चुनावी मैदान में आने की सोच रहे कई नये चेहरों की राह हुई बंद !

गहमागहमी. नगर निकाय चुनाव के लिए नये नियमों से फंसा पेच औरंगाबाद सदर : नगरपालिका चुनाव को लेकर हर कोई उत्साहित है. नगर पर्षद क्षेत्र में आने वाले सभी 33 वार्डों से कई नये प्रत्याशी भी इस बार अपना भाग्य आजमानेवाले हैं. लेकिन, राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरपालिका आम चुनाव 2017 की तैयारी को लेकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 8, 2017 6:08 AM
गहमागहमी. नगर निकाय चुनाव के लिए नये नियमों से फंसा पेच
औरंगाबाद सदर : नगरपालिका चुनाव को लेकर हर कोई उत्साहित है. नगर पर्षद क्षेत्र में आने वाले सभी 33 वार्डों से कई नये प्रत्याशी भी इस बार अपना भाग्य आजमानेवाले हैं. लेकिन, राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरपालिका आम चुनाव 2017 की तैयारी को लेकर कुछ दिशानिर्देश जारी किये हैं, जिसमें प्रत्याशियों की पात्रता का एक मापदंड तैयार किया है. इन नये नियमों से वार्ड पार्षद बनने की चाहत रखनेवाले कई उम्मीदवारों की राह पहले ही बंद हो गयी है.
दरअसल, नये नियमों के मुताबिक तीन बच्चोंवाले मां-बाप नगर निकाय का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. इस नये नियम से चुनावी होड़ में कई नये चेहरों की इंट्री की संभावना खत्म हो गयी है.
हालांकि, अब तक नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, इसलिए कौन उम्मीदवार होगा या नहीं होगा, यह कहना मुश्किल है. लेकिन, कई वार्डों में ऐसे नाम चर्चा में हैं, जिनके तीन या इससे अिधक संतानें हैं. ऐसे लोग अब खुद ही चुनाव लड़ने से कन्नी काट रहे हैं. हालांकि, तीन संतानवाले सभी लोगों के लिए चुनाव लड़ने की राह पूरी तरह बंद हो गयी हो, ऐसा नहीं है. िनयमों पर गौर करने पर पता चलेगा कि इसमें भी कई पेच हैं.
गोद लिये बच्चे के अभिभावक होने पर भी अयोग्य हो सकते हैं प्रत्याशी : राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की खुद से जन्मी दो संतानें हैं और उन्होंने किसी तीसरे बच्चे को गोद भी लिया है, तो भी उस स्थिति में चुनाव नहीं लड़ सकता. क्योंकि गोद लेने के बाद भी कानूनी रूप से वह उस बच्चे का मां-बाप होता है.
नये जोड़ों पर ही पड़ेगी नये नियमों की मार : हालांकि, तीन बच्चोंवाली शर्त का नुकसान ऐसे लोगों को नहीं झेलना पड़ेगा, जिनके सभी बच्चे युवा हो चुके हैं. कहने का मतलब यह कि उम्रदराज लोगों पर यह बंदिश लागू नहीं होगी. वजह यह है कि चार अप्रैल 2008 के बाद तीसरी संतान को जन्म देनेवाले दंपती पर ही यह नियम लागू होगा.
ऐसी स्थिति में कई वार्ड से खड़े हो रहे प्रत्याशी चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार छंट सकते हैं. लेकिन, इस बार देखा जा रहा है कि नगर पर्षद क्षेत्र के करीब करीब सभी वार्डों में कोई न कोई ऐसे प्रत्याशी चुनाव में खड़े होने के लिए उतावले हैं, जो कहीं न कहीं चुनाव आयोग के इस नियमों पर खरे नहीं उतर रहे हैं और तीन बच्चेवाले कानून को लेकर मजाक के पात्र भी बन रहे हैं.
