अच्छी बात. औरंगाबाद सदर अस्पताल के बदले माहौल से लोगों में खुशी
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तीन माह में 93 हजार मरीजों का इलाज
अच्छी बात. औरंगाबाद सदर अस्पताल के बदले माहौल से लोगों में खुशी डॉक्टरों की कमी के बावजूद सुधर रही व्यवस्था अब छोटी-छोटी बातों पर नहीं होता हंगामा औरंगाबाद (ग्रामीण) : कभी जिस सदर अस्पताल को रेफर का पुरजा थमाने के लिये जाना जाता था, आज उस अस्पताल की स्थिति सुधर रही है. बदलते हालात में […]
डॉक्टरों की कमी के बावजूद सुधर रही व्यवस्था
अब छोटी-छोटी बातों पर नहीं होता हंगामा
औरंगाबाद (ग्रामीण) : कभी जिस सदर अस्पताल को रेफर का पुरजा थमाने के लिये जाना जाता था, आज उस अस्पताल की स्थिति सुधर रही है. बदलते हालात में अब सैकड़ों मरीज हर दिन इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिनका पूरी ईमानदारी के साथ इलाज किया जा रहा है. हालांकि, चिकित्सकों की कमी आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था को चोट पहुंचा रही है. अस्पताल में पहले दवाओं के लिए आपाधापी होती थी.
मरीज सूई से लेकर रूई तक के लिए हंगामा कर रहे थे, लेकिन बदहाल व्यवस्था को अब पटरी पर ला दिया गया है. यही कारण है कि तीन माह में करीब 93 हजार मरीजों का इलाज यहां किया गया है. ये आंकड़े बताते हैं कि चिकित्सा व्यवस्था अब सुधर सी गयी है. इसके पीछे जो कारण हैं, वह हैं नये उपाधीक्षक डाॅ राजकुमार की नयी व्यवस्था, जिसे उन्होंने अपने तरीके से लागू किया है. चिकित्सक से लेकर चिकित्सा कर्मी तक बदली व्यवस्था से खुश है.
हालांकि, चिकित्सकों की कमी अब भी खल रही है. लेकिन, इसे भी पाटने की तैयारी की जा रही है. एक बात और यह है कि बदली व्यवस्था में बंद पड़े अल्ट्रासाउंड व एक्सरे व्यवस्था मरीजों को विचलित कर रही है. अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि जल्द ही इस समस्या को दूर कर लिया जायेगा.
ऑपरेशन के प्रति मरीजों का बढ़ रहा विश्वास : सदर अस्पताल को पहले सिर्फ सर्दी, खांसी, बुखार व डायरिया के इलाज के लिए जाना जाता था. लेकिन, अब यहां हर तरह के ऑपरेशन होने लगे हैं. हालांकि, इसमें अब भी यहां थोड़ी-कमी है. इसके बावजूद प्राइवेट क्लिनिकों में ऑपरेशन कराने की जगह सदर अस्पताल को भी अब मरीज के परिजन तरजीह देने लगे हैं. यही कारण है कि तीन माह में विभिन्न बीमारियों में 428 मरीजों का ऑपरेशन किया गया है. इसमें 10 सिजेरियन भी शामिल हैं.
प्रभावित करती है अस्पताल की व्यवस्था : सदर अस्पताल के जेनरल वार्ड में इलाज करा रहे सत्येंद्र कुमार, उषा देवी व किरण कुमारी ने बताया कि कई बार पहले भी सदर अस्पताल में इलाज करा चुके हैं. लेकिन, अब जो व्यवस्था है, वह प्रभावित करती है. मरीजों को इलाज के साथ भोजन की व्यवस्था भी ठीक है. बस कमी हैं तो गंभीर बीमारियों के इलाज का. सिजेरियन ऑपरेशन करा चुकी महिला सोन कुमारी ने बताया कि पहले परिजन किसी निजी क्लिनिक में ऑपरेशन कराने की बात कह रहे थे, लेकिन सदर अस्पताल के ही एक चिकित्सक के कहने पर यहां ऑपरेशन कराया है. अब स्थिति ठीक है. मरीजों के इन बातों से लगता है कि इस अस्पताल के प्रति अब विश्वास बढ़ रहा है.
ईमानदारी से इलाज कर रहे डॉक्टर
सदर अस्पताल की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा हूं. साफ-सफाई से लेकर मरीजों के इलाज के प्रति प्रबंधन जवाबदेह हैं. दवाओं की यहां कोई कमी नहीं है. चिकित्सक की कमी को भी जल्द दूर कर लिये जाने की संभावना है. चिकित्सक ईमानदारी के साथ मरीजों का इलाज कर रहे हैं और यही हम चाहते भी हैं. सभी का सहयोग पूर्ण रूप से मिल रहा है. जो भी कमियां हैं, उसे हम दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. मरीजों के लिए अल्ट्रासाउंड व एक्सरे की व्यवस्था भी जल्द मिलनी शुरू हो जायेगी.
डाॅ राजकुमार प्रसाद, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल
मार्च ओपीडी में 29940 मरीजों का इलाज
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