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Aurangabad News : भोजन को लेकर निकाले गये गाइडलाइन के बाद छात्राओं की संख्या हुई कम

Aurangabad News:किसी में छात्रावास में चार, तो किसी में दो कर रही शिक्षा ग्रहण, किसी में शून्य

टाइप 4 किये जाने से पढ़ाई छोड़ने को मजबूर कस्तूरबा विद्यालय की छात्राएं

औरंगाबाद नगर.

बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा तरह-तरह के कदम उठाये जा रहे हैं. बालिकाओं के लिए अतिरिक्त सुविधा के साथ-साथ उन्हें कई तरह के प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी विद्यालय में यथासंभव की जाती है. इसके साथ ही कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की स्थापना कर बालिकाओं को बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है. परंतु, अधिकारियों की मनमानी से कहीं न कहीं सरकार व शिक्षा विभाग की व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो रहा है. वैसे भी जिले का शिक्षा विभाग अक्सर चर्चा में रहा है. मामला है औरंगाबाद जिला अंतर्गत कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टाइप 4 की बालिकाओं के पढ़ाई छोड़ने का. प्राप्त जानकारी के अनुसार दो अक्तूबर को जिले में तीन कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टाइप 4 के छात्रावासों का उद्घाटन भव्य तरीके से किया गया था. टाइप 4 के विद्यालय में हाइ स्कूल जम्होर, हाइ स्कूल सिरिस व हाइ स्कूल भरूब शामिल है. इन विद्यालय में नौवीं से 12वीं कक्षा की बालिकाओं के आवासन व पढ़ाई के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराये गये. इन विद्यालयों में बच्चियों का नामांकन प्रारंभ कर पढ़ाई की व्यवस्था भी शुरू की गयी. जानकारी के अनुसार, जम्होर में 32 सिरिस में 28 व भरूब में 31 बालिकाओं का नामांकन हुआ. परंतु, हैरत की बात तो यह है कि वर्तमान में किसी विद्यालय में महज दो से चार बालिकाएं आवासित होकर पढ़ाई कर रही हैं, तो किसी विद्यालय में एक भी बालिका आवासित नहीं है. हैरत की बात तो यह है कि बालिकाओं ने विभागीय अधिकारियों द्वारा भोजन व्यवस्था को लेकर निकल गयी गाइडलाइन के कारण पढ़ाई छोड़ दिया.

क्या है मामला

जानकारी के अनुसार, बालिकाओं को दूसरे विद्यालय में भोजन करने जाने की व्यवस्था दिसंबर महीने से शुरू की गयी है. समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी भोला कुमार कर्ण द्वारा एक पत्र जारी करते हुए बताया गया है कि टाइप 4 में बालिकाओं की उपस्थिति कम रहने के कारण भोजन एवं संचालन पर वित्तीय बोझ अधिक पड़ रहा है. वित्तीय बोझ का हवाला देकर उन्होंने बालिकाओं को भोजन की व्यवस्था बगल के टाइप वन के विद्यालय में कर दिया है. इतना ही नहीं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टाइप 4 के लिए चयनित रसोईया एवं सहायक रसोईया को भी तत्काल प्रभाव से सेवा समाप्त कर दिया गया है. यह व्यवस्था अगले वित्तीय वर्ष शुरू होने तक लागू किया गया है. सवाल यह है कि जब विभाग द्वारा प्रति बालिका खर्च का दर निर्धारित है, तो फिर कम बालिकाओं को होने से वित्तीय बोझ अधिक कैसे पड़ सकता है.

दूसरे विद्यालय में भोजन करने जाने में बालिकाओं को हो रही परेशानी

कस्तूरबा टाइप 4 की बालिकाओं ने विद्यालय इसलिए छोड़ दिया, ताकि उन्हें भोजन करने के लिए दूसरे विद्यालय में जाना पड़ रहा था. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टाइप 4 जम्होर की छात्रा मंजू कुमारी की मां सुनीता देवी ने बताया कि विद्यालय में नामांकन के समय यह कहा गया था कि उनकी बच्चियों को पढ़ाई के साथ-साथ आवासन एवं भोजन की व्यवस्था विद्यालय परिसर में मिलेगी. उन्हें विद्यालय परिसर से बाहर नहीं जाना पड़ेगा, परंतु अब ऐसा नहीं किया जा रहा है. बच्चियों को भोजन व नाश्ता के लिए बगल के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टाइप वन में भेजा जाता है. जहां आने-जाने में उन्हें परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि ऐसे में हम अपनी बच्चियों को विद्यालय नहीं भेज सकते हैं. इसी तरह इस विद्यालय की छात्रा खुशी कुमारी ने बताया कि हमें भोजन के लिए दूसरे विद्यालय में जाना पड़ता है ऐसे में सहज महसूस नहीं होती है. सविता, प्रमिला, नेहा, अनीशा, अमृता, रानी, सुनैना, पूजा, शिवानी, मीणा, आरती, चांदनी, आंचल आदि बालिकाएं भी दूसरे विद्यालय में भोजन करने जाने में असहज महसूस करते हुए विद्यालय छोड़ दिया है. बालिकाओं ने इस संबंध में अपनी वार्डन को आवेदन भी दिया है.

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय सिरिस टाइप 4 में संख्या शून्य

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय सिरिस में 28 बालिकाएं नामांकित है. इनमें से तकरीबन 10 बालिकाएं विद्यालय में आवासित होकर अध्ययन कर रही थी, परंतु वर्तमान स्थिति यह है कि उक्त विद्यालय में एक भी बालिकाएं नामांकित नहीं है. विद्यालय की छात्रा चांदनी, लालसा, माया, माधुरी, कल्पना, सुहानी, नेहा, पुष्पा आदि ने भी दूसरे विद्यालय में भोजन करने में आ रही परेशानी को देखते हुए विद्यालय छोड़ दिया है. इसी तरह जम्होर विद्यालय में 32 बालिकाएं नामांकित है जहां वर्तमान में मात्र तीन बालिका विद्यालय में आवासित होकर पढ़ाई कर रही हैं. इनमें से अनुराधा एवं चांदनी की मां पौथु निवासी गुड़िया देवी ने बताया कि यदि बच्चियों को विद्यालय में भोजन की व्यवस्था नहीं की गयी, तो हम भी अपनी बेटी को लेकर घर आ जाएंगे. उन्होंने बताया कि हम दूसरे विद्यालय से नाम कटवा कर अपनी बेटी को कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में नामांकन कराए थे और अब वहां बेवजह परेशान किया जा रहा है. ओबरा प्रखंड अंतर्गत भरूब कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टाइप 4 की बात करें तो यहां 31 बालिकाओं का नामांकन है, जहां सात बालिकाएं विद्यालय में आवासित हैं. ऐसे में यू कहे तो कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टाइप 4 में संसाधन उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा खर्च लाखों रुपये व्यर्थ साबित हो रहा है.

क्या कहते हैं स्टेट प्रोग्राम अफसर

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टाइप 4 के बालिकाओं को विद्यालय छोड़ने के संबंध में जब विभाग के स्टेट प्रोग्राम अफसर राजेश कुमार ठाकुर से दूरभाष के माध्यम से जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि इस संबंध में फिलहाल उन्हें जानकारी नहीं है. जिले के अधिकारियों से बात कर समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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