”बेटियों को बचाना सबकी जिम्मेवारी समाज के लोगों को आना होगा आगे”

वक्ताओं ने कहा-बेटियों की भागीदारी के बिना नहीं हो सकता समाज का विकास बारुण : प्रखंड क्षेत्र के धमनी पंचायत के खजुरी फार्म में ‘प्रभात खबर’ द्वारा ‘बेटी बचाओ अभियान’ के तहत परिचर्चा आयोजित की गयी. इसका उद्घाटन धमनी पंचायत के मुखिया उपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य प्रबंधक विकास रंजन, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बारुण के विकास कुमार, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2016 7:04 AM
वक्ताओं ने कहा-बेटियों की भागीदारी के बिना नहीं हो सकता समाज का विकास
बारुण : प्रखंड क्षेत्र के धमनी पंचायत के खजुरी फार्म में ‘प्रभात खबर’ द्वारा ‘बेटी बचाओ अभियान’ के तहत परिचर्चा आयोजित की गयी. इसका उद्घाटन धमनी पंचायत के मुखिया उपेंद्र सिंह, स्वास्थ्य प्रबंधक विकास रंजन, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बारुण के विकास कुमार, पंचायत समिति लल्लू ठाकुर व अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. परिचर्चा के दौरान राजदेव बैठा ने कहा कि समाज व परिवार में बेटियों की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. उन्होंने एक कविता भी सुनायी – ‘जब आती विपदा, तो न घबराती माता.
हर औलाद को सीने से लगाती है माता.’ जिस तरह महाभारत में द्रौपदी के चीर हरण होते वक्त श्रीकृष्ण ने लाज बचायी थी, उसी प्रकार हम सभी को भी आज बेटियों को बचाना है. ताकि, समाज को संतुलित कर सकें. जदयू नेता अशोक सिंह ने कहा कि जन्म लेने से पूर्व ही बेटी को मार दिया जा रहा है, क्या वो माता भूल गयी कि वो भी किसी की बेटी ही है.
बेटी पढ़ेगी, तो पूरा परिवार शिक्षित होगा. बबन राम ने कहा कि जब भगवान ने बेटों और बेटियों में भेदभाव नहीं किया. सभी के लिये सामान्य रूप से हवा, जल और भी अन्य प्राकृतिक चीजें दी हैं, तो हम क्यों भेदभाव कर रहे हैं. शिक्षक बबलू कुमार ने कहा कि आज बेटियों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है. शास्त्रों में लिखा गया कि बेटी ही जगत जननी है, फिर क्यों बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जा रहा है. ये महापाप है. ओलिंपिक में बेटियों ने ही परचम लहराया है और हमारे देश का नाम रोशन किया.
इसलिए उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ हर क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका दें. पंचायत समिति लल्लू ठाकुर ने कहा कि बेटियां सेवा भाव में सबसे प्रथम रहती हैं. बेटियों के बिना हमारे समाज का विकास नहीं हो सकता है. जब साइकिल से एक लड़की जाती थी, तब लोग हंसते थे. आज जब सारी लड़कियां साइकिल से जाती है, तो यह प्रवृति नहीं रही.
इसी तरह बेटियों को हर क्षेत्र में मौका मिलना चाहिए. पीएचसी के विकास कुमार ने कहा कि मानसिक बीमारियों से ग्रसित लोग ही बेटियों और बेटों में भेदभाव रखते हैं. समुंद्री देवी ने कहा कि बेटियों को शिक्षा देना अनिवार्य है. इसलिये उन्हें पढ़ने के लिये विद्यालय भेजें और पढ़ाई पर जोर डालें. संतोष गोप ने कहा कि हमें बेटों- बेटियों में एक समान नजर से देखना चाहिए. उप मुखिया धर्मजीत जी ने कहा कि बेटियों की शिक्षा पर दोर दें, ताकि वे आगे बढ़े, आधी रोटी खायेंगे, लेकिन बेटी को पढ़ायेंगे. स्वास्थ्य प्रबंधक विकास रंजन ने कहा कि किसी कार्यक्रम में ही बेटी बचाने को लेकर क्यों चर्चा की जाती है. आज प्रभात खबर को ये बीड़ा क्यों उठानी पड़ी ,कही न कही हमारे में कमी है, तभी आज ऐसी परिस्थिति बनी है.
आज इस परिचर्चा के दौरान हमे केवल बोलना नहीं है, बल्कि संकल्प लेना है कि बेटी को हीन दृष्टि से नहीं देखेंगे, जब हमारी माताएं मजबूत हो जायेंगी, तब कौन उसकी बेटी को मार सकता है. लेकिन, आज माताएं ही अपनी बेटियों को कोख में मार रही हैं. इससे बड़ा अधर्म नहीं है और इसके हम सब दोषी है. मुखिया उपेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा बहुत सारी योजनाएं चलायी गयी है, ताकि आज लड़कियां, महिलाएं सशक्त और स्वावलंबी बने. एक बेटी यदि शिक्षित होगी तो हमारा समाज आगे बढ़ेगा.
जब एक बेटा जन्म लेता है, तो केवल एक व्यक्ति जन्म लेता, वहीं जब एक बेटी जन्म लेती है तो पूरा परिवार जन्म लेता है. इसलिए भेदभाव और हीन की भावना को त्याग कर बेटी को अपनाएं.

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