Aurangabad News : बच्चों ने पर्यावरण बचाने का लिया संकल्प

Aurangabad News: आओ मिट्टी का दीया जलाएं, पर्यावरण बचाएं : मिट्टी के दीये जलाने के लिए अन्य लोगों को करेंगे प्रेरित

By Prabhat Khabar News Desk | October 23, 2024 10:24 PM

मदनपुर. दीपावली खुशियों का त्याेहार है. आदिकाल से दीपावली पर मिट्टी के ही दीपक जलाने की परंपरा रही है. मिट्टी के दीयों को कतारबद्ध लगाकर उसमें तेल भरना, बाती रखना और फिर उसे प्रज्वलित करना अद्भुत अनुभव है. मिट्टी के दीयों को जलते हुए देखना एक सुखद एहसास है, लेकिन बीते दो दशक के दौरान हम कृत्रिम लाइट पर अधिक निर्भर हो गये हैं. आधुनिकता के दौर में हम अपनी परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए इस दीपावली हमें मिट्टी के दीपक जलाने का संकल्प लेना है. इसी उद्देश्य के साथ प्रभात खबर ने आओ मिट्टी का दीया जलाएं-पर्यावरण बचाएं अभियान की शुरूआत की है. बुधवार को मदनपुर स्थित प्रोजेक्ट जयप्रभा कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों व आम लोगों को जागरूक किया गया. स्कूल के प्राचार्य प्रवीण कुमार मिश्रा के नेतृत्व में और बीडीओ अवतुल्य कुमार आर्य की उपस्थिति में सैकड़ों छात्राओं ने यह शपथ ली की मिट्टी के दीये प्रज्वलित कर दीपावली मनायेंगे और पर्यावरण बचायेंगे. कार्यक्रम में छात्राओं ने कहा कि तेज आवाज के पटाखों से भी वे परहेज करेंगे. साथ ही अपने आस पड़ोस के लोगों से सुरक्षित दीपावली मनाने की अपील करेंगे.

शिक्षकों और छात्राओं ने लिया संकल्प

प्रभात खबर के आओ मिट्टी का दहया जलाएं-पर्यावरण बचाएं अभियान में शामिल शिक्षकों और छात्राओं ने संकल्प लिया कि इस दीपावली मिट्टी के दीये जलायेंगे और सुरक्षा का ध्यान रखेंगे. अपने दोस्त की मीठी दिवाली करने के लिए उसकी मदद करेंगे. अपने परिजन व बुजुर्गों के साथ मिलकर दिवाली मनायेंगे. घर के आसपास सफाई करेंगे और लोगों को भी प्रेरित करेंगे.

तेज आवाज के पटाखो से करें परहेज : बीडीओ

प्रखंड विकास पदाधिकारी अवतुल्य कुमार आर्य ने कहा कि तेज आवाज वाले पटाखों से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं. इससे हर हाल में परहेज करें. तेज आवाज वाले पटाखों से कान के पर्दे फटने का खतरा रहता है. इससे स्किन एलर्जी, सांस लेने में तकलीफ, हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हो सकती है. पटाखे के धुएं स्वास्थ्य संबंधी रोग बढ़ाते हैं. पटाखे की तेज आवाज से जानवर डर जाते हैं. इसलिए पटाखों से दूर रहे. उन्होंने कहा कि प्रभात खबर अखबार की जितनी तारीफ की जाये कम है. समय-समय पर आम लोगों को किसी न किसी मुद्दे पर जागरुक किया जाता रहा है. यही कारण है कि प्रभात खबर की एक अलग पहचान रही है.

क्या बोलीं शिक्षिकाएं

शिक्षिका वीणा कुमारी ने कहा कि रोशनी का पर्व दीपावली की असली खुशियां प्राकृतिक चीजों के साथ मिलकर मनाने से मिलती है. हमें इस बात का ध्यान देना चाहिए. हमारे आस पड़ोस के किसी घर में अंधेरा नहीं रहे. दीपावली का त्योहार भगवान राम के घर लौटने की खुशी के रूप में मनायी जाती है. भगवान राम सत्य के प्रतीक है. इसलिए दीपावली पर हमें अपने अंदर के अंधकार को दूर करना है ताकि हमारे अंदर की बुराई खत्म हो जाये.

सुधा कुमारी ने कहा कि दीपावली रोशनी, रोजगार और उत्साह का पर्व है. घर, बाजार और हर क्षेत्र में अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाने का पर्व है. इस त्योहार में सबसे ज्यादा स्वरोजगार को बढ़ावा मिलता है. त्योहार से हर तबके के लोग जुड़ते हैं. पूरी लगन और निष्ठा व कठिन परिश्रम से मिट्टी के दीये बनाते हैं, ताकि दूसरे के घरों में फैले अंधकार को मिटाकर प्रकाशमान बनाया जाए. इस दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने का संकल्प ले.

कंचन कुमारी ने कहा कि उनका पूरा परिवार और सगे संबंधी बचपन से ही मिट्टी के दीये से दीपावली मनाते रहे हैं. मिट्टी के दीये खरीदने और घरों में जलाने से एक समाज विशेष को रोजगार का अवसर मिलता है. उनके घरों में खुशियां आती है. साथ ही पर्यावरण का भी संतुलन बना रहता है. उन्होंने अपील की है कि दीपावली में अपने-अपने घरों में मिट्टी के दीये जलाकर लोकल रोजगार को बढ़ावा दे.

निक्की कुमारी ने कहा कि मिट्टी के दीये को स्पर्श करने और खरीदने के बाद अपनापन का एहसास होता है. भारतीय परंपरा के अनुसार दीये में तेल भरकर दीपक जलाते हैं तो सुखद और शांति की अनुभूति होती है. घरों में शांति और अपनापन को एहसास के लिए इस बार सभी लोग दीपावली पर मिट्टी के दीये जलायेंगे और दूसरे को भी प्रेरित करेंगे

सुलोचना कुमारी ने कहा कि सदियों से मिट्टी के दीये जलते आ रहे हैं. पूरे परिवार के साथ दीपावली में मिट्टी के दीये जलायेंगे और दूसरे को भी प्रेरित करेंगे. दीये में तीसी के तेल से घरों में दीपक जलते हैं. दीपक जलते ही प्रकाश फैल जाता है. इससे शांति की अनुभूति होती है.

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