औरंगाबाद/कुटुंबा. सनातन धर्म परंपरा में शारदीय नवरात्र पर्व का खास महत्व है. यह पर्व पूरे नौ दिन का होता है. शारदीय नवरात्र में आचार्य, पंडित, साधक और श्रद्धालु पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा आराधना करते है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दुर्गा सप्तशती पाठ एक बड़ी उपासना है. इस बार देवी की विशेष आराधना और पूजा अर्चना का व्रत शारदीय नवरात्र तीन अक्तूबर गुरुवार से आरंभ हो रहा है. ज्योतिर्विद डॉ हेरम्ब कुमार मिश्र ने बताया कि उक्त दिन ध्वजारोहण, कलश स्थापना के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू होगा. इस वर्ष पूरे नौ दिनों की नवरात्रि होगी. पूरा वातावरण दुर्गा सप्तशती पाठ और वैदिक मंत्रोच्चार से गुंजायमान होगा. उन्होंने बताया कि कलश स्थापना प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त के साथ-साथ दिन में कभी भी किया जा सकता है. हालांकि, सुबह की प्रहर में कलश स्थापना श्रेयस्कर होगा. देवी भागवत पुराण के अनुसार प्रति दिन एक शक्ति पूजा का विधान है. श्रृष्टि की संचालिका आदि शक्ति की नौ कलाएं हैं वहीं दुर्गा के रूप में पूजी जाती हैं. मार्कंडेय पुराण के अनुसार नवरात्रि के दौरान शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंडा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी के साथ सिद्धिदात्री दुर्गा के रूपों की अनुष्ठान की जाती है. ज्योर्तिविद ने बताया कि इस वर्ष नवरात्र में मां दुर्गा डोला पर सवार होकर विराजेंगी और मुर्गे पर गमन करेंगी. डोला पर आगमन और मुर्गे पर गमन प्राणी के लिए शुभ संकेत नहीं है.
बुधवार सप्तमी को प्राण प्रतिष्ठा
ज्योतिर्विद ने बताया कि अगले सप्ताह के मंगलवार यानी आठ अक्टूबर को ज्येष्ठा नक्षत्र युक्त षष्ठी तिथि है. उसी दिन संध्याकाल में बिल्व पूजा, देवी आवाहन और अधिवासन होगा. दूसरे दिन नौ अक्टूबर बुधवार को प्रातः सात बजकर 30 मिनट के बाद से सप्तमी तिथि के साथ में मूल नक्षत्र भी है. सप्तमी तिथि को वैदिक मंत्रोचार के साथ नव दुर्गा का आवाहन होगा. इसके साथ ही पूजा पंडालों में स्थापित प्रतिमा के पट खोले जायेंगे इसी दिन पत्रिका प्रवेश व सरस्वती आवाहन भी होगा. अगले दिन 10 अक्तूबर गुरुवार को महानिशा पूजा होगी. उन्होंने बताया कि 11 अक्तूबर शुक्रवार को दुर्गापाठ का हवन होगा. पूजा पंडालों में प्रातः छह बजकर 27 मिनट से सात बजकर 16 मिनट के बीच संधिपूजा होगी.12 अक्तूबर शनिवार को दशमी तिथि व श्रवणा नक्षत्र होने के कारण सरस्वती विसर्जन, पंडालों में दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन होगा. शमी पूजन, नीलकंठ दर्शन इसी दिन किये जायेंगे. नवरात्रि व्रत का पारण भी प्रातः काल में ही किया जायेगा. उक्त दिन पूरे देश के हिन्दू धर्मावलंबी धूमधाम से विजयादशमी मनायेंगे.भगवान श्रीराम ने भी की थी श्रृष्टि संचालिका आदि शक्ति की पूजा
ज्योतिर्विद ने बताया कि शास्त्रों में वर्णित है कि नवरात्रि में देवी की पूजा और आराधना से मां की असीम कृपा प्राप्त होती है .त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए श्रृष्टि संचालिका मां दुर्गा की अराधना की थी. नवरात्रि में दुर्गा पाठ के अलावा श्रीरामचरितमानस का पाठ भी किये जाते हैं. वैदिक और लौकिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा की अराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. घर परिवार में नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. साथ ही दैहिक, दैविक व भौतिक तापों का प्रभाव समाप्त हो जाता है. यह समय तंत्र-मंत्र, विद्या सिद्धि के लिए उपयुक्त माना जाता है. ज्योतिर्विद ने बताया कि 10 अक्टूबर गुरुवार को ही रात्रिशेष चार बजकर 36 मिनट पर सूर्य चित्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. स्त्री पुरुष, सूर्य चंद्र योग, खर वाहन और स्वामी शुक्र होने के कारण आकाश में बादल मड़रायेंगे और तेज हवा के साथ वर्षा होने की संभावना रहेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है