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पांच साल में 19 फुट नीचे पहुंचा जलस्तर

खतरा. भूजल के अनियंत्रित दोहन से तेजी से जलसंकट की ओर बढ़ रहा जिला औरंगाबाद सदर : ज्यादा से ज्यादा भूजल का दोहन महंगा पड़ रहा है. दिनों-दिन बड़ी तेजी से औरंगाबाद का जलस्तर घट रहा है. पिछले पांच वर्षो के अपेक्षा इस वर्ष ज्यादा जलस्तर गिरने का अनुमान लगाया जा रहा है. लोक स्वास्थ्य […]

खतरा. भूजल के अनियंत्रित दोहन से तेजी से जलसंकट की ओर बढ़ रहा जिला

औरंगाबाद सदर : ज्यादा से ज्यादा भूजल का दोहन महंगा पड़ रहा है. दिनों-दिन बड़ी तेजी से औरंगाबाद का जलस्तर घट रहा है. पिछले पांच वर्षो के अपेक्षा इस वर्ष ज्यादा जलस्तर गिरने का अनुमान लगाया जा रहा है. लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की मानें, तो शहर के खास इलाकों में पिछले पांच वर्षों का न्यूनतम जलस्तर 51 फुट रिकार्ड किया गया था, जो इस साल मार्च-अप्रैल माह में गिर कर लगभग 65 से 70 फुट पर पहुंच गया है.
विभाग द्वारा ली गयी रीडिंग के अनुसार 19 फीट तक जलस्तर नीचे गिरा है. इधर, जलस्तर गिरने का सिलसिला जारी है. विभाग की मानें, तो अगर यही स्थिति रही, तो पानी के लिए भारी संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. जलस्तर गिरने के कारण औरंगाबाद शहर सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों की स्थिति भी गंभीर होते जा रही है. पेयजल के लिए कोई नये स्रोत नहीं होने के कारण लोगों को पुराने हैंडपंप से काम चलाना पड़ रहा है.
तो एक माह में तीन फुट और नीचे चला जायेगा लेयर : दिनोंदिन बढ़ती गरमी के कारण जलस्तर में भारी गिरावट रिकार्ड की जा रही है. बोरिंग एक्सपर्ट मो जाहिद हसन की मानें, तो अगर तापमान इसी तरह बना रहा, या इससे थोड़ा बढ़ा, तो अगले एक महीने में तीन फुट लेयर और नीचे चला जायेगा. इससे जल संकट भयावह हो सकता है. वैसे शहर में अभी से ही पानी की किल्लत दिख रही है. कई चापाकल बंद हो चुके हैं.
कर्मचारी व संसाधनों का है अभाव :
पेयजल संकट से जूझ रहे जिलेवासियों को राहत दिलाने के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पास खुद का संसाधन और कर्मियों का अभाव है, जिसके कारण विभाग समय पर लोगों की समस्या हल नहीं कर पाता. चापाकलों को ठीक करने के लिए विभाग सरकारी
कर्मचारियों के अलावे प्राइवेट मिस्त्रियों को हायर किये हुए हैं, जो विभाग के दिशानिर्देश पर काम कर रहे हैं. पीएचइडी विभाग द्वारा खराब चापाकलों को पहले चिह्नित किया जाता है, फिर उसके बाद बननेवाले चापाकलों को बनाया जाता है और जो बनने लायक नहीं होते हैं, उनकी जगह नये चापाकलों का टेंडर होता है और चापाकल लगाया जाता है.
औरंगाबाद शहर में सबसे ज्यादा खराब है स्थिति
पीएचइडी के मुताबिक
बंद पड़े चापाकल
बंद पड़े हैं हजारों सरकारी चापाकल
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के अनुसार जिले में कुल 30 हजार 937 चापाकल लगे हुए है, जिनमें छह हजार 34 चापाकल बंद पड़े हैं. पेयजल संकट को देखते हुए भी इन चापाकलों की मरम्मत अब तक नहीं हो सकी है. विभाग के आंकड़े के अनुसार चालू चापाकलों की संख्या 24 हजार 903 बतायी जाती है, लेकिन हकीकत कुछ और है.
वर्ष 2016 से मार्च 2017 तक पीएचइडी द्वारा जिले में 1498 चापाकलों की मरम्मत करायी गयी थी. पीएचइडी के दावे को सही भी मानें, तो खराब चापाकलों को दुरुस्त करने लायक संसाधन इनके पास नहीं है.
पेयजल संकट से निबटने पर काम कर रहा विभाग, बनाया गया कंट्रोल रूम
पेयजल संकट से निबटने के लिए बेहतर तरीके से विभाग काम कर रहा है. कंट्रोल रूम के बनाये जाने से लोगों को उसका लाभ मिल रहा है. विभाग द्वारा नये चापाकल लगाये जाने के लिए टेंडर हो चुका है और विधायक द्वारा अनुशंसित चापाकलों को भी लगवाया जा रहा है. जिले में पिछले पांच वर्षों में न्यूनतम जलस्तर 51 फुट रिकार्ड किया गया है. अगर जल संचय के प्रति लोग जागरूक नहीं हुए, तो आनेवाला समय पेयजल के लिए गंभीर हो सकता है.
गजेंद्र पासवान, कार्यपालक अभियंता, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग

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