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डॉक्टर पर होगी कार्रवाई : डीएम

हीमोग्लोबिन कम होने का बहाना बना कर निजी क्लिनिक में भेजा प्रसव पीड़ित महिलाओं को अक्सर कर िदया जाता है रेफर औरंगाबाद नगर : एक तरफ सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित करने की कवायद चल रही है.लगातार केंद्रीय व राज्यस्तरीय टीम द्वारा अस्पताल की जांच की जा रही है. दूसरी तरफ, […]

हीमोग्लोबिन कम होने का बहाना बना कर निजी क्लिनिक में भेजा
प्रसव पीड़ित महिलाओं को अक्सर कर िदया जाता है रेफर
औरंगाबाद नगर : एक तरफ सदर अस्पताल को मॉडल अस्पताल के रूप में विकसित करने की कवायद चल रही है.लगातार केंद्रीय व राज्यस्तरीय टीम द्वारा अस्पताल की जांच की जा रही है. दूसरी तरफ, अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था में लगे डॉक्टर इस अस्पताल को विकसित करने में सहयोग करने के बजाय इसे पीएचसी से बदतर बना कर छोड़ दिये हैं. इस अस्पताल में यदि प्रसव पीड़ित महिला को सिजेरियन ऑपरेशन की जरूरत पड़ जाती है, तो डॉक्टर इसे रेफर का पुरजा थमा देते हैं. साथ ही कुछ कमी बता देते हैं.
यही कारण है कि पिछले दो माह से अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है. जबकि, जिलाधिकारी कंवल तनुज ने विभाग के पदाधिकारी को कम से कम दस सिजेरियन ऑपरेशन करने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है, बावजूद इसका कोई असर न तो विभाग के पदाधिकारी पर पड़ रहा है और न ही चिकित्सक पर. इसका ज्वलंत उदाहरण बार-बार देखने को मिलता है. सोमवार की सुबह गया जिले के कोच थाना अंतर्गत सिंघडा गांव की महिला अमृता देवी प्रसव पीड़ा से ग्रसित थी, जो इलाज कराने के लिए सदर अस्पताल पहुंची.
काफी देर तक दर्द से कराहती रही, लेकिन कोई इलाज नहीं हुआ. इसके बाद डाॅ लालसा सिन्हा पहुंची और सिजेरियन ऑपरेशन करने की सलाह दी.
जब महिला के परिजन सदर अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन कराने पर तैयार हुए, तो चिकित्सक ने हीमोग्लोबिन की जांच कराने की सलाह दी. सदर अस्पताल में जांच की गयी, तो उसके शरीर में 8.2 ग्राम हीमोग्लोबिन पाया गया. इसके बाद डाॅ लालसा सिन्हा ने मरीज को शरीर में खून की कमी बताते हुए बाहर जाने की सलाह दी. परिजन काफी आरजू करते रहे, लेकिन डॉक्टर ऑपरेशन करने को तैयार नहीं हुए. इसके बाद महिला के परिजनों ने इसकी सूचना डीएम कंवल तनुज को दी. इसके बाद अस्पताल के एक पदाधिकारी महिला का सिजेरियन ऑपरेशन करने के लिए डॉक्टर को बुलाने लगे. तब तक मरीज को लेकर परिजन, शहर के एक निजी क्लिनिक में चले गये.
जब वहां पर हीमोग्लोबिन की जांच की गयी, तो मरीज के शरीर में दस ग्राम खून पाया गया, यही नहीं निजीक्लिनिक की चिकित्सक डाॅ निशा सिंह ने नॉर्मल प्रसव करवाया. जब इस संबंध में डीएम से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सिविल सर्जन को सिजेरियन ऑपरेशन कराने के लिये निर्देश दिया गया था, बावजूद सिजेरियन मरीज का नहीं हुआ है, तो दोषी चिकित्सक पर कार्रवाई की जायेगी. उधर, सिविल सर्जन का कहना है कि डाॅ लालसा सिन्हा से इस बिंदु पर स्पष्टीकरण पूछा गया है, जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी. मामला चाहे जो भी हो, कार्रवाई होना या न होना यह तो बात की बात है. लेकिन, गरीब महिला का प्रसव नहीं हो सका. यही नहीं पहले भी एक एचआइवी पीड़ित को डाॅ लालसा सिन्हा ने ही सदर अस्पताल में प्रसव कराने से इंकार कर दिया था. मामला तूल पकड़ा, तो इसकी जांच कराई गयी थी. जिसमें डॉक्टर की लापरवाही उजागर हुई थी.

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