30 साल मजदूरी करके बेटे को बनाया ऑफिसर, पेश की मिसाल
आज उनके बच्चे कामयाब हैं.
शुभाशीष पांडेय, औरंगाबाद
मन में विशाल इच्छा शक्ति व हौसला हो तो इंसान अपनी कड़ी मेहनत के बदौलत अपना भविष्य संवार सकता है. आज एक मई यानी मजदूर दिवस है. मजदूर दिवस पर कुछ ऐसे श्रमिकों की सफलता की चर्चा हो रही है जिन्होंने अपने बच्चों का भविष्य उज्ज्वल कर उन्हें मुकाम पर पहुंचाया है. वे खुद मजदूरी कर किसी तरह घर चलाते थे, लेकिन पढ़ाई का मोल जानते थे, इसलिए अपने बेटों को मजदूरी से दूर रखते हुए पढ़ाया, लिखाया. आज उनके बच्चे कामयाब हैं.
अपना जीवन तो ईंट पत्थर में बीता, बेटे को कुछ जरूर बनायेंगेपहली कहानी है आर्थिक तंगी के सामने हिम्मत नहीं हारने वाले औरंगाबाद के महुआ शहीद निवासी 61 वर्षीय प्रेम चौधरी की है. प्रेम चौधरी बीते 30 वर्षों से मजदूरी व राजमिस्त्री का काम कर रहे हैं. वे आसपास के गांवों में मकान निर्माण कार्यों में मजदूरी करते हैं. प्रेम बताते हैं कि जब वे पिता बने तो एक ही ख्याल मन में आया की उनका जीवन तो ईंट और पत्थर उठाने तक ही सीमित रहा, लेकिन वे अपने बच्चे को कुछ न कुछ जरूर बनायेंगे. इसके लिए सबसे जरूरी था बच्चे को पढ़ाना. बच्चे की पढ़ने के लिए सारे साधन उपलब्ध कराये. अपने बेटे को पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. बच्चों की पढ़ाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. इसमें उनकी पत्नी शांति देवी ने उनका भरपूर सहयोग किया. उसका नतीजा हुआ कि उनके पुत्र पप्पू कुमार ने जमकर मेहनत किया और उनका चयन सामान्य प्रशासन विभाग सचिवालय पटना में सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के रूप में हुआ. उनकी सफलता से समाज मे उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी है. आज पूरा परिवार बेहद खुश है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है