देव. सूर्य नगरी देव स्थित पौराणिक पवित्र सूर्य कुंड तालाब का पानी जहरीला हो गया है. जिस तालाब को कुष्ठ निवारक की संज्ञा दी जाती है. जिस तालाब के पानी में स्नान करने और अर्घ अर्पित करने से रोग, दोष, भय, पाप मिटने की बात कही जाती है, उस तालाब का पानी जहरीला हो गया है. तालाब में विचरण करने वाली मछलियों की जान पर पानी की गंदगी भारी पड़ गयी है. यही वजह है कि एक-दो किलो नहीं बल्कि एक-दो क्विंटल के करीब मछलियां मर गयी. बुधवार की सुबह जब आसपास के लोग तालाब के किनारे पहुंचे तो देखा कि मरी मछलियां पानी में उतरा रही हैं. देखने वालों की भीड़ लग गयी. इसी के साथ गंदगी की चर्चाएं भी शुरू हो गयी. मछलियों की मरने की जानकारी आसपास के इलाकों में आग की तरफ फैल गयी. कुछ लोगों की माने तो मछलियों के मरने के पीछे एकमात्र कारण गंदगी है. छठ मेले के दौरान 10 से 12 लाख लोगों ने सूर्यकुंड तालाब में स्नान के बाद भगवान को अर्घ अर्पित किया. मेला के दौरान सूखी हुई मालाएं-फूल, दूध सहित अन्य पूजा की सामग्री भी फेंकी गयी. पूजा सामग्रियों को फेंके जाने के बाद तालाब का पानी दूषित हो गया. वैसे भी तालाब का कोना-कोना कचरे से पटा पड़ा है. दुर्गंध भी फैल रही है. जब आम लोग कचरे की वजह से तालाब के नजदीक नहीं जा पा रहे है, तो समझा जा सकता है कि तालाब में रहने वाली मछलियों का क्या हाल होगा. ज्ञात हो कि इस तालाब से कभी मछलियों को निकाला नहीं जाता है. न कोई मारता है और न ही कोई खाता है. मरी हुई मछलियां नहीं हटवाई गयी तो बीमारी फैलने की आशंका है. वैसे यह मामला बेहद गंभीर है.
जल्द ही सुंदर व स्वच्छ दिखेगा तालाब
इधर, नगर पंचायत के नगर अध्यक्ष पिंटू कुमार साहिल ने कहा कि छठ मेले के दौरान सूखे फूल माला, दूध सहित अन्य पूजा की सामग्री डालने से पानी प्रदूषित हुआ है. तालाब से कचरों को हटाया जा रहा है. मरी मछलियों को भी निकालने की प्रक्रिया शुरू है. तालाब जल्द ही स्वच्छ व सुंदर होगा.क्या कहते हैं चिकित्सक
पशु चिकित्सक डॉक्टर आरएन प्रसाद ने बताया कि छठ पूजा के दौरान सूर्यकुंड तालाब में दूध, मालाएं-फूल सहित पूजा की अन्य सामग्री फेंकी गयी. इस वजह से तालाब का पानी दूषित हो गया. तालाब में पल रहीं हजारों मछलियां मर गयी. तालाब का पानी सीमित होता है. पानी का निकास होना चाहिए, नहीं होने पर मछलियां ऑक्सीजन की कमी से मर जाती हैं.राजा एल कुष्ठ रोग से हुए मुक्त
मान्यता है कि त्रेता युग में सूर्य कुंड तालाब देव में स्नान करने से प्रयागराज के राजा एल कुष्ठ रोग से मुक्त हो गये थे. तभी से श्रद्धालु इसे कुष्ठ मुक्ति का साधन मानते आ रहे हैं. अपने अद्भुत स्थापत्य व प्राचीनता के कारण सूर्य मंदिर व सूर्य कुंड तालाब विश्व धरोहर में शामिल होने की कतार में है. हालांकि, जो स्थिति है वह भयावह है. तालाब की सौंदर्यता व स्वच्छता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है