Bihar Land Survey: जमीन सर्वे ने उड़ाई रैयतों की नींद, इन कागजों को लेकर उमड़ी भीड़, देखिए वीडियो…
Bihar Land Survey शिविर कार्यालय रैयतों से भरा पड़ा था. रैयत अपनी अपनी भूमि से संबंधित दस्तावेज कर्मचारी को जमा कर रहे हैं. रैयतों ने बताया कि भले ही सरकार की मंशा इस सर्वेक्षण को कराकर भूमि विवाद के मामलों में कमी लाने की हो, लेकिन इस सर्वेक्षण कार्यक्रम की शुरुआत होने के बाद ऐसी आंशका भी बन गयी है कि कहीं विवाद के मामले बढ़ न जायें.
Bihar Land Survey बिहार सरकार के निर्देश पर शुरू हुए बिहार में भूमि सर्वे ने रैयतों को हलकान कर दिया है. रैयतों की नींद उड़ी हुई है.किसान परेशान हैं. पर दूसरी ओर लोगों को आसारा भी है कि बाप-दादों की जमीन का बंटवारा अब बेहतर तरीके से हो जायेगा.
‘प्रभात खबर‘ की टीम के सदस्य सुजीत कुमार सिंह और विनय कुमार सिंह ने औरंगाबाद के मदनपुर के बनिया पंचायत के सरकारी भवन में चल रहे विशेष सर्वेक्षण शिविर का जायजा लिया.शनिवार की दोपहर एक बजे प्रभात खबर की टीम वहां पहुंची. सर्वे में क्या- क्या परेशानी आ रही है? इसका जायजा भी लिया.टीम यहां करीब दो घंटे तक स्थिति का जायजा लिया.
शिविर कार्यालय रैयतों से भरा पड़ा था. रैयत अपनी अपनी भूमि से संबंधित दस्तावेज कर्मचारी को जमा कर रहे हैं. रैयतों ने बताया कि भले ही सरकार की मंशा इस सर्वेक्षण को कराकर भूमि विवाद के मामलों में कमी लाने की हो, लेकिन इस सर्वेक्षण कार्यक्रम की शुरुआत होने के बाद ऐसी आंशका भी बन गयी है कि कहीं विवाद के मामले बढ़ न जायें.
स्थिति यह है कि तीन-तीन पुश्तों के नाम पर चल रही जमीन का बंटवारा कर इस बार रैयत अपने नाम पर कराना चाह रहे हैं. लेकिन व्यावहारिक रूप से कई पेच सामने आने लगे हैं. नतीजतन चाहते हुए भी वास्तविक रैयत अपनी भूमि को अपने नाम से अभिलेखों को सुधरवा पाने में परेशानी महसूस कर रहे हैं. स्थिति यह है की भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया बड़े,मंझले और छोटे किसानों के मानसिक तनाव का कारण बन गयी है.
शिविर कार्यालय रैयतों से भरा पड़ा था. रैयत अपनी अपनी भूमि से संबंधित दस्तावेज कर्मचारी को जमा कर रहे हैं. रैयतों ने बताया कि भले ही सरकार की मंशा इस सर्वेक्षण को कराकर भूमि विवाद के मामलों में कमी लाने की हो, लेकिन इस सर्वेक्षण कार्यक्रम की शुरुआत होने के बाद ऐसी आंशका भी बन गयी है कि कहीं विवाद के मामले बढ़ न जायें.
स्थिति यह है कि तीन-तीन पुश्तों के नाम पर चल रही जमीन का बंटवारा कर इस बार रैयत अपने नाम पर कराना चाह रहे हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से कई पेच सामने आने लगे हैं. नतीजतन चाहते हुए भी वास्तविक रैयत अपनी भूमि को अपने नाम से अभिलेखों को सुधरवा पाने में परेशानी महसूस कर रहे हैं. स्थिति यह है की भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया बड़े,मंझले और छोटे किसानों के मानसिक तनाव का कारण बन गयी है.