निर्भया कांड : टीवी पर फैसला सुनते ही आराेपी अक्षय ठाकुर के 5 वर्षीय बेटे ने जब अपनी मां से पूछा ये सवाल

केशव कुमार सिंह औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद में नवीनगर प्रखंड के लहंग करमा गांव में सरयू सिंह का घर. दोपहर का वक्त है, करीबएक बजने वाले है. घरवालों की निगाहे टीवी स्क्रीन पर लगी है. टीवी स्क्रीन पर एक खबर फ्लैश होती है, सुप्रीम कोर्ट ने निर्भयासामूहिकदुष्कर्म मामले के सभी चार आरोपियों की फांसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2017 9:38 PM

केशव कुमार सिंह

औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद में नवीनगर प्रखंड के लहंग करमा गांव में सरयू सिंह का घर. दोपहर का वक्त है, करीबएक बजने वाले है. घरवालों की निगाहे टीवी स्क्रीन पर लगी है. टीवी स्क्रीन पर एक खबर फ्लैश होती है, सुप्रीम कोर्ट ने निर्भयासामूहिकदुष्कर्म मामले के सभी चार आरोपियों की फांसी की सजा बरकरार रखी है. खबर सुनते ही परिवार के हर सदस्य की आंखे नम हो उठती है.

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इसी बीच घर की एक महिला की गोद में बैठापांच वर्षीय बालक प्रियाशु पूछ बैठता है, क्यो रो रही हो मां. प्रियांशु कोई और नही बल्कि इन्हीं चार दोषियों में एक अक्षय ठाकुर का पुत्र है, पर उसे क्या पता कि उसके पिता को फांसी की सजा हो चुकी है. प्रियांशु के साथ ठीक यही स्थिति दो बार और उत्पन्न हुई थी जब निचली अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसके पिता को फांसी की सजा सुनायी थी, पर उस वक्त वह काफी छोटा था. आज भी छोटा है पर अब उसे इतनी समझ हो गयी है कि वह यह पूछ सकता है कि मां क्यो रो रही हो.

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मासूम के इस सवाल से अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता सिंह का आखों से भीग जाता है और उसके मुंह से बोली नहीं निकलता है. बेचारी की सिसकियां और बढ़ गयी. उसके साथ अजीब सी धर्मसंकट वाली स्थिति उत्पन्न हो गयी थी. आखिर वो अपने लाड़ले को कैसे और किस मुंह से बताये कि उसके पिता के कुकर्म पर हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है. फिर भी उसने आंचल के कोर से अपनी आंखों के आंसू पोछते हुए कहा कि बेटा कुछ नही दिल्ली में रह रहे तेरे पापा की याद आ गयी. इसी कारण थोड़ा गमगीन हो गयी. बच्चा फिर पूछ बैठा मम्मी पापा क्यो घर नहीं आते है, जब भी पूछता हूं कहती हो पापा समय मिलने पर आयेंगे. फिर वह अपने बच्चे को पापा के आने का झूठा दिलासा दिलाने में लग जाती है.

इधर, अक्षय के पिता सरयू सिंह, मां, बड़े भाई विनय और मंझले विनय ने इसे अपनी नियति मान ली है, उनकी आंखों के आंसू सूख चुके है. लिहाजा बेटे और भाई की फांसी की सजा बरकरार रखे जाने की खबर को सुनकर उन्होने अपने कलेजे को और कड़ा करते हुए चुप्पी साध ली. फांसी की सजा बरकरार रखे जाने की खबर के बाद जब स्थानीय मीडिया ने परिवार वालो से संपर्क किया तो परिजनो ने सीधे तौर पर यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें कुछ नही कहना है, उन्हें तो उन्ही से जानकारी मिल रही है कि अक्षय ठाकुर की फांसी को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है.

यह सब कहने के दौरान परिजनों के चेहरे के सख्त भाव इस बात की चुगली जरूर कर रहे थे कि उन्हें सबकुछ पता है. ज्ञातहो कि पूरे देश और सिस्टम को झकझोर देने वाले निर्भयासामूहिकदुष्कर्म मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चारों दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा. कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए निर्भया कांड को सदमे की सुनामी बताया.

कोर्ट का फैसला आते ही कोर्ट रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. चारों दोषियों ने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम में अर्जी दायर थी. सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को सुनवाई के बाद इस केस में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. 5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना फैसला पढ़ते हुए चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा.

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