अध्यात्म व साधना का संगम नवरात्र

अध्यात्म व साधना का संगम नवरात्रभारतीय संस्कृति में नवरात्र की साधना का विशेष महत्वमौसम के साथ मनुष्य के शरीर में भी होता है परिवर्तन प्रतिनिधि 4 औरंगाबाद ग्रामीणकलश स्थापना, देवी दुर्गा की स्तुति, धूप-बत्तियों की सुगंध व सुमधुर घंटियों की आवाज नौ दिवसीय साधना के पर्व नवरात्र का चित्रण है. भारतीय संस्कृति में नवरात्र की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2016 12:00 AM

अध्यात्म व साधना का संगम नवरात्रभारतीय संस्कृति में नवरात्र की साधना का विशेष महत्वमौसम के साथ मनुष्य के शरीर में भी होता है परिवर्तन प्रतिनिधि 4 औरंगाबाद ग्रामीणकलश स्थापना, देवी दुर्गा की स्तुति, धूप-बत्तियों की सुगंध व सुमधुर घंटियों की आवाज नौ दिवसीय साधना के पर्व नवरात्र का चित्रण है. भारतीय संस्कृति में नवरात्र की साधना का विशेष महत्व है. चैत व आश्विन माह में पड़नेवाला नवरात्र अध्यात्म व साधना का संगम है. नवरात्र के दौरान रामायण,भागवत पाठ, अखंड कीर्तन जैसे धार्मिक अनुष्ठान होते हैं. यही कारण है कि नवरात्र के दौरान हर इनसान एक नये उत्साह से भरा हुआ दिखाई पड़ता है. सच तो यह है कि देवी दुर्गा की पवित्र भक्ति से भक्त को सुपथ पर चलने की प्रेरणा मिलती है. विद्वानों का मानना है कि नवरात्र के समय मौसम भी परिवर्तित होता है. ऐसी मान्यता है कि जब मौसम परिवर्तन होता है, तो मनुष्य के शरीर में भी बदलाव आने लगता है. यहां तक कि अध्यात्म की ओर उन्मुख व्यक्ति की सूक्ष्म आत्मा भी यह परिवर्तन महसूस करने लगती है, जो सकारात्मक होता है. वैसे, ईश्वर का आशीर्वाद मनुष्यों पर सदा ही बना रहता है, लेकिन कुछ विशेष अवसरों पर उनके प्रेम कृपा का लाभ अधिक मिलता है. ऐसे अवसरों को ही पावन पर्व नवरात्र कहा जाता है. हिंदुस्तान के ऋषि-मुनियों ने भी इस पर्व में साधना के महत्व पर बल दिया है. इसलिए कहा जाता है कि नवरात्र में अाध्यात्मिक तप अवश्य करना चाहिए. गणपति मंदिर के पुजारी मृत्युंजय पाठक ने बताया कि देवी पूजा से मन को शांति व परिवार में समृद्धि मिलती है. नवरात्र के दौरान भगवान राम ने रावण वध से पहले शक्ति पूजा की थी और लंका पर विजय प्राप्त किया था. भगवान कृष्ण के दिनचर्या में दुर्गा की उपासना शामिल थी. देवी की पूजा अनादि काल से होती आ रही है. देवी की साधना में इन बातों का ध्यान नवरात्र में मां दुर्गा की साधना करनेवाले लोगों कई बातों का ध्यान रखना होता है. विद्वान आचार्य विंध्याचल पाठक ने बताया कि एक ही घर में तीन शक्तियों की पूजा नहीं की जाती है. देवी पीठ पर वाद्य या शहनाई का वादन नहीं करें. भगवती दुर्गा का आह्वान बेलपत्र शाखा या त्रिशूल पर ही किया जाता है. देवी को केवल लाल कनेर व सुगंधित पुष्प ही प्रिय है. आराधना में सुगंधित पुष्प ही लें. नवरात्र में कलश स्थापना व अभिषेक केवल दिन में ही करें. मां भगवती की प्रतिमा पर हमेशा लाल वस्त्र रखें. साधक शारीरिक व मानसिक शुद्धि पर विशेष ध्यान दें. इस दौरान छल-प्रपंच से दूर रहें. नवरात्र के दौरान जो साधक रामायण या सुंदरकांड का पाठ करते हैं, वे भगवान राम व हनुमान जी की मूर्ति चौकी पर स्थापित करके उनका पूजन करें. नवार्ण मंत्र जप देवी मां के विग्रह के सामने लाल आसन पर बैठ कर लाल चंदन की माला से कम से कम दस हजार बार करें.

Next Article

Exit mobile version