नये नियमों पर ठीक तरीके से कर लें गौर
बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 के अनुसार अगर किसी नागरिक को चार अप्रैल 2008 के बाद तीसरा, चौथा या इससे अंधिक संतान हुई है, तो वह नगरपालिका चुनाव का अभ्यर्थी नहीं हो सकता है. चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अधिकतम दो संतान ही होने चाहिए. हालांकि, अगर एक ही बार में जुड़वा या इससे ज्यादा संतान होने से संतानों की संख्या बढ़ी है, तो यह नियम उन पर लागू नहीं होगा. ऐसे में चुनाव लड़ने की चाहत रखनेवाले प्रत्याशी नियमों में उलझे हुए हैं और वे लगातार निर्वाचन कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं और सभी नियमों की कॉपी देखना चाह रहे हैं कि वो चुनाव आयोग के जारी दिशानिर्देश पर खरे उतर रहे है या नहीं.
क्या कहते हैं वार्ड पार्षद
चुनाव आयोग नगर पर्षद चुनाव को लेकर जो भी दिशा निर्देश जारी किये है वह स्वागत योग्य है उसका अनुपालन होना चाहिए. जिला प्रशासन एवं चुनाव प्रक्रिया में लगे पदाधिकारी इस मामले पर गंभीरता से ध्यान दे तो कई प्रत्याशी छंट सकते है .
राज किरण उर्फ सिंटू तिवारी,पार्षद,वार्ड नंबर -22
इस बार वार्ड नंबर 31 अति पिछड़ा होने के कारण कई ऐसे प्रत्याशी चुनाव मैदान में दिख रहे है जो चुनावआयोग के नियमो पर खरा नहीं उतरते है . तीन बच्चे वालो को लेकर जो प्रावधान है उसमें भी वार्ड के कई प्रत्याशी चुनाव लड़ने से वंचित रह सकते है.
ब्रजेश कुमार,पार्षद प्रतिनिधि,वार्ड नंबर -31
चुनाव आयोग के गाइड लाइन पर अगर प्रत्याशी योग्य ठहरते है तो लोग चुनाव में उनका स्वागत करेंगे, पर निर्वाचन नियमावली का जो प्रत्याशी पालन नहीं करेंगे या जो उस योग्य नहीं है उसे खुद प्रशासन ही चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकते है.
उदय गुप्ता,पार्षद प्रतिनिधि ,वार्ड नंबर -16
तीन बच्चेवाले व्यक्ति प्रत्याशियों के प्रस्तावक भी नहीं बन सकते, ऐसा नियम है. प्रशासन को चाहिए कि इस पर निगाह रखे. यह भी ध्यान रखने की जरूरत होगी कि कोई व्यक्ति एक से अधिक प्रत्याशी का प्रस्तावक या समर्थक नहीं बन सके.
धीरज कुमार उर्फ संतन, समाजसेवी
सरकार से मानदेय लेनेवाले नहीं बन सकते हैं प्रत्याशी
नगर पर्षद चुनाव में वैसे व्यक्ति प्रत्याशी की भूमिका नहीं निभा सकते है,जो या तो सरकार से वेतन लेते है या फिर मानदेय के रूप में राशि लेते है. वैसे सभी कर्मियों के लिये राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निकाय चुनावमें प्रत्याशी बनने पर पाबंदी लगायी गयी है.
नगर पर्षद व नगर पंचायत के लिए अलग अलग नामांकन शुल्क
सहायक निर्वाची पदाधिकारी सफराज नवाज ने बताया कि नगर पर्षद से चुनाव लड़ने वाले आरक्षित कोटि के व्यक्ति व सभी कोटि की महिला के लिए नामांकन शुल्क 500 रुपये व आरक्षित कोटि से भिन्न व्यक्ति के लिए नामांकन शुल्क 1000 रुपये देय होंगे. नगर पंचायत में आरक्षित कोटि के व्यक्ति तथा सभी कोटि की महिला के लिये 200 रुपये और आरक्षित कोटि से भिन्न व्यक्ति के लिये 400 रुपये देय होंगे.

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