शपथ पत्र के लिए ज्यूडिशियल टिकट के लिए हो रही मारामारी
कानून विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त कर दस्तावेज तैयार करने में जुटे लोग
औरंगाबाद नगर. सर्वे के दौरान भूस्वामी को अपना जमीन साबित करने के लिए कई तरह के दस्तावेज देने होंगे. इसके साथ ही शपथ पत्र के साथ वंशावली भी देना होगा. रैयत अपनी जमीन पर स्वामित्व साबित करने के लिए दस्तावेज तैयार करने के लिए कानून विशेषज्ञों से जानकारी लेने में जुटे है. वहीं, व्यवहार न्यायालय परिसर औरंगाबाद में टिकट लेने को लेकर इन दिनों मारामारी हो रही है. सुबह होते ही टिकट काउंटर पर सैकड़ों लोग ज्यूडिशल टिकट लेने के लिए पहुंच रहे हैं. परंतु, टिकट लेने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि प्रतिदिन दर्जनों लोग बगैर टिकट लिए काउंटर से घूम रहे हैं. ऐसे में टिकट लेने के लिए काउंटर पर मारामारी हो रही है. लाइन में खड़ा हर व्यक्ति टिकट के लिए की गयी विधि व्यवस्था को कोस रहा है. कई लोग तो टिकट काउंटर पर पदस्थापित कर्मी को गाली-गलौज भी कर रहे हैं. स्थिति काफी गंभीर है. कोर्ट परिसर में हो हल्ला व गाली गलौज होने के बाद भी प्रशासन द्वारा किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है. ऐसा नहीं की टिकट लेने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की भीड़ होती थी, बल्कि भूमि सर्वे का कार्य शुरू होने से अचानक भीड़ बढ़ गयी है. जानकारी के अनुसार, सभी रैयत को वंशावली बनाने के लिए शपथ पत्र तैयार करना होगा. जिसके लिए ज्यूडिशियल टिकट की आवश्यकता है. ऐसे में एकाएक टिकट काउंटर पर भीड़ बढ़ गयी है. हालांकि, अब तक जिले के महत्वपूर्ण 25 प्रतिशत लोग ही इसके लिए लगे हैं. यदि सभी रैयत कागजात तैयार करने में जुट जाये और टिकट लेने के लिए काउंटर पर पहुंच जाये, तो स्थिति और भी खराब हो सकती है. टिकट काउंटर पर कार्यरत कर्मी शेखर सिन्हा ने बताया कि अचानक भीड़ बढ़ने के कारण सर्वर ठीक से काम नहीं कर रहा है. इसकी जानकारी कोऑपरेटिव के अधिकारियों को दी गयी है. लोग काउंटर पर गाली-गलौज करते हुए मारपीट करने की धमकी भी दे रहे है. शपथ पत्र तैयार करने के लिए 125 रुपये की टिकट की जरूरत होती है. 25 रुपये का टिकट तो बगैर नाम का छपता है, जिसे काउंटर कर्मी द्वारा छपाई करके रख लिया जाता है और फिर उसकी बिक्री की जाती है. परंतु 100 रुपये की टिकट शपथ पत्र बनवाने वाले व्यक्ति के नाम से निकाला जाता है. ऐसे में एक ही बार सैकड़ों लोगों को काउंटर पर पहुंचने से परेशानी आ रही है. पहले सभी तरह के टिकट बगैर नाम के निकल जाते थे, जिससे लोगों को सहूलियत होती थी.
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