जलस्तर खिसकना शुरू जवाब देने लगे चापाकल
परेशानी. वार्ड 23 में पीने के पानी के लिए मशक्कत औरंगाबाद सदर : नगर पर्षद क्षेत्र में गरमी शुरू होते ही पेयजल की समस्या प्रारंभ हो गयी है. इसे देख कर ऐसा लगता है कि आनेवाले समय में पेयजल के लिए हाहाकार मचनेवाला है. नगर पर्षद क्षेत्र में जल आपूर्ति के लिए कोई ठोस स्रोत […]
परेशानी. वार्ड 23 में पीने के पानी के लिए मशक्कत
औरंगाबाद सदर : नगर पर्षद क्षेत्र में गरमी शुरू होते ही पेयजल की समस्या प्रारंभ हो गयी है. इसे देख कर ऐसा लगता है कि आनेवाले समय में पेयजल के लिए हाहाकार मचनेवाला है. नगर पर्षद क्षेत्र में जल आपूर्ति के लिए कोई ठोस स्रोत नहीं विकसित किये जाने के कारण लोगों के समक्ष पेयजल संकट उत्पन्न होने लगा है. शहर के वार्ड संख्या 23 का इन दिनों बेहद बुरा हाल है. यहां स्थापित सार्वजनिक चापाकल और बोरिंग दोनों ध्वस्त हो चुके है. लोगों की पानी की जरूरत बड़ी मुश्किल से पूरी हो रही है. पीने के लिए लोगों को पेयजल खरीदना पड़ रहा है. वार्ड 23 में आधे दर्जन जगहों पर लगे चापाकलों में मात्र एक चापाकल ठीक तरीके से काम करता है.
विराटपुर व न्यू काजी मुहल्लाें में ज्यादा खराब स्थिति : इसके अलावे वार्ड में कोई भी ऐसा सार्वजनिक पेयजल स्रोत नहीं दिखता, जिससे वार्ड के लोगों की प्यास बूझ सके. वार्ड के विराटपुर मुहल्ला, न्यू काजी मुहल्ला, धरनीधर बर तर के इलाके में स्थिति काफी बुरी है. यह वार्ड वैसे लोगों के लिए भी चुनौती भरा वार्ड है, जो इस बार के नगर पर्षद चुनाव में वार्ड से भाग्य आजमानेवाले हैं. फिलहाल वार्ड 23 के लोग आस-पड़ोस के घरों में लगे निजी चापाकल व बोरिंग के भरोसे अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
एमएलसी द्वारा दी गयी बोरिंग हो गयी फेल : वार्ड संख्या 23 के न्यू काजी मुहल्ला खेल मैदान में तीन चार वर्ष पूर्व विधान पार्षद रंजन कुमार सिंह उर्फ मुन्ना सिंह द्वारा लोगों की जरूरतों को देखते हुए एक बोरिंग करायी गयी थी और बोरिंग के समीप ही दो एक-एक हजार बड़े सिनटेक्स को चबूतरा बना कर स्थापित किया गया था,
पर वार्ड के लोगों के नसीब में इस बोरिंग का पानी शायद लिखा ही नहीं था. दो-तीन महीने में ही यह बोरिंग पूरी तरह ध्वस्त हो गया. और एक बार फिर से इस वार्ड के लोग पेयजल को लेकर छटपटाने लगे हैं. जो स्रोत संचालित हैं, वे भी कब तक साथ देते हैं, यह कहना भी मुश्किल हो गया है. स्थानीय लोग कहते हैं कि अब से ही जब बोरिंग और चापाकल के लेयर भाग गये हैं, तो पूरी गरमी कैसे गुजारा होगा.
आधा दर्जन सार्वजनिक चापाकलों में केवल एक ही चालू
वार्ड के पार्षद, मुख्य पार्षद और नगरपालिका के अधिकारी पेयजल को लेकर कभी चिंतित नजर नहीं आये. लोगों को पेयजल की जरूरत कैसे पूरी होगी, इसकी जरा भी परवाह नगर पर्षद को नहीं है. पेयजल आपूर्ति के लिए कोई नये स्रोत भी नहीं विकसित किये गये, जिससे लोगों की परेशानी दूर हो सके. अब तक पेयजल आपूर्ति के लिये वार्ड में की गयी सारी व्यवस्था बेकार साबित हुई है.
मो असगर
गरमी शुरू होते ही वार्ड में पेयजल की समस्या शुरू हो जाती है. वार्ड पार्षदों को जन सरोकार से कोई मतलब नहीं है. वार्ड में दो जगहों पर बड़े स्तर पर बोरिंग करायी गयी थी, पर देखरेख के अभाव में दोनों चौपट हो गयी है. पेयजल की समस्या दिनोंदिन इतनी गंभीर होते जा रही है कि आनेवाले समय में पानी के लिए लोग सिर-फुटौव्वल भी करते दिखेंगे. समस्या का समाधान होना चाहिए.
रवि कुमार
पेयजल आपूर्ति के लिए वार्ड में नये स्रोत को विकसित करने की आवश्यकता है. वार्ड के लोगों को बिना किसी परेशानी के पीने का स्वच्छ पानी अगर उपलब्ध करा दिया जाये, तो इस वार्ड में खुशहाली आ जायेगी. नगर पर्षद में प्रस्ताव पास कर शासन से स्थायी पेयजल व्यवस्था बनायी जायेगी, तभी जाकर पानी के लिए मुहल्लेवासियों की मुश्किलें दूर हो सकेंगी.
धीरज कुमार उर्फ संतन, समाजसेवी
खराब चापाकलों को ठीक कराने का हो रहा प्रयास
नगर पर्षद और विधायक कोटे से वार्ड में चापाकल लगाये गये थे, पर इस गरमी में अधिकांश चापाकल खराब हो चुके हैं. इसकी जानकारी नगर पर्षद को दी गयी है. जल्द ही उसे ठीक कराने का प्रयास किया जा रहा है. लोगों की परेशानी न हो, इस पर ध्यान है.
मो सेराज, वार्ड पार्षद प्रतिनिधि