निबंधन कार्यालय में पसरा है सन्नाटा
राजस्व के बल पर सरकार का चहेता बना जिला निबंधन कार्यालय नोटबंदी के बाद से दयनीय स्थिति के दौर से गुजर रहा है. नोटबंदी के पूर्व जिस विभाग ने लक्ष्य से अधिक भूमि का निबंधन किया था, वही विभाग अब लक्ष्य को छू लेने की जद्दोजहद में लगा हुआ है. अभी दो दिन शेष बचे […]
राजस्व के बल पर सरकार का चहेता बना जिला निबंधन कार्यालय नोटबंदी के बाद से दयनीय स्थिति के दौर से गुजर रहा है. नोटबंदी के पूर्व जिस विभाग ने लक्ष्य से अधिक भूमि का निबंधन किया था, वही विभाग अब लक्ष्य को छू लेने की जद्दोजहद में लगा हुआ है. अभी दो दिन शेष बचे हैं, लेकिन लक्ष्य प्राप्ति असंभव-सा दिख रहा है. अक्तूबर महीने में तीन करोड़ 43 लाख का लक्ष्य रखा गया था,पर लक्ष्य से अधिक चार करोड़ 39 लाख 77 हजार रुपये का निबंधन किया गया. नवंबर में 8 तारीख को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, इस घोषणा का असर निबंधन विभाग पर भी पड़ा. लक्ष्य तीन करोड़ 59 लाख का है, लेकिन अभी तक एक करोड़ 93 लाख 55 हजार की ही रजिस्ट्री हो सकी है.
17 दिनों में 354 रजिस्ट्री : हमेशा जमीन बिक्री करनेवालों से गुलजार रहने वाला जिला निबंधन कार्यालय में इन दिनों सनाटा पसरा हुआ है.
जब से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हजार और 500 के नोट बंद करने की घोषणा की है तब से जमीन बिक्री व खरीद करनेवालो में मायूसी है. पहले हर रोज 60 से 70 जमीन की रजिस्ट्री होती थी, लेकिन अब रोज महज 15 से 20 रजिस्ट्री ही हो पा रही है, जिससे सरकार को घाटा हो रहा है. गरीब परिवारों के घरों में होने वाली शादी पर भी असर पड़ रहा है. बात की जाय रजिस्ट्री की तो आठ नवंबर को 37 जमीन की रजिस्ट्री हुई थी. आठ नंबर की रात प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी. इस घोषणा के दूसरे दिन यानी नौ नवंबर की सुबह महज 15 जमीन की ही रजिस्ट्री हुई थी.
इसी तरह 10 नवंबर को 12, 11 नवंबर को 19, 12 नवंबर को 9, 14 नवंबर को 14, 15 नवंबर को 29, 16 नवंबर को 26, 17 नवंबर को 17, 18 नवंबर को 47, 19 नवंबर को 22, 22नवंबर को 41, 23 नवंबर को 31, 24 नवंबर को 33 और 25 नवंबर को 39 जमीन की रजिस्ट्री हुई थी. 26 नवंबर को कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ था. विभाग के पदाधिकारी ने बताया कि नोटबंदी का असर तो हुआ है. पहले तो रजिस्ट्री न के बराबर होती थी, लेकिन अब स्थिति सुधर रही है.