Aurangabad News: मिट्टी के दीये से करें घरों में उजियारा

Aurangabad News: श्रीभागवत प्रसाद सिंह मेमोरियल ग्रुप ऑफ कॉलेज में कार्यक्रम का आयोजन

By Prabhat Khabar News Desk | October 26, 2024 10:33 PM

औरंगाबाद कार्यालय. दीपावली दीपों का त्योहार है. भारत भूमि पर दीपावली में दीपक जलाने की परंपरा आदिकाल से रही है. कुछ वर्षों से हम कृत्रिम लाइटों पर ज्यादा निर्भर हो गये हैं. इससे एक तरफ मिट्टी के कारोबार से जुड़े कुम्हारो के घरों में अंधेरा रहने लगा, तो ध्वनि व वायु प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे को अपनाकर अपनी सांसों को ही खतरे में डाल दिया. आधुनिकता की चकाचौंध में गुम हो रही भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए दीपों का त्योहार पर मिट्टी के दीप जलाना आवश्यक है. इसके लिए सभी लोग भारतीय संस्कृति के साथ पर्यावरण को बचाने के लिए मिलजुल कर घरों में मिट्टी के दीये ही जलाएं. इस परंपरा को गति देने के लिए प्रभात खबर ने मुहिम चलाकर लोगों को इसके लिए प्रेरित करने की शुरुआत की है. शनिवार को देव मोड़ स्थित श्रीभागवत प्रसाद सिंह मेमोरियल ग्रुप ऑफ कॉलेज में कार्यक्रम आयोजित किया गया. कॉलेज के अध्यक्ष अभय कुमार सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने यह संकल्प लिया की मिट्टी के दीये प्रज्वलित कर दीपावली मनायेंगे व पर्यावरण बचायेंगे. कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने कहा कि तेज आवाज के पटाखों से भी परहेज करेंगे. प्राचार्य डॉ अरविंद कुमार यादव, श्रेया गुप्ता, ब्रजेंद्र कुमार, दीपक कुमार पाठक, अभिषेक मिश्रा, मोहन सिंह, निक्की कुमारी, रवि राजकुमार, बबलू कुमार, रवि कुमार पाठक आदि लोगों ने शपथ लेते हुए कहा कि वे दीपावली व छठ महापर्व पर मिट्टी के ही दीये जलायेंगे. प्रभात खबर द्वारा चलाए जा रहे मुहिम आम जनता को सकारात्मक सोच में बदलना है. दीपावली दीयो का त्योहार है. आदिकाल से ही दीपावली व छठ महापर्व पर मिट्टी के ही दीपक जलाने की परंपरा है. आधुनिकता के दौर में हम अपनी परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं. इन परिस्थितियों को देखते हुए इस दीपावली में मिट्टी के दीपक जलाने का संकल्प लेना है. इसी उद्देश्य के साथ प्रभात खबर द्वारा इस अभियान को शुरू किया गया है.

पर्यावरण संरक्षण के लिए दीया महत्वपूर्ण : अभय

संस्थान के अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने कहा कि दीपावली के मौके पर दीया जलाना पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है. हमारा पर्यावरण आज इस कदर प्रदूषित हो चुका है कि लोगों के लिए सांस लेना दूभर हो रहा है. दीपावली में तेलयुक्त दीया की जगह इलेक्ट्रिक लाइट से आज हर किसी के घर जगमगाते हैं. बुजुर्गों की माने तो बारिश के बाद कीट पतंग की बहूतायत हो जाती है. तेलयुक्त दीया जलाये जाने से आसपास कीट पतंग दीपक की लौ को देखकर आकर्षित होते हैं. यही आकर्षक उनके मौत का कारण बनता है. इससे पर्यावरण का संतुलन बना रहता है. मिट्टी का दीया इको फ्रेंडली होता है. इससे वातावरण शुद्ध होता है. प्रभात खबर का अभियान सराहनीय है.

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