मंदिरों में भगवान की मूर्ति पर चढ़ रहे बासी फूल

बाजार में बिक रहे कोल्ड स्टोर में रखे फूल ओम प्रकाश प्रीत औरंगाबाद : औरंगाबाद शहर में दर्जनों दुकानों पर भारी तादाद में फूलों की बिक्री होती है.मंिदरों में पूजा के लिए और खास मौकों पर सजावट के लिए फूलों की काफी डिमांड होती है़ राजनीतिक आयोजनों व चुनाव के वक्त भी फूलों की मांग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 14, 2016 8:00 AM
बाजार में बिक रहे कोल्ड स्टोर में रखे फूल
ओम प्रकाश प्रीत
औरंगाबाद : औरंगाबाद शहर में दर्जनों दुकानों पर भारी तादाद में फूलों की बिक्री होती है.मंिदरों में पूजा के लिए और खास मौकों पर सजावट के लिए फूलों की काफी डिमांड होती है़ राजनीतिक आयोजनों व चुनाव के वक्त भी फूलों की मांग बढ़ जाती है़ लेकिन, कम ही लोगों को जानकारी होगी कि, बाजार में मिलने वाला फूल कई दिनों पहले का बासी होता है़ यही बासी फूल भगवान को भी चढ़ता है़ यूं, तो कहा जाता है कि माली के हाथों मिलने वाले बासी फूल से भी भगवान नाराज नहीं होंगे, क्योंकि अपनी परंपरा में इन्हें ये छूट मिली हुई है.
हालांकि, पंडितों का कहना है कि भगवान को ताजे, बिना मुरझाये तथा बिना कीड़ों के खाये हुए फूल डंठलों सहित चढ़ाना बहुत प्रिय है. लेकिन, जब बाजार में ताजे फूल उपलब्ध ही नहीं हो पाते, तो ये कैसे संभव हो सकता है. सजावट के लिये इस्तेमाल में आने वाले फूल गुलाब, बेली, रजनीगंधा, सूर्यमुखी, गेंदा, चमेली , चंपा, घोड़ापता, ऑरकेट, ग्लेडी, डैजी, कमल व रातरानी हैं.
ये सारे फूल जो शहर के दुकानों में बिकते हैं, वो कोल्ड स्टोर में रखे 10 दिन तक के बासी होते हैं, जो दुकानों में आने के बाद दो-तीन दिन तक छाये में ठीक-ठाक स्थिति में रहते है. फूल विक्रेता त्रिमूर्ति मालाकार के मालिक आलोक कुमार मालाकार बताते हैं कि बाहर से आये फूल ऊंचे दाम पर मिलते हैं, इसलिए औरंगाबाद के बाजार में ये फूल दोगुने मूल्य पर बिकते हैं. गुलाब का फूल 200 से 250 रुपये सैकड़ा मिला करता है, जो 10 रुपये प्रति पीस बाजार में बिकते हैं.
वहीं गेंदा फूल जो अक्सर सजावट में ज्यादा इस्तेमाल होते हैं वो 1000 रुपये सैकड़ा लतर खरीदा जाता है, जो बाजार में 20 रुपये बिकता है. आलोक बताते हैं कि यहां के माली कोलकाता के कोल्ड स्टोर से माल की खरीदारी करते हैं और कुछ लोग डोभी के कोल्ड स्टोर में भी फूलों का स्टॉक करते हैं.
फूलों की खेती को दे रहे बढ़ावा
ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के सदस्य दीपक कुमार, राजू कुमार, विक्की कुमार बताते हैं कि औरंगाबाद जिले में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिये व्यावसायिक पुष्प उत्पादन का प्रशिक्षण लोगों को दिया गया है, अब तक संस्थान द्वारा लगभग 115 लोगों को फूलों की खेती के लिये प्रशिक्षित किया गया, जिसमें से लगभग एक दर्जन लोग सफल व्यवसाय के रूप में इसे अपनाये हैं. इन लोगों को बैंक से ऋण भी उपलब्ध कराया गया है. अच्छे फूल उपजाने के लिये कृषि विभाग के जानकारों द्वारा इन्हें ट्रेनिंग दी गयी है.
उन्होंने बताया कि आरसेटी से प्रशिक्षण प्राप्त कर कुटुंबा प्रखंड के घेउरा निवासी ओमप्रकाश भगत ,दधपा निवासी प्रदीप कुमार मालाकार, देव निवासी सुदेश्वर भगत, रफीगंज निवासी बेलाल अहमद,कौशलेंद्र कुमार पांडेय एवं सदर प्रखंड के खखड़ा निवासी श्रीकांत सिंह फूलों की खेती कर रहे है. जो विशेष अवसरों पर 50 से 60 हजार रुपये मासिक आय कर लेते हैं. दीपक कुमार ने बताया कि फूलों की खेती के लिये बैंक से मिलने वाले ऋण पर ब्याज पर छूट भी दी जाती है. प्रशिक्षण प्राप्त कर बेहतर खेती करने वालों की सक्सेस स्टोरी भी संस्थान द्वारा बनायी गयी है.
स्वरोजगार के लिए कर रहे प्रेरित
स्थानीय व्यवसायियों को आत्मनिर्भर व स्वरोजगार के लिये खेती का प्रशिक्षण समय-समय पर पंजाब नेशनल बैंक द्वारा संचालित ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से दिया जाता है. फूलों की खेती के लिये व्यवसायिक स्तर ऋण भी उपलब्ध कराये जा रहे है, जिन लोगों को ऋण उपलब्ध कराया गया वे फूलों की खेती व सजावट की दुकान चला कर अपनी रोजी-रोटी को बेहतर बनाये हैं.
संतोष कुमार सिन्हा, निदेशक आरसेटी, पंजाब नेशनल बैंक
यहां के फूल विक्रेता अक्सर दूसरे राज्यों से लाये हुए फूलों को ही बाजार में बेचा करते हैं. खपत अधिक होने के कारण विक्रेता कोल्ड स्टोर में रखे फूल-माला को आने वाले पर्व त्योहार पर बिक्री के लिये जमा रखते हैं. सबसे ज्यादा मांग वाला फूल गेंदा और गुलाब का स्टॉक कोल्ड स्टोर में रखा जाता है. इन अवसरों पर बढ़ जाती है फूलों की मांग अक्सर चुनावी माहौल, विवाह समारोह और पर्व त्योहार के मौके पर फूलों की मांग बढ़ जाती है.
कभी-कभी औरंगाबाद के फूल विक्रेता लोगों की मांग को पूरा भी नहीं कर पाते. शादी -विवाह और त्योहार के मौके पर सजावट के लिये बड़े तादाद में फूलों की जरूरत पड़ती है, उस वक्त फूलों की खपत बढ़ जाती है और लोगों से मुंहमांगे दाम भी वसूले जाते हैं. औरंगाबाद में कोलकाता, धनबाद, पटना, बोकारो व सूरत से फूल के खेप आती है.

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