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बगैर कार्य हुए लाखों रुपये राशि का हो गया भुगतान

योजनाओं की राशि की लूट खसोट को लेकर चर्चा में है जिले का शिक्षा विभाग

औरंगाबाद कार्यालय. विद्यालयों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने को लेकर सरकार द्वारा प्राप्त राशि की लूट-खसोट को लेकर जिले के शिक्षा विभाग का समग्र शिक्षा कार्यालय विगत चार-पांच माह से चर्चा में है. बगैर कार्य हुए राशि भुगतान करने के मामले में पिछले माह विभाग के कार्यपालक अभियंता तबरेज आलम, कनीय अभियंता ऋषिकेश देव व एएमटी मिथिलेश कुमार की सेवा विभाग द्वारा समाप्त कर दी गयी है. यह कार्रवाई समग्र शिक्षा के तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी गार्गी कुमारी द्वारा विभाग को भेजे गये प्रतिवेदन के आधार पर किया गया. हालांकि, गलत तरीके से किये गये भुगतान के मामले में केवल अभियंता संवर्ग के लोग ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि विभाग के कार्यक्रम पदाधिकारी व जिला शिक्षा पदाधिकारी की मिली भगत का मामला भी सामने आने लगा है. अभियंता पर कार्रवाई होने के बाद तत्कालीन कार्यपालक अभियंता तबरेज आलम ने बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक को पत्र लिखकर समग्र शिक्षा के निवर्तमान कार्यक्रम पदाधिकारी गार्गी कुमारी व जिला शिक्षा पदाधिकारी पर योजनाओं की राशि बंदरबांट करने का आरोप लगाया है. हालांकि, इस मामले में अब तक विभाग द्वारा कोई ठोस जांच नहीं किया गया है. जिससे कार्यक्रम पदाधिकारी व जिला शिक्षा पदाधिकारी की मिली भगत है या नहीं इस पर कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है. निवर्तमान कार्यपालक अभियंता द्वारा आवेदन देकर लगाये गये आरोप से यह प्रतीत होता है कि राशि बंदरबांट करने में विभाग के अधिकारियों की संलिप्ता रही है. गौरतलब है कि वर्ष 2024 में विद्यालय भवन की मरम्मत व आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के नाम पर जिला शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा कार्यालय द्वारा करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. जानकारी के अनुसार विद्यालयों में बोरिंग कराकर सबमर्सिबल मोटर लगाने, मरम्मत कार्य कराने सहित पांच लाख रुपये से कम के कार्यों का क्रियान्वयन विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा वेंडर का चयन कर कराया जाना था. प्रधानाध्यापक के स्तर से ही प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान करनी थी, परंतु कई ऐसे प्रधानाध्यापक हैं, जिन्हें इसके बारे में किसी तरह की जानकारी नहीं दी गयी और कार्यालय द्वारा वेंडर को भेज कर कार्य कराया गया. कार्य समाप्त होने के उपरांत प्रधानाध्यापक से सभी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करा लिये गये. इसमें लाखों रुपये गलत तरीके से भुगतान करने का मामला सामने आ रहा है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, विद्यालय में बेंच व डेस्क आपूर्ति वेंडर द्वारा की गयी. पहले तो वेंडर द्वारा प्रधानाध्यापक से कहा गया कि कार्यालय द्वारा बेंच-डेस्क भेजा गया है. परंतु, विभागीय जांच शुरू हुई है, तो सभी प्रधानाध्यापक से खुद वेंडर चयन किये जाने से संबंधित प्रपत्र पर हस्ताक्षर कराये जा रहे हैं. विभागीय अधिकारी के निर्देश पर हेडमास्टर हस्ताक्षर भी बना रहे हैं. हालांकि, इस मामले में प्रधानाध्यापक या विभाग के कोई भी कर्मी कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं, परंतु हकीकत यह है कि यदि निष्पक्ष जांच हो तो करोड़ों रुपये बंदरबांट करने के मामले सामने आ सकते है. निवर्तमान कार्यपालक अभियंता ने बिहार शिक्षा परियोजना को लिखे आवेदन में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी गार्गी कुमारी द्वारा बगैर कार्य कराये ही कुबेर ट्रेडर्स के खाते में 10 लाख रुपये भुगतान करने का उल्लेख किया है. उन्होंने आवेदन में बताया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में प्री फैब का कार्य के लिए न तो प्राक्कलन तैयार किया गया और ना ही कोटेशन आमंत्रित किया गया. यहां तक की बिना कार्य आदेश निर्गत हुए ही जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा उक्त कार्य कुबेर ट्रेडर्स को दिया गया और फिर बगैर कार्य कराये राशि की भुगतान भी कर दिया गया, जो सरकारी राशि का दुरुपयोग है. उन्होंने यह भी बताया कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा संवेदक को अधिक फायदा पहुंचाने के लिए अभियंताओं पर दबाव बनाया जाता था. जब ऐसे मामले में हस्ताक्षर करने से मना किया गया, तो उन्होंने विभाग को हम सभी के खिलाफ में प्रतिवेदन उपलब्ध कराया. निवर्तमान कार्यपालक अभियंता द्वारा दिये गये आवेदन के अनुसार कार्यालय उपस्कर की खरीदारी में भी कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा मनमानी की गयी है. उन्होंने आवेदन में बताया है कि कार्यालय में फाइल केबिनेट्स, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, टेबल, कुर्सी, फोटोकॉपी मशीन, कंप्यूटर, स्मार्ट टीवी, जेनेरेटर आदि की खरीद विभागीय गाइडलाइन की अनदेखी कर की गयी है. उन्होंने बताया कि सामग्री की खरीद को लेकर न तो क्रय समिति से अनुमोदन प्राप्त किया गया और न ही विभिन्न एजेसियों से कोटेशन प्राप्त किया गया है. इतना ही नहीं कार्यालय के पुराने जनरेटर की बिक्री भी बगैर किसी अनुमति के की गयी. उन्होंने जिला टास्क फोर्स व कार्यकारी समिति की बैठक नहीं किये जाने तथा सामग्री की खरीद में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया है. बिहार शिक्षा परियोजना के प्रशासी पदाधिकारी शाहजहां ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा लगाये गये आरोप की जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा है. विभाग से प्राप्त पत्र के आलोक में डीएम श्रीकांत शास्त्री द्वारा योजनाओं की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया गया है, जिसमें वरीय उप समाहर्ता रत्ना प्रियदर्शनी व भवन प्रमंडल के सहायक अभियंता जीशान कादिर शामिल है. हैरत की बात तो यह है कि डीएम द्वारा 11 जुलाई को पत्र जारी कर एक सप्ताह के अंदर जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दोनों अधिकारियों को दिया गया है, परंतु 15 दिन बीत जाने के बाद एवं समाचार प्रेषण तक योजनाओं की जांच नहीं की गयी है. डीएम के निर्देश पर भी टीम के अधिकारी योजनाओं का जांच क्यों नहीं करना चाह रहे हैं यह भी एक जांच का विषय है. निवर्तमान कार्यपालक अभियंता तबरेज आलम ने डीएम को आवेदन लिखकर बताया कि योजना को लेकर वित्तीय अनियमितता को छिपाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में प्री फैब का कार्य तेजी से कराया जा रहा है, जिसका भुगतान पहले ही कर दिया गया है. उन्होंने योजना को लेकर नोट केम से अलग-अलग लिये गये फोटोग्राफ भी डीएम को उपलब्ध कराया है. उन्होंने बताया की वित्तीय अनियमितता को छिपाने के लिए जांच की प्रक्रिया में देर की जा रही है, ताकि इस बीच कार्य का लीपा पोती कर दिया जाये और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी कार्रवाई से बच सके. पता चला है कि उक्त कार्य अंतिम चरण में है. वैसे तबरेज आलम ने पत्र की प्रति शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को भी उपलब्ध कराने की बात बतायी है. डीएम द्वारा जांच टीम में शामिल वरीय उप समाहर्ता रत्ना प्रियदर्शनी ने बताया कि उनकी तबीयत खराब हो गयी थी. इस वजह से जांच नहीं कर सकी. एक-दो दिन के भीतर जांच कर रिपोर्ट समर्पित किया जायेगा. वैसे संभावना है कि आज ही यानी सोमवार को दूसरे हाफ में जांच करने जा सकती हूं. जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि कुबेर ट्रेडर्स के भुगतान मामले की जांच होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी. इस पर नजर है. हालांकि पहले तो डीइओ ने मामले से अनभिज्ञता जाहिर की. अंतत: उन्होंने जांच की बात कही. कुबेर ट्रेडर्स को बिना कार्य कराये 10 लाख रुपये का भुगतान करने के मामले में आरोपों के घेरें में आयी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी गार्गी कुमारी से उनके मोबाइल पर जब पक्ष जानने का प्रयास किया गया, तो उनके पति ने फोन रिसिव किया और कहा कि उनकी तबीयत खराब है. पटना में उनका इलाज चल रहा है.

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