Aurangabad News : बच्चों की सुरक्षा पुलिस की प्राथमिकता : एसपी
Aurangabad News: प्रशिक्षण में पुलिस अधिकारियों को दी गयी किशोर न्याय अधिनियम व पॉक्सो एक्ट की जानकारी
औरंगाबाद शहर. समाज कल्याण विभाग अंतर्गत संचालित जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा बाल संरक्षण के हितधारक, जिले के सभी थानाध्यक्षों व सभी थानों में नामित बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारियों का प्रशिक्षण सह उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. बाल संरक्षण से जुड़े कानूनों की जानकारी बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित प्रशिक्षण में किशोर न्याय अधिनियम, 2015/ बिहार किशोर न्याय नियमावली, 2017 तथा पॉक्सो अधिनियम पर चर्चा की गयी. प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन पुलिस अधीक्षक अंबरीष राहुल द्वारा दीप जलाकर किया गया. कार्यक्रम में पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय-2) सह विशेष किशोर पुलिस इकाई के नोडल पदाधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक, सहायक निदेशक एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी, यूनिसेफ परामर्शी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व सदस्य, सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी, मिरेकल फाउंडेशन इंडिया तथा जिला बाल संरक्षण इकाई के अन्य कर्मी शामिल हुए. मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पुलिस अधीक्षक ने अपने संबोधन में बच्चों के मुद्दों को अत्यंत संवेदनशील बताया. उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए. पुलिस के रूप में हम बच्चों के साथ पहली कड़ी के रूप में काम करते हैं. ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि हम बच्चों से जुड़े कानूनों की गहराई से जानकारी रखें, ताकि हम इनका सही तरीके से पालन कर सकें और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें. उन्होंने पुलिस बल को बाल संरक्षण मामलों में सक्रिय और संवेदनशील होने का आग्रह किया.
प्रशिक्षण में इन मुख्य बिंदुओं पर हुई चर्चा
प्रशिक्षण के दौरान बाल संरक्षण के विशेषज्ञ और रिसोर्स पर्सन शाहिद जावेद और सैफुर्र रहमान ने क्रमशः पॉक्सो अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम, बिहार किशोर न्याय नियमावली 2015 तथा 2017 के विभिन्न प्रावधानों पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि इन कानूनों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न और शोषण से बचाना और न्याय प्रक्रिया में बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना है. पॉक्सो अधिनियम पर बोलते हुए रिसोर्स पर्सन शाहिद जावेद ने इसके तहत रिपोर्टिंग, जांच और मुकदमे की प्रक्रिया पर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किस प्रकार पुलिस बल को संवेदनशील रहकर बच्चों से जुड़े मामलों को हैंडल करना चाहिए और इसमें कानून के प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है. किशोर न्याय अधिनियम के तहत न्यायिक प्रक्रिया और बच्चों के पुनर्वास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि कानून में ऐसे प्रावधान हैं जो बच्चों को सुधारने और पुनर्वासित करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
बाल संरक्षण में पुलिस की भूमिका
प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान पुलिस अधिकारियों को बच्चों से जुड़े मामलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया गया. बाल संरक्षण से जुड़े कानूनों के तकनीकी पक्षों के साथ-साथ नैतिक जिम्मेदारियों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया. पुलिस अधिकारियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया गया कि वे बच्चों के साथ बातचीत करते समय विशेष सावधानी बरतें और उन्हें एक सुरक्षित और संवेदनशील माहौल प्रदान करें. कार्यक्रम का समापन जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ. उन्होंने सभी उपस्थित अधिकारियों को बाल संरक्षण से जुड़े मामलों में कानूनों का सही ढंग से पालन करने और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है