने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी कि भुगतान कैसे हो. इधर, नगर पर्षद की मुख्य पार्षद श्वेता गुप्ता ने बताया कि कार्यपालक पदाधिकारी कहते हैं कि केयरटेकर रखना नियमानुकूल नहीं है. इसका भुगतान नहीं कर सकते हैं.
जब नियम ही नहीं था, तो रखा ही क्यों ?
एक तरफ नगर पर्षद से केयरटेकर के रूप में उमेश डोम को शवदाह गृह में रखा गया. शुरू में मानदेय भुगतान की बात कही गयी. अब 33 महीने हो गये हैं. जब मानदेय का भुगतान नहीं हुआ, तब मामला कुछ और ही सामने आ रहा है. नगर पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी केयरटेकर की फाइल को जानना चाहते हैं, तो दूसरी तरफ केयरटेकर को शवदाह गृह में रखना नियम के विरुद्ध है. जब केयरटेकर को शवदाह गृह में रखना ही नहीं था, तो रखा ही क्यों गया.
उसे मानदेय देने का ख्याली पुलाव क्यों पकाया गया. अब जब पैसे देने की बात आयी, तो नियम भी बन गये. रखने से पहले नियम को क्यों नहीं देखा गया. आज एक गरीब परिवार भुखमरी के कगार पर खड़ा है, तो इसका जिम्मेवार कौन है.
पहले भी जांच कर भुगतान की कही गयी थी बात
एक वर्ष पूर्व केयरटेकर को मानदेय भुगतान का मामला उठा था. मुख्य पार्षद ने कहा था कि तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी के स्थानांतरण के बाद वेतन भुगतान में परेशानी हो रही है.
नये कार्यपालक पदाधिकारी के पदभार ग्रहण करने के बाद केयरटेकर की फाइल को जांच कर भुगतान कर दिया जायेगा. यह मामला उस वक्त का है, जब नगर पर्षद में कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में शत्रुंजय मिश्रा थे. इनके जाने के बाद पुरुषोत्तम पासवान कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण किया. इनके जाने के बाद विमल कुमार ने कार्यभार संभाला.
यानी दो-दो कार्यपालक पदाधिकारियों के जाने के बाद भी केयरटेकर का भुगतान नहीं हुआ. इससे साफ पता चलता है कि केयरटेकर को भुगतान के नाम पर नगर पर्षद के कुछ पार्षद व मुख्य पार्षद सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं.