अस्पताल में डॉक्टरों को नदारद देख औरंगाबाद में फूट पड़ा लोगों को गुस्सा, जमकर मचाया उत्पात
औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद जिले में गुरुवार की रात सदर अस्पताल में डॉक्टरों के गायब रहने पर लोगों को गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. अस्पताल में डॉक्टरों को अनुपस्थित देख लोगों ने हंगामा खड़ा करते हुए जमकर तोड़-फोड़ किया. एक घंटे के अंतराल में लोगों ने करीब दो बार हंगामा खड़ा किया. एक […]
औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद जिले में गुरुवार की रात सदर अस्पताल में डॉक्टरों के गायब रहने पर लोगों को गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. अस्पताल में डॉक्टरों को अनुपस्थित देख लोगों ने हंगामा खड़ा करते हुए जमकर तोड़-फोड़ किया. एक घंटे के अंतराल में लोगों ने करीब दो बार हंगामा खड़ा किया. एक हंगामा तो किसी तरह शांत पड़ गया, लेकिन दूसरी बार हंगामा हुआ तो मामला तोड़-फोड़ तक पहुंच गया. अस्पताल में ड्यूटी पर रहे अस्पताल उपाधीक्षक भी इससे बच नहीं सके और जो उन्होंने सोचा भी नहीं था, वह उनके साथ हो गया. गाली-गलौज से लेकर देख लेने की धमकी तक उनको दी गयी.
मरीज के परिजनों ने अस्पताल के जेनरल वार्ड की कुर्सियां भी इधर-उधर फेंक दी. ऑक्सीजन सिलेंडर को भी तोड़ दिया. लगभग एक घंटे तक हंगामे का दौर चलता रहा. डॉक्टर से लेकर कर्मचारी पूरी तरह डर के साये में आ गये, फिर किसी तरह कुछ लोगों ने मामले में बीच-बचाव किया. तब जाकर मामला शांत हुआ. पता चला कि रावलबिगहा गांव के बुजुर्ग रामनंदन सिंह की तबीयत खराब होने पर परिजन सदर अस्पताल लाये थे. लगभग एक घंटे के भीतर उनकी तबीयत अचानक अधिक बिगड़ गयी, जिसके बाद कुछ ही क्षण में उनकी मौत हो गयी. परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया.
परिजनों का कहना था कि ड्यूटी पर रहे डाॅ सुजीत मनोहर ने सिर्फ भरती कर दिया और एक बार भी देखने तक नहीं गये. डॉक्टर से मरीज को देखने की लगातार गुहार लगायी गयी, लेकिन वो अपने काम में व्यस्त रहे. कुछ ही देर में डॉक्टर की ड्यूटी बदल गयी. चिकित्साकर्मियों ने एक बार भी हाल नहीं जाना. ऐसे डॉक्टर से कैसे इलाज होगा. चिकित्सक की लापरवाही से रामनंदन सिंह की मौत हुई है. इधर, अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ राजकुमार प्रसाद ने बताया कि डॉक्टरों की कमी से परेशानी हो रही है. चार मेडिकल अफसर सहित सात डॉक्टर हैं, लेकिन व्यवस्था में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
अस्पताल की व्यवस्था सुधारने में किसी की दिलचस्पी नहीं
सदर अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था आम लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है. यहां की व्यवस्था सुधारने में न तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही दिलचस्पी ले रहे हैं और न प्रशासन के पदाधिकारी. डॉक्टरों का अभाव आम लोगों के साथ-साथ अस्पताल के कर्मचारियों पर भारी पड़ रहा है. स्थिति यह हो गयी है कि अस्पताल के कर्मी भय के माहौल मेंं काम करने को बाध्य हैं. कब किस पर कौन सी आफत गिर पड़े, कहा नहीं जा सकता.
वरीय अधिकारियों को दी गयी है जानकारी
औरंगाबाद सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ राजकुमार प्रसादने बताया कि मैंने डीएम व एसडीओ को डॉक्टरों की कमी से अवगत करा दिया है. मरीज के परिजन बेवजह का हंगामा करते हैं. कोई भी डॉक्टर नहीं चाहता कि उसके मरीज को परेशानी हो.