औरंगाबाद. हैलो ! मैं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना से बोल रहा हूं. आपकी बेटी इंटर कंपार्टमेंटल के परीक्षा में केमेस्ट्री व बायलॉजी विषय में फेल कर रही है. उसे इंटर पास कराना है तो पेफोन में रुपये पेमेंट करने होंगे. इस तरह के कॉल इन दिनों बच्चों के अभिभावक के मोबाइल पर आ रहे हैं. जिनके बच्चों ने मैट्रिक व इंटर की परीक्षा दी है, अभिभावक ऐसी कॉल से हैरान है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर उनका फोन नंबर कॉल करने वाले फर्जी कर्मियों को कहां से और कैसे मिल जाता है. हालांकि, ऐसे कॉल मोबाइल पर आये तो अभिभावकों को पूरी तरह से सतर्क रहने की जरूरत है. मंगलवार को तकरीबन 1:30 बजे माली थाना क्षेत्र के गम्हरिया गांव निवासी अजय ठाकुर के मोबाइल फोन पर कॉल आया कि आपकी बेटी प्रियंका कुमारी उक्त दोनों पेपर में फेल कर गयी है. उसे बहुत ही कम नंबर आया है. उसे पास कराने के लिए हर हाल में 10 हजार रुपये देने होंगे. फोन करने वाला व्यक्ति अपना नाम रंजन व बिहार बोर्ड के परीक्षा विभाग का स्टाफ बताया. इतना तक बताया कि हम चार स्टाफ है. 10 हजार रुपये से कम पेमेंट करने पर सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है. इसी क्रम में उन्होंने प्रभात खबर की टीम से संपर्क किया. इसके पश्चात मीडिया कर्मियों ने इसकी जानकारी फोन से जिला शिक्षा कार्यालय औरंगाबाद को दी. विभागीय अधिकारियों ने सावधान रहने की नसीहत दी है. इस तरह का कॉल आज हीं नहीं बल्कि पहले भी कई लोग इसका शिकार हुए है. जानकारी के अनुसार उक्त छात्रा इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षा 2024 में फेल कर गयी है. इसके बाद फेल विषयों में उत्तीर्ण होने के लिए गत सप्ताह कंपार्टमेंटल परीक्षा में शामिल हुई है. परीक्षा संपन्न होते के साथ ही सक्रीय हो जाते हैं साइबर अपराधी बिहार बोर्ड पिछले महीने इंटर व मैट्रिक का रिजल्ट प्रकाशित कर दिया है. उस समय भी मूल्यांकन के पश्चात व रिजल्ट से पहले साइबर अपराधी पूरी तरह से सक्रीय थे. वर्तमान में कंपार्टमेंटल परीक्षा के उत्तर-पुस्तिकाओं के मूल्यांकन शुरू होने से पहले से ही जालसाज सुदूर ग्रामीण इलाके के भोले-भाले अभिभावक को अपना निशाना बना रहे है. स्थिति ऐसी है कि बोर्ड के फर्जी कॉल आने से अभिभावक की परेशानी बढ़ जा रही है. उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर क्या करें. आश्चर्य की बात तो यह है कि साइबर अपराधी परीक्षार्थियों का रौल कोड व रौल नंबर के साथ-साथ परीक्षार्थी तथा उनके माता पिता, स्कूल कॉलेज का नाम व अभिभावक का फोन नंबर कहां से और कैसे उपलब्ध कर लेते हैं. ऐसे में ठगी के शिकार होने से अपने आप को बचाना हर व्यक्ति के लिए सहज प्रतीत नहीं होता है. जानकारी के अनुसार अब तक कई लोग फर्स्ट डिवीजन रिजल्ट के चक्कर में हजारों रुपये गवां चुके हैं, फिर भी मीडिया कर्मियों से बताने से परहेज कर रहे हैं. फोन करने वाला जालसाज कभी अपने आप को बोर्ड का स्टाफ कभी डाटा इंट्री ऑपरेटर तो कभी परीक्षक बता रहा है. ऐसे जानकारों का मानना है कि जितनी परेशानी साइबर अपराधी की सक्रियता से नहीं है, उससे अधिक शासन तंत्र की निष्क्रियता है. अगर मामले में कार्रवाई होती तो अभिभावकों के मोबाइल पर इस तरह के कॉल करने की किसी को जुर्रत नहीं होती. बिहार बोर्ड में पैरवी की गुंजाइश नहीं बिहार बोर्ड द्वारा आयोजित मैट्रिक व इंटर के मूल्यांकन से लेकर रिजल्ट तक पैरवी की कोई गुंजाइश नहीं रह गयी है. आंसर सीट पूरी तरह से वारकोडेड रहता है. परीक्षा समाप्त होने के पश्चात आंसर सीट से रौल कोड, रौल नंबर व परीक्षार्थी का फोटो उत्तर-पुस्तिका से हटाकर अलग से स्टीकर चिपका दिया जाता है. यहां तक की किस स्टूडेंट की कॉपी है, इसकी भनक परीक्षकों या फिर मूल्यांकन कार्य में शामिल कर्मियों को नहीं लगती है. मूल्यांकन के साथ हीं ऐन वक्त बोर्ड को ऑनलाइन मार्क्स पेस्ट कर दिया जाता है. इसके लिए अलग से मेकर चेकर व सुपरवाईजर लगाए जाते है. मेकर मूल्यांकित आंसर सिटों का मार्क्स इंट्री करते है. इसके बाद आंसर सीट चेकर के टेबल पर ऑनलाइन करने के लिए दिया जाता है. दोनों के बीच का मार्क्स का मिश मैच करने पर सुपरवाईजर मिलान कर उसे सुधार कर लेते है. कहीं से फर्जीवाड़ा का रास्ता नहीं दिखता है. यहां तक कि अवार्डसीट व मार्क्स फाईल का ऑफिस कॉपी तथा कंप्यूटर कॉपी अलग-अलग सील पैक लिफाफे में बोर्ड को सुपूर्द किया जाता है. क्या बताते हैं अफसर जिला शिक्षा कार्यालय के डीपीओ दयाशंकर सिंह ने कहा कि अगर इस तरह से कोई भी व्यक्ति आपके मोबाइल पर कॉल करके इंटर या मैट्रिक परीक्षा में पास कराने के लिए पैसा मांगे तो झांसे में नहीं आना है. इसकी शिकायत तुरंत पुलिस से करें. साइबर अपराधी स्कूल के कंप्यूटर व कैफे के डाटा हैक कर लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं. बिहार विद्यालय बोर्ड इस तरह का फोन किसी को नहीं कर रहा है.ये साइबर अपराधी है, जो फर्जीवाड़ा कर भोले-भाले अभिभावकों को ठगी करने का प्रयास कर रहे है.
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