Loading election data...

Aurangabad News : हर दिन हजारों श्रद्धालु कर रहे पिंडदान का प्रथम तर्पण, व्यवस्था नदारद

Aurangabad News: स्थानीय के साथ-साथ यूपी व दिल्ली के पिंडदानियों को हो रही परेशानी

By Prabhat Khabar News Desk | September 19, 2024 10:34 PM

सुजीत कुमार सिंह, औरंगाबादऔरंगाबाद में मोक्ष द्वार की पहली वेदी कहे जाने वाली पुनपुन नदी में पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं की कतार लगी हुई है. हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में 15 दिनों तक पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. इसकी शुरूआत 17 सितंबर से हो चुकी है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पुनपुन घाट पर कभी भगवान राम ने माता जानकी के साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पहले पिंड का तर्पण किया था. इसके बाद ही गया के फल्गु नदी में उन्होंने विधि विधान के साथ तर्पण किया था. प्राचीन काल से पुनपुन नदी घाट पर पिंडदान और तर्पण करने के बाद गया के 52 वेदी पर पिंडदान और तर्पण करने की परंपरा रही है. मोक्ष द्वार के रूप में देश-विदेश में विख्यात गयाजी में पितृ पक्ष के दौरान फल्गु नदी या उसके तट पर पिंडदान का बड़ा महत्व है, लेकिन आदि गंगा कही जाने वाली पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी माना जाता है. गरुड़ पुराण में पुनपुन को आदि गंगा कहा गया है, लेकिन पुनपुन नदी औरंगाबाद में अस्तित्व को बचाने में लगी है. पितृ पक्ष के दौरान पिंडदान करने वाले लोगों की भीड़ लगी हुई है. बारुण प्रखंड के सिरिस के समीप पुनपुन नदी घाट पर औरंगाबाद के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों के पिंडदानी अपने-अपने पूर्वजों को पिंडदान करने पहुंचे रहे है. लेकिन, उन्हें यहां समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है. न तो सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था है और न बैठने व पिंड दान करने की जगह है. पहले से बने धर्मशाला में भेड़ बकरियों की तरह लोग पूर्वजों को पिंडदान कर रहे है. कोई पुल के नीचे तो कोई सड़क पर बैठकर पितरों को याद कर रहा है. कुव्यवस्था का आलम इस कदर है कि हर कोई शर्मसार हो जाये. वैसे भी पुनपुन उफान पर है. इस वजह से पिंडदानियों को जगह नहीं मिल पा रहा है. सुरक्षा की बात करें तो सिर्फ दो होमगार्ड जवान के भरोसे परदेशियों की सुरक्षा हो रही है. प्रभात खबर ने जब पड़ताल की तो पिंडदानियों ने व्यवस्था को कोसा.

यहां तो सिर्फ कुव्यवस्था है, किसी तरह किया पिंडदान

इलाहाबाद से अपने पितरों को पिंडदान करने सिरिस पुनपुन घाट पर पहुंचे धर्मनारायण शुक्ला, शिव प्रसाद द्विवेदी, विमलेश पांडेय ने कहा कि पुनपुन को पहली वेदी माना जाता है. यहां पिंडदान करने के बाद ही लोग गया जी में पिंडदान करने जाते है, लेकिन पुनपुन घाट की कुव्यवस्था से उन्हें परेशानी हुई. जैसे-तैसे पिंडदान किया. पिंडदान करा रहे राजेंद शुक्ला ने बताया कि ऐसी कुव्यवस्था उन्होंने कहीं नहीं देखी.

बड़ा नाम सुना था, लेकिन मन उथल-पुथल से भरा रहा

उत्तर प्रदेश के कौसांबी से पहुंचे कमलाकांत पांडेय, उदय मान पांडेय, रिंकी पांडेय, अनिकेत पांडेय ने कहा कि वे गया श्राद्ध के लिए जा रहे थे. रास्ते में बताया गया था कि सिरिस के पुनपुन घाट पर पहला पिंड अर्पण करना है. पुनपुन घाट का बड़ा नाम सुना था, लेकिन जब असुविधा हुई और बैठने को जगह तक नहीं मिला तो मन उथल-पुथल से भर गया. आखिर सरकार व जिला प्रशासन क्या कर रही है.

भिखारियों ने किया परेशान

गोरखपुर से पिंडदान करने पहुंचे घनश्याम दूबे, इंद्रावती देवी,उदभव, शांति देवी आदि लोगों ने कहा कि कई घंटों तक उन लोगों ने पिंडदान किया. परंपरा के अनुसार विधि विधान का निर्वहन किया, लेकिन घाट पर रहे भिखारियों से परेशानी हुई. कभी जबरन पैसे की मांग की गयी तो कभी उनका सामान गायब कर दिया गया. सबकुछ होते हुए भी सामग्रियों की तलाश करनी पड़ी. नोयडा से पहुंचे विक्रम पात्र, उमा प्रसाद, संतोष राणा ने बताया कि नदी से लेकर सड़क तक भिखारियों ने जबरन पैसे लिये. यहां कोई देखने वाला नहीं है.

क्या कहते हैं डीएम

डीएम श्रीकांत शास्त्री ने बताया कि पिंडदानियों को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जायेगी. धूप से बचने के लिए और आराम से पिंडदान करने के लिए टेंट की व्यवस्था बनायी जायेगी. उन्होंने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर तरह से बेहतर व्यवस्था बनायी जाये. पिंडदानियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा बलों को भी तैनात किया जाये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version