ट्रेन की चपेट में आने से बचा पूरा परिवार, युवती का पैर कटा

छोटी बहन को पायदान में जाने से बचाने के लिए कूदी ट्रेन से औरंगाबाद शहर : गया-मुगलसराय रेलखंड पर अवस्थित अनुग्रह नारायण रेलवे स्टेशन पर गुरुवार की सुबह एक बड़ी घटना होते-होते बची लगभग आधे घंटे तक पूरे स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल रहा और चंद सेकेंड में सनसनी फैल गयी. हटिया एक्सप्रेस की चपेट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2017 8:30 AM
छोटी बहन को पायदान में जाने से बचाने के लिए कूदी ट्रेन से
औरंगाबाद शहर : गया-मुगलसराय रेलखंड पर अवस्थित अनुग्रह नारायण रेलवे स्टेशन पर गुरुवार की सुबह एक बड़ी घटना होते-होते बची लगभग आधे घंटे तक पूरे स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल रहा और चंद सेकेंड में सनसनी फैल गयी. हटिया एक्सप्रेस की चपेट में आने से एक ही परिवार के तीन लोग बाल-बाल बच गये. हालांकि, पानपत्ती नामक युवती का एक पैर इस हादसे में कट गया और दो लोग घायल हो गये. इन सभी का इलाज सदर अस्पताल औरंगाबाद में किया जा रहा है.
डॉक्टरों की मानें, तो पानपति की हालत गंभीर देखते हुए उसे मगध मेडिकल कॉलेज गया रेफर किया गया है. हुआ यह कि दाउदनगर प्रखंड के केशराड़ी गांव का दीपक कुमार मुंबई से अपने पूरे परिवार के साथ गांव आया हुआ था. गुरुवार की अहले सुबह मुंबई जाने के लिए अपनी तीन बेटी, पत्नी व परिवार के दो अन्य सदस्यों के साथ अनुग्रह नारायण स्टेशन पहुंचा. सुबह 4:15 बजे हटिया एक्सप्रेस स्टेशन पहुंची. भारी भीड़ के बीच दीपक अपने परिवार के सदस्यों को ट्रेन पर चढ़ाने लगा और सामान भी रखने लगा. इस क्रम में ट्रेन खुल गयी, लेकिन दीपक की मंझली बेटी दूजा कुमारी नहीं चढ़ सकी. चलती ट्रेन में चढ़ने के दौरान पायदान में गिर कर वह फंस गयी.
छोटी बहन को पायदान में फंस कर चिल्लाते देख बड़ी बहन पानपत्ती उसे बचाने के लिए ट्रेन से ही कूद पड़ी और वह भी एक झटके में पायदान के भीतर समा गयी. इस क्रम में पिता दीपक राम ने दूजा को किसी तरह पायदान से खींच लिया, लेकिन पानपत्ती का एक पैर घुटने से नीचे कट कर अलग हो गया. हालांकि चंद सेंकेड के लिए ट्रेन को रुकवाया गया और पायदान के नीचे बेहोश पड़ी पानपति को निकाल कर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया. जिस वक्त स्टेशन पर यह हादसा हुआ, उस वक्त सैकड़ों यात्री मौजूद थे.
इधर, अस्पताल में बिलखते हुए पिता ने कहा कि वह अभी संकटों से जूझ रहा है. बेटी की शादी करने की तैयारी हो रही थी. क्या पता किस्मत को क्या मंजूर था? अब बेटी की शादी कैसे करूं और कैसे होगा यह समझ में नहीं आता. पता चला कि दीपक अपने परिवार के साथ मुंबई में ऑटो चला कर जीवन-बसर कर रहा था. छठ पर्व के दौरान बड़ी बेटी की तबीयत खराब होने के बाद घर आया था.

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