Loading election data...

सोन में छोड़ा गया पांच लाख 22 हजार क्यूसेक पानी

अचानक फंसे दर्जनों किसान, किया गया रेस्क्यू, सब्जी की खेती बर्बाद

By Prabhat Khabar News Desk | August 5, 2024 10:18 PM

औरंगाबाद/बारुण. सोन नद में अचानक बाढ़ आ जाने से दर्जनों लोग फंस गये. बहुत से लोग तो तैर कर बाहर निकल गये, लेकिन जिन्हें तैरना नहीं आता था वे फंस गये और टीले पर मदद की राह ताकते रहे. सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार, इंद्रपुरी डैम से रविवार की मध्य रात्रि अचानक पांच लाख 21 हजार 964 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. डैम में लगे 69 फाटकों को खोल दिया गया. पता चला कि डैम में खतरे के निशान से ऊपर पानी बह रहा था. वैसे डैम के दोनों तरफ यानी पूर्वी और पश्चिमी कैनाल के फाटक को बंद कर दिया गया है, ताकि कैनाल व गांव का नुकसान न हो. इधर, इंद्रपुरी का पानी सोन में पहुंचते ही अफरा-तफरी की स्थिति बन गयी. सोन के टीले पर खेती करने वाले लोगों के साथ-साथ कुछ अन्य लोग फंस गये. प्रशासन को जानकारी मिली कि बहुत से लोग फंसे हुए है, जिन्हें निकालने की जरूरत है. इसके बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया गया. थानाध्यक्ष कुमार सौरभ की देखरेख में सोन में फंसे लोगों को बाहर निकाला गया. यही नहीं ड्रोन के माध्यम से टीले की जानकारी ली गयी. जहां-जहां जरूरत महसूस हुई, वहां-वहां अभियान चलाया गया. थानाध्यक्ष ने खुद एक-एक व्यक्ति को बाहर निकलवाया. पुलिस के जवानों ने पूरी तत्परता के साथ अभियान को अंजाम दिया. कुछ वाहन भी टीले पर फंस गये थे, जिसे नाव की मदद से बाहर निकाला गया. जानकारी मिली कि बाढ़ के पानी से कई एकड़ में लगे सब्जी के फसल तबाह व बर्बाद हो गये. निषाद विकास संघ के जिलाध्यक्ष रंजीत चौधरी उर्फ नंदी ने बताया कि सोननदी में रोपे गये धान, सब्जी, बागवान, फलदार पौधे सहित अन्य तरह के फसल बर्बाद हो गये. दर्जनों पंपसेट मोटर भी डूब गये. सोननदी में सैकड़ों लोग अपने परिवार के साथ खेती करते है और वही रहते है. उनका एकमात्र जीविकाेपार्जन सोन नदी से ही होता है. बाढ़ से उनलोगों का कपड़ा, अनाज, बाइक आदि पानी में बह गये. कुछ पशुओं को भी बहने की जानकारी मिली है. लोगों को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, पार्षद प्रतिनिधि रौशन चौधरी ने बताया नगर पंचायत बारुण के उनके वार्ड एक के ज्यादतर लोग फंसे हुए थे, जिन्हें फाइवर का नाव बनाकर निकाला गया. पानी में फंसे किसान सिकेंद्र चौधरी, अर्जुन चौधरी, गुड्डू चौधरी, तेतरी देवी, सोनी कुमारी, योगेंद्र कुमार, प्रभु चौधरी, शिवनाथ चौधरी, लालती देवी, सावित्री देवी, लालमुनी चौधरी, देवंती देवी, अजित कुमार के साथ चार वर्षीय मासूम करण कुमार को फाइवर के नाव से सुरक्षित निकाला गया. किसानों ने बताया कि वे लोग सोननदी में खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. बाढ़ आने की सूचना उन्हें नही मिली थी. पहले प्रशासन द्वारा माईक से घूम-घूमकर एनाउंस किया जाता था. इस बार एनाउंस नही हुआ जिसके कारण परेशानी और नुकसान हुआ है. सीओ मंजेश कुमार ने बताया कि रविवार को एनाउंस हुआ था. सोमवार की सुबह पांच बजे इंद्रपुरी डैम के जेई अमित कुमार द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि डैम से पांच लाख 21 हजार 924 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. लगातार जलस्तर में वृद्धि हो रही है. छोटे-बड़े पहाड़ों का पानी आ रहा है, इसलिए अनुमान लगाना कठिन है. वैसे बाढ़ में फंसे लोगों की जानकारी मिलते ही रेस्क्यू के लिए एसडीआरएफ को सूचना दी गयी. इधर, सोन नद में बाढ़ की सूचना मिलते ही औरंगाबाद एसडीएम संतन कुमार सिंह और एसडीपीओ संजय कुमार पांडेय बारुण सोननदी पुल पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली. पदाधिकारीयों ने बताया कि बाढ़ में फंसे लोगों को निकाल लिया गया है. कोई हताहत नहीं हुआ है. किसानों की फसले बरबाद हुई है. ड्रोन कैमरे से निगरानी की जा रही है. प्रशासन बिलकुल मुस्तैद है. लोगों से अपील की गयी है कि सोन नद तट पर बसे लोग सावधान रहे. अभी सोन नद में कोई भी व्यक्ति न जाएं. बताया कि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में लगातार हो रही बारिश के कारण दक्षिण बिहार की सीमावर्ती इलाकों की नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण नीचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. इसी बीच सोन नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया है. हालांकि, स्थिति नियंत्रण में है. बताया जाता है कि वहां पर कई मवेशी भी फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने का प्रयास जारी है. सोन में बाढ़ और बाढ़ के बीच आम लोगों को फंसने का मामला नया नहीं है. कुछ वर्षों के गैप के बाद सोन का बाढ़ विकराल रूप लेता है. जानकारी के अनुसार 23 अगस्त 1975 में 14 लाख 48 हजार क्यूसेक पानी इंद्रपुरी बराज से छोड़ा गया था, जिससे आसपास के गांव भी प्रभावित हुए थे. इसके बाद वर्ष 2011 में सात लाख क्यूसेक पानी आया था. इसके बाद 20 अगस्त 2016 में 11 लाख 67 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. आठ वर्ष बाद यानी चार अगस्त 2024 को पांच लाख 21 हजार 964 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. सोन नद के दोनों तट बारुण और डेहरी के तट तक भरपूर लबालब पानी बह रहा है. सोन नद में खेती कर रहे फंसे हुए दर्जनों किसानों को प्रशासन द्वारा रेस्क्यू कर लिया गया है. इसमें स्थानीय लोगों ने भी भरपूर सहयोग किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version