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13 को होगी सतुआनी, 16 से गूंजेगी शहनाई – लीड

13 को होगी सतुआनी, 16 से गूंजेगी शहनाई – लीडफ्लैग– धर्म-कर्म. 12 अप्रैल की देर रात खत्म हाे रहा खरमास.इंट्रो – खरमास खत्म होते ही शादी-विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. 13 को चैती छठ के दौरान सुबह में सूर्य को अर्घदान के साथ मेष संक्रांति व सतुआनी शुरू होगी. प्रतिनिधि 4 औरंगाबाद […]

13 को होगी सतुआनी, 16 से गूंजेगी शहनाई – लीडफ्लैग– धर्म-कर्म. 12 अप्रैल की देर रात खत्म हाे रहा खरमास.इंट्रो – खरमास खत्म होते ही शादी-विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. 13 को चैती छठ के दौरान सुबह में सूर्य को अर्घदान के साथ मेष संक्रांति व सतुआनी शुरू होगी. प्रतिनिधि 4 औरंगाबाद (नगर) इस बार मेष संक्रांति यानी सतुआनी 13 अप्रैल को होगी. 12 अप्रैल की देर रात खरमास खत्म हाे रहा है. 13 तारीख को दोपहर 12 बजे के बाद मेष संक्रांति का पुण्यकाल शुरू हो जायेगा, पर लोग स्नान-दान का कार्य सुबह से ही शुरू कर देंगे. साथ ही, 13 अप्रैल से ही नये शक संवत 1938 आरंभ हो जायेगा, जबकि उससे पहले आठ अप्रैल से नया संवत 2073 शुरू हो रहा है. शहर के अधिकांश ज्योतिषाचार्य 13 अप्रैल को सतुआनी मानने को लेकर एकमत हैं. इधर, चैती नवरात्र आठ तारीख को शुक्ल प्रतिपदा से शुरू हो रही है. ज्योतिषाचार्य चंद्रनरेश पांडेय ने बताया कि शुक्रवार को कलश स्थापना होने से यह नवरात्र कई गुना फलदायक माना जा रहा है. साथ ही सवार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. इस नवरात्र के बीच कई धार्मिक उत्सव भी होंगे. 12 अप्रैल को चैती छठ का सायंकालीन, तो 13 को प्रात:कालीन अर्घ होगा. 13 को ही सूर्य को अर्घदान के साथ मेष संक्रांति व सतुआनी शुरू होगी. 13 को सौर वर्ष के आरंभ होने से यह नवरात्र बहुत ही शुभप्रद है. इस तरह का योग कई वर्षों के बाद आया है.सृष्टि का आरंभ दिन है मेष संक्रांति मेष संक्रांति से नववर्ष का आरंभ माना जाता है इसे सौर वर्ष भी कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र में सौर वर्ष से बहुत सारी गणनाएं व मुहूर्त का विचार किया जाता है. इसी दिन से शकाब्द शुरू हो जाता है. मेष संक्रांति को सृष्टि का आरंभ दिन भी माना जाता है. वैशाख महीने का प्रात: स्नान भी इसी दिन से शुरू होता है. मिथिलांचल में इस दिन को जुड़ शीतल कहा जाता है. इस दिन लोग प्रात: उठ कर मस्तक पर जल से श्रेष्ठ जनो का आशिर्वाद भी लेते हैं. 15 को मनेगी रामनवमीज्योतिषाचार्य रामनरेश पांडेय व गुप्तेश्वर पाठक के अनुसार इसी नवरात्र के मध्य 15 तारीख को रामनवमी रामावतार, महानवमी व्रत पड़ रहा है.रामनवमी के शुभ दिन हनुमान जी को ध्वजादान करना विशेष पुण्यप्रद माना जाता है और सीताराम भगवान को का दर्शन भी रामनवमी के दिन विशेष महत्व रखता है. 16 तारीख को नवरात्र व्रत का पारण और मूर्ति विसर्जन का दिन बन रहा है. खरमास के बाद शुरू होंगे शादी विवाह16 तारीख से शहनाई की गूंज सुनाई पड़ेगी. खरमास के बाद शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. अप्रैल माह की 16 तरीख से 29 तक लगन है, मई में एक से चार तक लगन है. फिर जून में 27 व 29 को व जुलाई में एक से 14 तक लगन है. बीच-बीच में कुछ दिन के ब्रेक भी लगे हैं.

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