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ऐतिहासिक देव सूर्य मंदिर में रविवार को अगहन पूर्णिमा पर दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. भक्तों ने श्रद्धाभाव से सूर्य मंदिर की चौखट पर शीश झुकाकर मंगलकामना की. ठंड के बावजूद पूर्णिमा पर भक्त पुराने सूर्यकुंड में डुबकी लगाने के बाद माला-फूल, नारियल प्रसाद लेकर मंदिर की ओर बढ़े. मंदिर की सीढ़ियों पर मत्था टेक कतारबद्ध हो गये. जयकारे के साथ गर्भगृह पहुंच भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवताओं का विधिवत दर्शन-पूजन किया. सूर्य मंदिर में भगवान का दर्शन कर भक्त अभिभूत हो उठे. अगहन पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऐतिहासिक सूर्यनगरी देव पहुंचे और दर्शन कर भक्तों ने मंगलकामना की. मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी रही. घंटा-घड़ियाल, शंखनाद व भगवान के जयकारे से वातावरण भक्तिमय हो उठा. मंदिर की परिक्रमा करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा. सूर्य मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए देव थाना की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे.पुरुष व महिला सिपाही सुरक्षा में तैनात रहे. कतार में होकर श्रद्धालुओं ने मंदिर में दर्शन किया. औरंगाबाद के अलावा गया, रोहतास, अरवल, जहानाबाद व झारखंड का पलामू समिति अन्य जिलों से श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे. मंदिर में भगवान सूर्य तीन रूपों में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि तीन स्वरूपी भगवान सूर्य के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
भगवान की मिलती है विशेष कृपा
प्रधान पुजारी राजेश पाठक ने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर पवित्र सूर्यकुंड में स्नान कर भगवान सूर्य के दर्शन-पूजन करने से भगवान की विशेष कृपा मिलती है. इस दिन किये जाने वाले दान का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना अधिक मिलता है, इसीलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा भी कही जाती है. यह परम फलदायी माना जाता है. कथा के बाद इस दिन सामर्थ्य के अनुसार गरीबों व ब्राह्मणों को भोजन और दान-दक्षिणा देने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
सुबह से लगी भक्तों की कतार
न्यास समिति के सचिव विश्वजीत राय, कोषाध्यक्ष सुधीर सिंह व सदस्य योगेंद्र सिंह ने कहा कि अगहन पूर्णिमा पर देव सूर्य मंदिर में कड़कती ठंड में सुबह से श्रद्धालुओं की कतार लगी रही. देव सूर्य मंदिर के प्रति लोगों में श्रदा व विश्वास की भावना बढ़ती ही जा रही है. मंदिर प्रशासन श्रद्धालुओं को किसी भी तरह का कष्ट न हो, इसके लिए हमेशा तत्पर रहती है. मंदिर के बाहर भव्य कलाकृति बनायी जायेगी. गर्भ ग्रह को वातानुकूलित कर दिया जायेगा. सूर्य मंदिर पौराणिक है, इसे संजोग कर रखना हम सभी का कर्तव्य है.
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