आठ घंटे की जाम से हाइवे का निकला दम, भूख-प्यास से बिलखते रहे बच्चे
10 मीटर की ट्रैफिक व्यवस्था को प्रशासनिक टीम नहीं संभाल सकी
औरंगाबाद कार्यालय. चुनावी माहौल के साथ-साथ शादी-विवाह के इस मौसम में हाइवे की जाम से बरातियों व आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कब कौन जाम की जद में आ जाये और किसका बंटाधार हो जाये कहा नहीं जा सकता. शुक्रवार की रात आठ घंटे तक हाइवे पर वाहनों के चक्के में ब्रेक लग गया. स्थिति इतनी भयावह थी कि जाम में फंसे लोग कराह रहे थे. इसके पीछे एकमात्र कारण है जिला प्रशासन या यूं कहे परिवहन विभाग की कुव्यवस्था. महज 10 मीटर की ट्रैफिक व्यवस्था को प्रशासनिक टीम नहीं संभाल सकी. फारम मोड़ पर चुनावी वाहनों के आवागमन से महाजाम की स्थिति उत्पन्न हो गयी. इवीएम लेकर सिन्हा कॉलेज स्थित वज्रगृह जाने वाली वाहनों की कतार लगी थी. फारम मोड़ पर थोड़ी सी सावधानी बरती जाती तो जाम की स्थिति से लोगों को कराहना नहीं पड़ता. 200 गज की दूरी तय करने में ही वाहन सवार लोगों को तीन से चार घंटे का वक्त लगा. शाम छह बजे से हाइवे जाम की शुरूआत हुई. रात दो बजे तक सड़क पर वाहन सिसकते रहे. अहले सुबह जाम खुली तो लोगों ने चैन का सांस लिया, लेकिन तब तक उन्हें थकान से दो-चार होना पड़ा. यहां तक कि उनकी उम्मीदें भी ध्वस्त हो गयी. जाम में दर्जनों ऐसे वाहन फंसे थे, जिस पर तिलकहार या बराती थे. तिलक में उपहार स्वरूप देने वाले सामान भी वाहनों पर फंसे थे. बरात व तिलक में जाने वाले छोटे-छोटे बच्चे भूख व प्यास से बिलख रहे थे. बड़ी बात यह थी कि हाइवे पर स्थित एक-दो होटलों से राहत मिली, लेकिन भीड़ की वजह से पानी और भोजन की व्यवस्था भी समाप्त हो गयी थी. ऐसे में पानी के लिए कुछ दूर तक लोगों को पैदल चलना पड़ा. जैसे-तैसे निकालने के चक्कर में कई वाहन गड्ढे में फंसे, बाल-बाल बची जान कामा बिगहा और फारम के बीच इलाके में कई वाहन हाइवे के किनारे बने गड्ढे में फंस गये. वाहनों को निकालने में घंटों जदोजहद करना पड़ा. बहुत से वाहनों को नुकसान भी हुआ. कुछ लोगों की जान तो बाल-बाल बची. हुआ यह कि उस जगह पर हाइवे के तीनों लेन में जाम लगी थी. कुछ वाहन चालक डिवाइडर के सहारे निकलने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन वे कामयाब नहीं हुए, बल्कि उनके वाहन गड्ढे में फंस गये. केस –एक औरंगाबाद शहर से चंद दूरी पर स्थित डिहरी गांव में तिलक समारोह था. गांव से महज पांच किलोमीटर पहले तिलकहार के साथ-साथ तिलक के सामान जाम में फंस गये. कुछ लोग तो पैदल निकल गये, लेकिन बच्चे और बुढ़े गाड़ी में ही बैठे रह गये. अहले सुबह जाम खुलने के बाद तिलक का सामान गांव पहुंचा. केस –दो कैमूर से तिलक चढ़ाने तिलकहार आमस जा रहे थे. चार वाहनों पर करीब 30 लोग सवार थे. उसी में एक वाहन पर तिलक चढ़ाने की रस्म पूरी करने वाला मनोज कुमार और उसके पिता अवधेश प्रसाद भी बैठे थे. आठ बजे तक रात तक उन्हें आमस पहुंचना था, लेकिन वे जाम में फंस गये. सारा सामान भी जाम में था. ऐसे में फारम एरिया के उस पार पहुंचकर एक किराये पर गाड़ी ली और रात 11 बजे तिलकहारों को छोड़कर निकल गये. केस-तीन रोहतास के करगहर से गया के किसी गांव के लिए बारात निकली थी. कामा बिगहा मोड़ के समीप बारातियों से भरी बस जाम में फंस गयी.कुछ छोटे वाहन पर सवार बाराती भी फंसे हुए थे. दूल्हे की गाड़ी भी जाम में थी. किसी तरह कुछ लोगों ने तरकीब निकालकर बहुआरा मोड़ के रास्ते दूल्हे और समधी के साथ कुछ सगे संबंधियों को रवाना किया. उस वक्त रात के 11 बज रहे होंगे. केस –चार किसी बरात में शामिल होने के लिए जा रही बस हाइवे की जाम में फंस गयी. बस पर सवार छोटे-छोटे बच्चे भूख और प्यास से तड़प रहे थे. स्थानीय लोगों ने अपने घर से मिक्चर और पानी की व्यवस्था बनायी. गांधी नगर के कुछ लोगों ने दरिया दिली दिखायी. नीलम पैलेस नामक होटल के कर्मचारियों ने भी पानी की व्यवस्था बनायी.