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20 बेड के फैब्रिकेटेड वार्ड निर्माण का मामला अधर में

पुराने भवन की छत के हिस्से टूट कर गिर रहा

दाउदनगर. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दाउदनगर के भवन का निर्माण 1963 में किया गया था. करीब दो दशक तक दीवाल व फर्श की मरम्मति करायी गयी. लेकिन नये भवन का निर्माण आज तक नहीं कराया जा सका. पुराने भवन में ही ओपीडी से लेकर मरीज तक का वार्ड संचालित हो रहा है. पुराने भवन के छत के हिस्से टूटकर गिरते रहते हैं. इसी भवन में ओपीडी संचालित होता है और मरीजों का वार्ड भी है. दो दशक पहले ही एक और भवन बनाया गया था, जिसमें प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य प्रबंधक व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का कार्यालय है. इस भवन में भी बारिश होने पर छत से पानी टपकना शुरू हो जाता है. नाइट ड्यूटी व इमरजेंसी ड्यूटी में रहने वाले चिकित्सकों के लिए कोई कमरा नहीं है. चिकित्सा पदाधिकारी के बैठने के लिए कोई चैंबर तक नहीं है. कई वर्षों से इस भवन के जीर्णोद्धार या नये निर्माण करने की मांग उठ रही है, लेकिन अब तक यह मांग पूरी नहीं हो सकी है. बीच-बीच में चर्चा जरूर होती रही. नये भवन नहीं बनने की स्थिति में पीएचसी में 20 बेड के फैब्रिकेटेड वार्ड की स्वीकृति साल भर पहले मिली थी. इसके लिए भूखंड की मापी भी हो चुकी है. पिछले वर्ष ही जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी. लेकिन, आज तक फैब्रिकेटेड वार्ड नहीं बन सका और समस्या जस की तस बनी हुई है. ऐसा लगता है कि फैब्रिकेटेड वार्ड का मामला अधर में लटक गया है. जबकि, यदि नया भवन का निर्माण कराया करा दिया जाता है या फिलहाल फैब्रिकेटेड वार्ड का निर्माण कर दिया जाता है, तो चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों के साथ-साथ मरीजों को भी काफी सुविधा मिलेगी. वैसे ऐसा होता दिख नहीं रहा है. कुछ स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि जिस स्थान पर फैब्रिकेटेड वार्ड के लिए मापी करायी गयी है, वहां पर पीएचसी की चहारदीवारी भी नहीं है. वह हिस्सा भी अतिक्रमण का शिकार होता जा रहा है. इसे देखने वाला भी कोई नहीं है. सूत्रों से पता चला कि पीएचसी के भवन के लिए राशि आवंटन नहीं होने की स्थिति में भवन की स्थिति को देखते हुए 20 बेड के फैब्रिकेटेड वार्ड बनाने की स्वीकृति भी मिली है, लेकिन यह मामला भी लगभग डेढ़ साल से अधर में लटका है, जबकि इसके लिए जगह भी चयनित हो चुकी है. पीएचसी परिसर में ही 40 गुना 40 वर्ग फुट में फैब्रिकेटेड वार्ड बनाने के लिए जगह का चयन किया गया है. अगर इसका भी निर्माण हो जाता तो कम से कम मरीजों के लिए मरीज वार्ड सही हालत में उपलब्ध हो जाता. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से पता चला कि दोनों मामले विभागीय स्तर पर लंबित है. दाउदनगर-बारुण रोड पर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से औरंगाबाद जिले के दाउदनगर, ओबरा व बरुण प्रखंडों के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के अलावे रोहतास जिले के नासरीगंज प्रखंड के गांवों को मिलाकर लगभग डेढ़ से दो लाख की आबादी लाभान्वित होती है. लगभग एक से 150 मरीज का औसतन प्रतिदिन ओपीडी में इलाज होता है. कभी-कभी संख्या बढ़ भी जाती है. नियमित टीकाकरण होता है. गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. स्वास्थ्य विभाग की बैठकें प्रायः पीएचसी में ही होती हैं. इस प्रकार यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य सुविधा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखता है, लेकिन पुराना एवं जर्जर भवन होने के कारण असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

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