दाउदनगर. इस तस्वीर को गौर से देखिये और अंदाजा लगाइये कि यह क्या हो सकता है. एसबेस्ट्स से छाया हुआ जो चीज दिख रही है, वह चाय की दुकान या कोई झोंपड़ी नहीं है, बल्कि अस्थाई चेक पोस्ट है. इसके बगल में जो पुराना टेंट लगा दिख रहा है, वह एक साल पहले इन्हीं पुलिस कर्मियों के लिए लगाया गया था. दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल चौराहा (शहीद प्रमोद सिंह चौक) पर पुलिस का अस्थाई चेक पोस्ट है. यहां ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को आम लोगों की सुरक्षा की जवाबदेही मिली है. पता चला कि वर्तमान में यहां छह होमगार्ड के जवानों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. होमगार्ड के तीन-तीन जवान सुबह और रात यानी दो शिफ्टों में ड्यूटी करते हैं. हालांकि, अभी दो जवान ही ड्यूटी कर रहे हैं. इस स्थान पर लगाया गया टेंट पूरी तरह पुराना हो चुका है, जिसे अस्थाई चेक पोस्ट के लिए लगाया गया था. टेंट फट भी गया है. इस पर धूल कण पड़े हैं. इसके अंदर रहना भी मुश्किल भरा है. बगल में ही झोंपड़ी नुमा स्थान है, जिसमें रहकर होमगार्ड के जवान ड्यूटी कर रहे हैं. इसमें दो चौकी भी लगी है. दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल चौराहे पर पुलिस चेक पोस्ट सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. लेकिन, यहां तैनात पुलिसकर्मी खुद सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं. चेक पोस्ट के लिए एक कमरे तक नहीं बनाया गया है. समझा जा सकता है कि दूसरों की सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस कर्मी ठंड के इस मौसम में 24 घंटे ड्यूटी कैसे करते होंगे. औरंगाबाद-पटना मुख्य पथ के तरारी के समीप दाउदनगर-नासरीगंज सोन पुल चौराहा होते हुए और रोहतास जिले के नासरीगंज इलाकों की ओर और वाराणसी तक वाहनों का आगमन दिन-रात होता रहता है. पुलिस एवं खनन विभाग के कार्रवाइयों में जब्त किये गये वाहनों को भी इसी स्थान पर लगाया जाता है. इस रोड की व्यस्तता को देखते हुए यहां पर चेक पोस्ट की आवश्यकता है. सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से यहां पर चेक पोस्ट की जरूरत है और पुलिस चेक पोस्ट बनाया भी गया है.
मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव
इस चेक पोस्ट पर तैनात पुलिस जवानों के लिए मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है. एस्बेस्टस के छावनी वाले एक अस्थाई कमरे में दो बेड लगे हुए हैं,जो खुला हुआ है. पेयजल के लिए आसपास के होटल या सार्वजनिक चापाकल व नल का सहारा लेना पड़ता है.
खबर छपने के बाद बदला था टेंट में
गौरतलब है कि यह अस्थाई चेक पोस्ट पहले झोंपड़ीनुमा एस्बेस्टस के कमरे में चल रहा था. 28 दिसंबर 2023 को “यह झोपड़ी नहीं, पुलिस चेक पोस्ट है साहब ” शीर्षक से प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद चंद घंटे में ही इसे टेंट में बदल दिया गया था. इसकी भी खबर 29 दिसंबर 2023 को “चंद घंटे में झोंपड़ी बदली टेंट में, अब आराम से ड्यूटी करेंगे पुलिसकर्मी ” शीर्षक से प्रभात खबर में खबर छपी थी. लेकिन, टेंट लगा दिये जाने के बाद इसके संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसके रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और यह टेंट भी रहने लायक नहीं रह गया. एक बार फिर से पहले वाली ही स्थिति उत्पन्न हो गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है