औरंगाबाद कार्यालय.
सदर अस्पताल को सुर्खियों में रहने की आदत सी बन गयी है. कभी हंगामे की वजह से अस्पताल सुर्खियों में रहता है, तो कभी कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से. अब गुटबाजी के कारण सदर अस्पताल सुर्खियों में आ गया है. निशाने पर उपाधीक्षक डॉ सुरेंद्र कुमार है. किन वजहों से गुटबाजी हो रही है यह कर्मियों को पता है, लेकिन कोई भी कर्मचारी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. जिस वक्त से उपाधीक्षक की जिम्मेदारी डॉ सुरेंद्र को मिली है उस वक्त से अस्पताल में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है. गुटबाजी में अस्पताल के कुछ कर्मचारी भी शामिल हैं. बड़ी बात यह है कि इस गुटबाजी का खामियाजा अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. उदाहरण के तौर पर 11 फरवरी को अस्पताल में हुई तोड़फोड़ व महिला कर्मचारियों के साथ हुए दुर्व्यवहार को लिया जा सकता है. 13 फरवरी को कार्य बहिष्कार को लेकर हुई बैठक की कड़ी भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ विशेष शाखा सदर अस्पताल द्वारा मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को एक आवेदन दिया गया था, जिसमें 17 फरवरी से कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गयी थी. पत्र में कहा गया था कि 11 फरवरी को एएनएम मीरा कुमारी, जीएनएम पिंकी कुमारी, रूही कुमारी तथा 13 फरवरी को महिला चिकित्सक डॉ बेनजीर बानो के साथ मरीज के परिजनों द्वारा दुर्व्यवहार किया गया. इसके बाद भी अब तक किसी तरह की सुरक्षा मुहैया नहीं कराया गया, जिससे चिकित्सकों एवं कर्मियों में भय व्याप्त है. 13 फरवरी को बैठक में लिये गये निर्णय के आलोक में सभी चिकित्सक एवं कर्मी 17 फरवरी से उपस्थिति बनाकर सुरक्षा प्रदान होने तक कार्य का बहिष्कार करेंगे. पत्र में यह भी कहा गया है कि उपाधीक्षक द्वारा लगाया गया आरोप कि महिला कर्मी मीरा कुमारी द्वारा मरीज के परिजन पर हाथ उठाया गया, जबकि वह अपना बचाव कर रही थी. ऐसे पदाधिकारी को प्रशासनिक स्तर पर बने रहना सही नहीं है. यानी उपाधीक्षक को हटाने की एक तरह से मांग की गयी. इस आवेदन पर बहुत से कर्मियों व डॉक्टरों का हस्ताक्षर किया था.धोखे से लिया गया हस्ताक्षर
सदर अस्पताल में गुटबाजी और षडयंत्र को तब हवा मिली जब 14 फरवरी को अस्पताल के कर्मचारी पूनम कुमारी, बेबी कुमारी, अन्नया राज, सुधीर कुमार वर्मा, निर्मला महतो, वीरेंद्र कुमार, राहुल कुमार सिंह सहित कई कर्मचारियों ने समाहरणालय पहुंचकर डीएम के समक्ष शिकायत दर्ज करायी. सिविल सर्जन को भी मामले से अवगत कराया. आवेदन देकर कहा कि 13 फरवरी को बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की बैठक में उपाधीक्षक डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह को हटाने पर किसी तरह की बात नहीं हुई थी. कर्मचारी के साथ मारपीट करने वाले व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उपाधीक्षक के पदस्थापना के बाद अस्पताल की व्यवस्था में सुधार हुआ है. उनसे किसी तरह की शिकायत नहीं है. धोखे से गलत शिकायत पर हस्ताक्षर करवाया गया है. कर्मियों ने कहा है कि उनके द्वारा जो शिकायत पत्र दिये गये है उसे बिना पढ़े हुए उन लोगों ने हस्ताक्षर बनाया.
डॉक्टरों ने किया हस्ताक्षर से इंकार
उपाधीक्षक को हटाये जाने से संबंधित शिकायत पत्र पर कई डॉक्टरों ने अपना हस्ताक्षर होने से इंकार किया है. सूत्रों से जानकारी मिली कि बहुत से डॉक्टरों का हस्ताक्षर उपाधीक्षक को हटाने के पक्ष में कराया गया था. अब वही डॉक्टर कह रहे है कि उन्होंने हस्ताक्षर ही नहीं किया है.
निर्भिक होकर काम करें स्वास्थ्य कर्मी : डीएम
डीएम श्रीकांत शास्त्री ने बताया कि अस्पताल की वर्तमान स्थिति से वे अवगत हुए है. स्वास्थ्य कर्मियों ने उन्हें तमाम तरह की बातों से अवगत कराया है. उन्हे आश्वस्त किया गया है कि वे निर्भिक होकर काम करे. किसी तरह की परेशानी नहीं होगी. स्वास्थ्य कर्मी के साथ हुई घटना में कार्रवाई की गयी है. सुरक्षा के लिहाज से मामले को गंभीरता से लिया गया है. अस्पताल की व्यवस्था पर उनकी पूरी निगाह है. गुटबाजी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जायेगी.
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