Aurangabad News : एक हीं पौधे में फल रहा टमाटर और बैगन
Aurangabad News: आधुनिक तकनीक का कमाल : बेहतर उत्पादन से अच्छी कमाई की उम्मीद
चिल्हकी बिगहा गांव के बधार में आत्माध्यक्ष ने ग्राफ्टेड विधि से टमाटर की खेती
विश्वनाथ पांडेय, औरंगाबाद/अंबा
अब तक आपने टमाटर के पौधे से टमाटर और बैंगन के पौधे में बैगन का फल निकलते देखा होगा. अब एक ही पौधे में टमाटर और बैगन फलते दिख जाये, तो हैरान होने की जरूरत नहीं है. यह सब आधुनिक तकनीक का कमाल है. आये दिन कृषि के क्षेत्र में तकनीक का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है. ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिये एक सब्जी के पौधे में दूसरी सब्जी का फलन कराया जा रहा है. प्रखंड क्षेत्र के चिल्हकी बिगहा गांव निवासी प्रगतिशील किसान सह आत्माध्यक्ष बृजकिशोर मेहता ने अपने 10 कट्ठे जमीन में ग्राफ्टेड टमाटर की खेती की है. टमाटर के इस पौधे में बैगन भी फला है. पौधे की जड़ एक है, पर इसमें दो टहनियां है. एक ही पौधे की एक टहनी में टमाटर की पत्तियां है, तो दूसरी टहनी में बैगन की पत्तियां है. एक टहनी में टमाटर फला है, तो दूसरी टहनी में बैगन. इसे देखकर यहां के लोग आश्चर्यचकित है.
अंबिकापुर नर्सरी से मंगाये गये हैं ग्राफ्टेड टमाटर के पौधे
किसान बृजकिशोर मेहता ने बताया कि ग्राफ्टेड टमाटर के पौधे उन्होंने अंबिकापुर के फार्म से मंगाये हैं. टमाटर की फसल लतरनुमा है. एक पौधे में तकरीबन 50 किलो टमाटर का फलन संभव है. यह टमाटर गुच्छे में फलता है. इन्हीं पौधों में बैगन भी फल रहा है. उन्होंने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक की फसल में रोग भी कम लगते हैं. उन्होंने अधिकांश पौधों से बैगन की टहनी काट दी है. ऐसा करने से टमाटर के पौधे अधिक पुष्ट है और उत्पादन भी अधिक हो रहा है. वर्तमान मे किसान सिर्फ टमाटर का फलन ले रहे हैं. हालांकि, कुछ पौधों में अब भी बैगन की टहनियां है जिसमें बैगन फल रहे है.इसके लिए किसान ने खेत में ड्रिप इरीगेशन की व्यवस्था भी की है. मिट्टी के संपर्क में आने से टमाटर के फल नहीं गले इसके लिए फसल में मल्चिंग की गयी है. किसान ने लत्तर नुमा टमाटर के पौधों के बगल में लकड़ी-बांस में तार बांध कर रस्सी के सहारे खड़ा कर सुरक्षित रखा गया है. आत्माध्यक्ष ने बताया कि फिलहाल बाजार में टमाटर का भाव 45 रुपये किलो है. ऐसे में 10 कट्ठे में ग्राफ्टिंग टमाटर की खेती से दो लाख रुपये तक आमदनी की उम्मीद है.गमले में भी की जा सकती है ग्राफ्टेड खेती
कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप चौबे ने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक से ऐसा पौधा विकसित किया जा सकता है, जिसमें एक साथ आलू और टमाटर, बैगन और मिर्च या टमाटर और बैगन आदि सब्जियों का उत्पादन हो सकता है. कृषि विज्ञान में इसे पोमैटो और ब्रिमैटो का नाम दिया गया है. इस तकनीक में एक पौधे के रूट स्टॉक को दूसरे पौधे के शॉट स्टीम से जोड़ा जाता है. मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि ग्राफ्टिंग बैंगन के पौधे जब 25-30 दिन और टमाटर के पौधे 22-25 दिन के हो जाते हैं, तब उनकी ग्राफ्टिंग की जाती है. इसमें नीचे बैंगन का रूटस्टॉक इस्तेमाल किया जाता है, उसके बाद उसमें टमाटर और बैंगन की एक दूसरी किस्म के पौधे की ग्राफ्टिंग की जाती है, इस तरह से एक ही पौधे में तीन किस्म के पौधे होते हैं, दो बैंगन के और एक टमाटर का. उन्होंने बताया कि बैंगन और टमाटर दोनों एक ही फैमिली के पौधे होते हैं और दोनों पौधों का अपना अलग-अलग खासियत होता हैं, जैसे कि बैंगन के पौधा में अगर अधिक पानी भी भर जाए तो उसकी जड़ें नहीं गलती हैं, जिससे पौधा खराब नहीं होता है और अगर सूखे की स्थिति है तब भी फसल पर कोई खास असर नहीं पड़ता है. जबकि, टमाटर न ही अधिक पानी सहन कर सकता है और न ही सूखा सहन कर सकता है. इससे फायदा है कि कम जगह भी गमले में इस तरह की खेती की जा सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है