पेट दर्द की शिकायत पर भी कर दिया जाता है रेफर
कुव्यवस्था. सदर अस्पताल में मरीजों का नहीं हो रहा उचित इलाज! हर बार मौत होने पर तूल पकड़ता है मामला लेकिन कोई इंतजाम नहीं औरंगाबाद (सदर) : सदर अस्पताल की व्यवस्था से सभी वाकिफ हैं. फिर भी यहां इलाज कराना लोगों की मजबूरी है. यहां चिकित्सकों की लापरवाही से मरीजों की मौत का आंकड़ा कम […]
कुव्यवस्था. सदर अस्पताल में मरीजों का नहीं हो रहा उचित इलाज!
हर बार मौत होने पर तूल पकड़ता है मामला लेकिन कोई इंतजाम नहीं
औरंगाबाद (सदर) : सदर अस्पताल की व्यवस्था से सभी वाकिफ हैं. फिर भी यहां इलाज कराना लोगों की मजबूरी है. यहां चिकित्सकों की लापरवाही से मरीजों की मौत का आंकड़ा कम नहीं हो रहा है. मरीजों की मौत के मामले ने कई बार अस्पताल में तूल भी पकड़ा है, पर संवेदनहीन पदाधिकारी अस्पताल में इलाज की व्यवस्था ठीक करने की जवाबदेही नहीं समझते. तभी तो यहां चिकित्सकों की पर्याप्त नहीं दिखती और न ही मरीजों के इलाज की व्यवस्था. यही नहीं, अस्पताल में मरीजों को लेकर आये तिमारदारों के लिए भी कहीं ठहरने या रात गुजारने की उचित व्यवस्था नहीं दिखती.
सोमवार की देर रात सदर अस्पताल गया, तो देखा कि रात्रि प्रहरी कुरसी पर बैठ कर अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे थे. वहीं, चिकित्सक सरताज अहमद अस्पताल के गलियारे में चहलकदमी कर रहे थे और वार्ड में मरीज इलाज के लिए तड़प रहे थे. इधर, मरीज के साथ आये परिजन खुले में अस्पताल परिसर के बाहर जमीन पर ही लेटे हुए थे. अस्पताल में कोई शेड या छत नहीं होने के कारण तिमारदारों को खुले आसमान के नीचे सोना पड़ रहा है.
इस व्यवस्था पर जब मरीज के परिजनों से बात की गयी, तो जयराम कुमार, हेमंत कुमार, अनु कुमार, बिंदा प्रसाद, कमलेश प्रसाद, रमेश प्रसाद ,उपेंद्र गुप्ता व लड्डू आदि का कहना था कि मरीजों के बेड खाली पड़े हैं, लेकिन वहां मरीजों के साथ लेटना मना है. इसलिए अस्पताल के बाहर सो रहा हूं. अस्पताल में कोई व्यवस्था ही नहीं है, तो क्या करें.
इलाज के लिए आये मरीज को फौरन कर देते हैं रेफर : सदर अस्पताल में चिकित्सकों की कमी के कारण इलाज में लापरवाही की जा रही है. सोमवार की रात देखा गया कि लू लगे व पेट दर्द से छटपटा रहे मरीज को भी यहां के चिकित्सकों ने सीधे गया रेफर कर दिया. ऐसे करीब आधे दर्जन मरीज थे, जिन्हें चिकित्सक सरताज अहमद ने देखते ही फौरन रेफर कर दिया था, लेकिन जब मरीज के अन्य परिजनों की भीड़ सदर अस्पताल में पहुंची तो चिकित्सक को यह लगा कि सारे स्थानीय है और रेफर करना उचित नहीं होगा.
फिर जाकर नर्सों द्वारा मरीज को दवा देकर पानी चढ़ाते हुए सदर अस्पताल का एक बेड दिया गया. ऐसी स्थिति हर रात इस सदर अस्पताल में होती है. चिकित्सक दक्ष होकर भी अपने ऊपर कोई जवाबदेही नहीं लेना चाहते और सिविल सर्जन भी इस व्यवस्था को ठीक करने की कोशिश नहीं करते.