बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे लोगों ने सरकारी सिस्टम का किया विरोध
सुबह होते ही खेत में लगे मोटर पंप पर लग जाती है कतार
फोटो नंबर-100- नल-जल की टंकी के समीप विरोध जताते ग्रामीण 101–फटा हुआ नल-जल की टंकी प्रतिनिधि, मदनपुर अखबार की खबर में लगी तस्वीर त्रासदी से कम नहीं है. कैसे गर्मी के मौसम में बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं. इसका यह उदाहरण है. सुबह से ही पानी लेने के लिए लोगों की कतार लग जाती है. हर कोई अपनी बारी का इंतजार करता है. वैसे यह दृश्य यहां अक्सर आम है. जाहिर है जब लोग पानी के लिए परेशान होंगे, तो सवाल उठेगा ही. वैसे यह तस्वीर मदनपुर प्रखंड की बनिया पंचायत के काशीनगर गांव से संबंधित है. इस गांव के ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे हैं. रविवार को ग्रामीणों ने सरकारी बाबुओं के खिलाफ नाराजगी जताते हुए विरोध दर्ज कराया है. दर्जनों की संख्या में ग्रामीणों ने खराब पड़ी नल-जल के पास पहुंचकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने कहा कि उनके वार्ड में पेयजल की भारी समस्या उत्पन्न हो गयी है. टोले में सरकारी चापाकल व घरों के चापाकल सूख गये हैं. ऐसे में लोगों के समक्ष पानी की भारी किल्लत हो गयी है. स्थानीय स्तर पर पेयजल आपूर्ति का प्रयास नहीं किये जाने और पीएचइडी की ओर से नल-जल को करीब तीन माह से मरम्मत नहीं कराये जाने पर ग्रामीणों में काफी गुस्सा है. ग्रामीण विजय कुमार, अनुज कुमार, नंदलाल भुइंया, जितेंद्र पासवान, प्रेमन भुइंया, बसंती देवी और नगीना देवी समेत अन्य ग्रामीणों का कहना है कि सरकार गरीबों को पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर हर संभव काम कर रही है. लेकिन, हमारे टोले में नल-जल की टंकी तीन माह पहले फट गयी है,लेकिन अब तक अधिकारियों की ओर से नयी टंकी नहीं बैठायी गयी है. हर दिन हम लोगों को पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है. पानी के लिए गांव से आधे किमी की दूरी पर खेत में लगे मोटर के भरोसे निर्भर रहना पड़ता है. किसान खेत में फसल की सिंचाई करते हैं, तब पानी के लिए वहां जाकर पानी लाते हैं. भू-जल स्तर गिरने के कारण चापाकल सूख गये हैं. शिकायत के बाद भी विभाग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. आक्रोशित ग्रामीणों ने बताया कि यदि अविलंब समस्या का समाधान नहीं होता है, तो सड़क पर उतरने के लिए वे विवश होंगे. ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधि और शासन प्रशासन से गुहार लगाकर थक चुके हैं.तीन माह से पेयजल आपूर्ति ठप
प्रखंड क्षेत्र में पीएचइडी पेयजल की आपूर्ति बहाल करने को लेकर चाहे जितने बेहतर दावे क्यों न कर लें, लेकिन पीएचइडी का दावा काशीनगर गांव में खोखला साबित हो रहा है. गांव की जलमीनार में लगी टंकी तीन माह पूर्व ही आंधी में ध्वस्त हो गयी. उसके बाद से पेयजल आपूर्ति बाधित है. इसकी मरम्मत के लिए विभाग के संवेदक या पीएचइडी विभाग गंभीर नहीं है. नतीजतन, 60 घरों के लोगों को पानी के लिए हर रोज इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
क्या कहते हैं ग्रामीण
फोटो नंबर-102-अनिता देवी अनिता देवी ने कहा कि गांव में तीन महीने से पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. इसके कारण परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पानी के लिए रोज परेशान होना पड़ता है. कोई ध्यान नहीं दे रहा है. फोटो नंबर-103-राजाराम कुमारराजाराम कुमार ने कहा कि अभी तक जल की समस्या का निदान नहीं हो पाया है. इसी बात से दुखी होकर ग्रामीणों ने गांव में प्रदर्शन किया है. ताकि, हमारे गांव में भी पानी उपलब्ध हो सके. अधिकारियों व नेताओं को कोई फिक्र नहीं है.
फोटो नंबर-104-सुनील पासवान
सुनील पासवान ने कहा कि हमारे गांव में पीने के लिए पानी बिल्कुल उपलब्ध नहीं है और हमारी कोई सुनने वाला नहीं है. केवल वोट मांगने के समय जिला पार्षद से लेकर एमएलए तक आते हैं और वायदे करके चले जाते हैं. मगर, बाद में कोई लौट कर नहीं देखता है. फोटो नंबर-105-राजनंदन पासवानराजदेव भुइंया ने कहा कि गांव के साथ सौतेलापन व्यवहार प्रशासन व स्थानीय जनप्रतिनिधि की ओर से किया जा रहा है. गांव में आसपास के खेतों में मोटर लगे हैं. उससे हम लोग पानी लाकर घर में स्टोर करते हैं. अब देखना है कि शासन-प्रशासन की नजर कब इस गांव पर पड़ेगी और हम लोगों को पानी मिलेगा.
फोटो नंबर-106-बसंती देवी
बसंती देवी ने कहा कि यहां के लोग बाल्टी और डब्बा लेकर इधर-उधर पानी के लिए रोज भटकते हैं. आधे किलोमीटर दूर स्थित खेत में लगे मोटर से पानी लाने के लिए विवश होते हैं. क्या कहते हैं पदाधिकारीबीडीओ कुमुद रंजन ने कहा कि पीएचइडी विभाग के अधिकारी को भेज कर जल्द समस्या का निराकरण किया जायेगा. गांव में बंद पड़ी नल-जल योजना को जल्द चालू कराया जायेगा.
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