खुद को बनाएं खुशहाल

जिलाधिकारी ने नशामुक्ति केंद्र के मरीजों की जानी मन की बात, कहा औरंगाबाद (सदर) : शराब की बुरी लत को छोड़नेवाले लोगों को दूसरा जन्म मिला है. आप खुशहाल रहें और अपने आनेवाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ समाज व खूबसूरत माहौल दे. उक्त बातें जिलाधिकारी कंवल तनुज ने नशामुक्ति केंद्र के मरीजों को संबोधित करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 24, 2016 12:23 AM
जिलाधिकारी ने नशामुक्ति केंद्र के मरीजों की जानी मन की बात, कहा
औरंगाबाद (सदर) : शराब की बुरी लत को छोड़नेवाले लोगों को दूसरा जन्म मिला है. आप खुशहाल रहें और अपने आनेवाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ समाज व खूबसूरत माहौल दे. उक्त बातें जिलाधिकारी कंवल तनुज ने नशामुक्ति केंद्र के मरीजों को संबोधित करते हुए कहीं. मौका था मरीजों की मन की बात जानने का, जिसे सुनने खुद जिलाधिकारी सदर अस्पताल स्थित नशामुक्ति केंद्र पहुंचे थे. नशा मुक्ति केंद्र में सोमवार को लगभग दर्जन भर मरीजों से मुखातिब होते हुए डीएम ने शराबबंदी के बाद उत्पन्न शराबियों की समस्या जानने का प्रयास किया.
मरीजों ने भी अपनी समस्याएं खुल कर डीएम के समक्ष रखी. लगभग 10 दिनों से केंद्र में इलाजरत दाउदनगर निवासी जितेंद्र कुमार ने डीएम से कहा कि शराब बंद होने से उसका अचानक से स्वास्थ्य बिगड़ गया था. लेकिन, जब लोगों ने इस केंद्र की जानकारी दी और जब यहां आकर इलाज कराया तो बहुत लाभ पहुंचा. अब तो किसी भी नशे की तरफ देखने का भी मन नहीं करता.
इलाजरत मरीज रिउर निवासी सत्येंद्र साव ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि शराब के बंद होने से पूरा शरीर प्रभावित हो गया था. कुछ काम करने का जी नहीं करता था. लेकिन, यहां इलाज के बाद फिर से स्वस्थ हो गया हूं. सत्येंद्र ने डीएम को यह भी बताया कि शराब के बाद अब लोगों ने नशा का दूसरा विकल्प भी चुन लिया है. लोग ताड़ी, लहरी, भांग और गांजा का सेवन करने लगने है,जो शराब की तरह ही हानिकारक है. इस पर जिलाधिकारी ने कहा कि इस तरह के नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री पर प्रतिबंध है.
उन्होंने कहा कि नशीली दवाएं मिला कर ताड़ी बेचनेवाले और उसका सेवन करनेवाले दोनों सतर्क हो जाये. साथ ही पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी व सेवन करनेवाले लोग भी अपनी आदत में सुधार लाएं. क्योंकि सरकार ने ऐसे प्रावधान भी लाया है, जिसके तहत उन पर सख्त कार्रवाई हो सकती है. कानून में इसके लिये पांच से 10 वर्ष या उम्र कैद की सजा, एक से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और फांसी तक की सजा निर्धारित है.
इस लिए इसके सेवन से बचें और लोगों को भी समझाएं कि वो इसका विरोध कर एक स्वस्थ समाज का निर्माण करें. डीएम ने चिकित्साकर्मी व मरीजों को कहा कि वे नशा करनेवाले लोगों को चिह्नित कर नशामुक्ति केंद्र लाएं ताकि उनका इलाज कर स्वस्थ किया जा सके. इस दौरान सीएस डाॅ आरपी सिंह, डीएस डाॅ राजकुमार प्रसाद, डाॅ कुमार महेंद्र प्रताप, चिकित्सा पदाधिकारी मिथिलेश कुमार सिंह, डीपीसी नागेंद्र दूबे सहित अन्य चिकित्साकर्मी उपस्थित थे.

Next Article

Exit mobile version