Aurangabad News : लगातार बारिश होने व इलाके में बाढ़ से किसानों को नुकसान
Aurangabad News: दधपा, अंबा व घेउरा माली बिगहा में की गयी है गेंदा फूल की खेती
अंबा. पिछले दिनों लगातार बारिश होने तथा कुटुंबा प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न नदी नाला में बाढ़ आ जाने से जहां दो लोगों की जान चली गयी, वहीं कई लोगों के मकान गिर गये. कई जगह रास्ते में भी कटाव हो गये. इसके साथ ही विभिन्न फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. सबसे अधिक नुकसान सब्जी व गेंदा फूल की खेती को हुआ है. लगातार पानी जमा रहने से सब्जी व गेंदा फूल की फसल खराब हो गयी है. प्रभावित किसान सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं. गेंदा फूल की खेती से आमदनी होने के समय पर ही फसल नष्ट होने से किसान काफी मर्माहत हैं. किसानों को दशहरा व दीपावली के त्योहारों के चलते अच्छी कमाई होने की उम्मीद थी. लेकिन बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. कुटुंबा प्रखंड के दधपा गांव के किसान संतोष मालाकार ने अंबा में लगभग पांच बीघा जमीन में गेंदा फूल की खेती की है. इसी प्रकार दधपा गांव के राहुल मालाकार व सुनील मालाकार ने एक एक बीघा जमीन में गेंदा फूल की खेती की है. घेउरा टोले माली बिगहा गांव के किसान दीपक मालाकार व शत्रुघ्न मालाकार ने एक-एक बीघा जमीन में, ओम प्रकाश मालाकार, नंदू भगत व अखिलेश मालाकार ने 10-10 कट्ठा व चंदन मालाकार ने लगभग आठ कट्ठा जमीन में गेंदा फूल की खेती की है. किसानों का कहना है कि दशहरा व दिवाली के त्योहार को ध्यान में रखते हुए उन्होंने गेंदे के फूल की खेती की थी. लेकिन बारिश ने सब बर्बाद कर दिया. किसानों ने बताया कि त्योहारों में फूलों की अच्छी डिमांड होती है. और उन्हें फूल बेचकर मोटा मुनाफा होता था, लेकिन इस वर्ष बारिश ने सब चौपट कर दिया. अब उन्हें मुनाफा के बजाय नुकसान झेलना पड़ रहा है. लागत निकालना भी मुश्किल किसान दीपक मालाकार ने बताया कि एक बीघा में गेंदा फूल की खेती करने पर लगभग 35 से 40 हजार रुपये लागत आता है. कोलकाता से एक रुपये प्रति पौधा मंगाते हैं. एक बीघा में लगभग 20 हजार रुपये का पौधा लगता है. खाद व मजदूरी मिलकर 35 से 40 हजार रुपये खर्च होता है. अगर सब कुछ सही रहा तो प्रति बीघा किसानों को लगभग 50 हजार रुपये का मुनाफा होता था. अच्छी फसल देखकर किसान खुश थे. पिछले दिनों लगातार हो रही बारिश और बतरे नदी में अचानक आई बाढ़ का पानी किसानों के खेतों में घुस गया. जिसके कारण कुछ पौधे उखड़ गये वहीं कुछ पौधे टूट कर बर्बाद हो गये. बाढ़ का पानी निकालने के बाद अब पौधे सूखने लगे हैं. अचानक आयी बारिश ने मानो किसानों के मुंह का निवाला छीन लिया हो. नुकसान देखकर किसान परेशान हैं. अब उन्हें मुआवजे की उम्मीद है. क्या कहते हैं अधिकारी डीएचओ डॉ श्रीकांत ने बताया कि गेंदा अथवा अन्य फूल की खेती अगर बड़े स्तर पर की जाती है और कृषि विभाग के संज्ञान में रहता है तो सरकारी प्रावधान के अनुरूप उसे आपदा के तहत सहायता राशि दिया जाता है. अंबा में लगाए गए फूल उस स्तर पर नहीं है, इसलिए उन्हें सहायता राशि नहीं मिल सकेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है