औरंगाबाद सदर. पूर्वजों की आत्मा की शांति व पूजा के लिए साल के 15 दिन बहुत खास माने जाते हैं. इन्हें पितृपक्ष कहा जाता है. शास्त्रों मंं बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृलोक से धरतीलोक पर आते हैं. इसलिए इस दौरान पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान आदि करने का विधान है. जम्होर स्थित पुनपुन घाट के पुजारी पंडित कुंदन पाठक मलय बताते हैं कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरों का ऋण चुकता हो जाता है. उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. वह परिवारजन को खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से आश्विन माह की अमावस्या तक पितृपक्ष रहता है. इस वर्ष यानी 2024 में पितृपक्ष 17 सितंबर से शुरू हो रहा है. इसका समापन दो अक्तूबर को होगा. इसे लेकर तैयारी जारी है. पुनपुन को श्राद्ध तर्पण की प्रथम वेदी मानी गयी है. यहां पितरों का पिंडदान करने के बाद ही गया जी स्थित फल्गु में पिंडदान करने का प्रावधान है. ऐसे में पितृपक्ष के दौरान बड़ी तादाद में दूर दराज से श्रद्धालु जिले के जम्होर स्थित पुनपुन घाट तर्पण के लिए पहुंचते हैं. यहां इस बार भी श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ होने वाली है. इन ट्रेनों का दिया गया अस्थायी ठहराव पितृपक्ष मेला के दौरान श्रद्धालु यात्रियों की सुविधा को लेकर रेलवे द्वारा महत्वपूर्ण पहल किया गया है. 17 सितंबर से लेकर दो अक्तूबर तक अनुग्रह नारायण रोड और चिरैला पौथू के बीच स्थित अनुग्रह नारायण घाट स्टेशन पर पांच जोड़ी ट्रेनों का दो मिनट का अस्थायी ठहराव प्रदान किया जा रहा है. यह ट्रेन पितृपक्ष के दौरान घाट स्टेशन पर रुकेंगी. जो गाड़ियां रुकेंगी उनमे गाड़ी संख्या 03383/03384 गया-डीडीयू-गया मेमू पैसेंजर स्पेशल, गाड़ी संख्या 03691/03692 गया-डेहरी ऑन सोन-गया मेमू पैसेंजर स्पेशल, गाड़ी संख्या 03381/03382 गया-डेहरी ऑन सोन-गया मेमू पैसेंजर स्पेशल, गाड़ी संख्या 13305/13306 धनबाद-सासाराम-धनबाद इंटरसिटी पैसेंजर व गाड़ी संख्या 13553/13554 आसनसोल-वाराणसी-आसनसोल मेमू पैसेंजर शामिल है. इन ट्रेनों के रुकने से तीर्थ यात्रियों को सुविधा होगी. गौरतलब हो कि अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन एक ऐसा स्टेशन है जहां वर्ष में सिर्फ 15 दिन ही गाड़ियां रूकती हैं. इसके बाद यह स्टेशन वीरान हो जाता है.
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