Aurangabad News : अपने-अपने तरीके से नववर्ष की बांटी खुशियां

Aurangabad News :सूर्य नगरी देव: नववर्ष पर कतारबद्ध श्रद्धालुओं ने की भगवान की पूजा, मांगा आशीर्वाद

By Prabhat Khabar News Desk | January 1, 2025 10:14 PM

औरंगाबाद कार्यालय.

नववर्ष 2025 के आगमन पर पूरे जिले में भक्ति के साथ जश्न का माहौल रहा. हर किसी ने पूरजोर तरीके से नये साल का स्वागत किया और जश्न मनाया. कहीं सुरों की महफिल सजी, तो कहीं जमकर धमाल हुआ. जिले के तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. वैसे धमाल व जश्न की शुरूआत 31 दिसंबर की आधी रात से ही हुई, जो एक जनवरी को भी जारी रहा. जैसे रात के 12 बजे और नये साल का आगाज हुआ, तो लोगों ने एक-दूसरे को शुभकामना देने का सिलसिला शुरू कर दिया. पटाखों की शोर से जिला मुख्यालय गूंज उठा. अलग-अलग जगहों पर पूरी रात रंगारंग कार्यक्रम हुए. गीत-संगीत का दौर चला. वैसे नये साल के स्वागत के लिए सभी ने पहले से ही अपने-अपने हिसाब से तैयारी कर रखी थी. कहीं परिवार के संग लोगों ने पिकनिक का आनंद उठाया, तो कहीं युवाओं ने केक काटकर नये वर्ष की शुरूआत की.

सूर्य नगरी में भक्तों का सैलाब

नववर्ष पर सूर्य नगरी देव में भगवान भास्कर की पूजा अर्चना के लिए हजारों लोग पहुंचे. अहले सुबह से ही कतारबद्ध होकर श्रद्धालुओं ने भगवान से सुखद भविष्य व सुख-समृद्धि की कामना की. औरंगाबाद के अलावा अन्य कई जिलों से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे थे. महिलाओं की संख्या काफी अधिक रही. जहानाबाद से दर्शन करने आये सुरेंद्र प्रसाद, पलामू से पहुंचे संजीव कुमार, शारदा कुमारी, मोहन सिंह, दीपक कुमार, गया से पहुंचे कौशल सिंह, सुमित्रा देवी, सुलेखा कुमारी, रोहतास से पहुंचे विजय कांत, राधा देवी, सूर्यकांत आदि लोगों ने बताया कि भगवान भास्कर का आशीर्वाद हमेशा उन पर रहा है. देव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य प्रबंधक डॉक्टर विकास रंजन, गोलू कुमार, विशाल मिश्रा, समीर मिश्रा, राजू कुमार, पिंटू कुमार, प्रफुल्ल कुमार आदि लोगों ने बताया कि भगवान भास्कर हमेशा औरंगाबाद के लोगों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखते है. आगे भी भगवान सब कुछ बेहतर रखेंगे.

जाम में फंसे जिलाधिकारी, सायरन बजाती रही एंबुलेंस

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नववर्ष 2025 का आगमन पर बुधवार को जश्न का माहौल रहा. नववर्ष पर लोगों ने पार्क व विभिन्न स्तरों पर घूम कर जश्न मनाया तो दूसरी और बड़ी संख्या में लोगों ने आध्यात्मिक कार्यक्रम से नव वर्ष की शुरुआत की. पौष मास की ठिठुरती ठंड में भी काफी उम्मीद और संभावनाओं के साथ नववर्ष का जोश-खरोस से स्वागत किया गया. इधर, श्रद्धालुओं की भीड़ होने की वजह से देव शहर घंटों जाम की जद में रहा. जाम में डीएम भी फंस गये. यही नहीं काफी देर तक एंबुलेंस भी फंसी रही. देव थाने के पुलिस कर्मियों को जाम हटाने में जद्दोजहद का सामना करना पड़ा.

स्कूल पहुंचने में शिक्षकों को उठानी पड़ी दिक्कत

प्रखंड मुख्यालय से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में ड्यूटी करने वाले शिक्षकों को काफी फजीहत उठानी पड़ी. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने पहले ही आदेश जारी किया था कि किसी भी हालत में एक जनवरी को सभी स्कूल खुले रहेंगे और स्कूल नहीं पहुंचने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. शीतलहरी और नये वर्ष का पहला दिन होने के बावजूद अपने-अपने स्कूल पहुंचने के शिक्षक घर से निकले, लेकिन उन्हें पब्लिक वाहन नहीं मिलने से काफी परेशानी उठानी पड़ी. महिला शिक्षक को अधिक फजीहत उठानी पड़ी. अपने-अपने परिवार व दोस्तों से बाइक स्कूटी व अन्य वाहनों के सहारे जैसे-तैसे शिक्षकगण अपने-अपने स्कूल पहुंचे. एक महिला शिक्षक ने बताया कि वह औरंगाबाद में रहती हैं और बस से देव प्रखंड के एक स्कूल में ड्यूटी करने जाती है. स्टैंड में बस नहीं मिलने के कारण अपने देवर को बुलाकर उसकी बाइक से स्कूल पहुंचे.

कार्यालयों में कम रही कर्मियों की उपस्थिति

पहली जनवरी को लोग नये साल के जश्न में डूबे रहे. इसका खासा असर सरकारी कार्यालयों पर देखा गया. विभिन्न विभागों के कार्यालय तो खुले दिखे, लेकिन कार्यालय में कर्मियों और अधिकारियों की उपस्थित बेहद कम देखी गयी. कुछ लोग कार्यालय पहुंचे भी तो आम लोगों की उपस्थिति नहीं होने के कारण साथी मित्रों के साथ कार्यालय में गपशप करते रहे. आम दिनों की तरह बाजार में भी सन्नाटा रहा.

स्कूलों से बच्चे रहे नदारद

नववर्ष के पहले दिन सरकारी-स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बहुत-कम रही. यूं कहे कि न के बराबर रही. एसीएस के निर्देश पर स्कूल खोले गये, लेकिन पहली जनवरी के भीड़भाड़ और पिकनिक के कारण स्कूल में बहुत कम बच्चे पहुंचे. कनकनी और शीतलहर के कारण अभिभावकों ने स्कूल जाने से मना कर दिया. प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय प्लस टू देव के प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रभात कुमार ने बताया कि निर्धारित समय पर स्कूल खुल गया. शिक्षक भी स्कूल में मौजूद थे, लेकिन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या नगण्य थी.

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