औरंगाबाद/मदनपुर. पिछले पांच दिनों से प्रचंड लू के साथ गर्मी का कहर जारी है. पानी के लिए हाहाकार मची है. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक लोग पानी के लिए तरस रहे है. बिजली की आंख मिचौली ने परेशानी और बढ़ा दी है. औरंगाबाद जिले का पारा 48.2 को भी पार कर गया. गुरुवार को 47 डिग्री पारा दर्ज किया गया. बड़ी बात यह है कि प्रचंड लू से मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पंक्षी भी परेशान हैं. पानी के लिए जंगल से भटक कर पशु मैदानी इलाके में पहुंच रहे है. ऐसे में उनके जान पर खतरा भी मंडराने लगा है. मौसम विभाग की माने तो तीन से चार दिन अभी और लू से लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. वैसे औरंगाबाद लू से प्रभावित जिलों में शामिल है. पिछले चार दिनों की बात की जाये, तो पारा 45 से 48 के बीच झूलता रहा. इधर अस्पतालों में लू से प्रभावित लोगों की भीड़ लगी हुई है. इलाज के लिए लोग कतारबद्ध है. सदर अस्पताल में हर दिन 200 से 300 लोग लू की चपेट में आने के बाद इलाज कराने पहुंच रहे है. बंदरों ने चापाकल के पानी से बुझायी प्यास चापाकल पर प्यास बुझाने के लिए पहुंचे बंदरों की झुंड से पानी की स्थिति का पता चलता है. जंगल व पहाड़ी इलाके में तमाम तालाब, नाले सहित अन्य जलस्रोत सूख चुके है. ऐसे में जंगली जानवर मैदानी इलाकों की ओर रूख कर रहे है. मदनपुर प्रखंड के उमगा मंदिर के समीप चापाकल पर अचानक बंदरों का झुंड पहुंच गया. पास के ही एक व्यक्ति ने बिना भय के चापाकल को चलाकर बंदरों की प्यास बुझायी. अचानक गौशाला में पहुंचा हिरण मदनपुर प्रखंड के जंगल तटीय इलाके से पानी की खोज में भटकता हुआ एक हिरण पड़रिया गांव स्थित एक गौशाला में पहुंच गया. हिरण को नुकसान पहुंचने की आशंका को देखते हुए ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी. वनपाल बैजनाथ सिंह, वनरक्षी मिथलेश कुमार व विमलेंद्र कुमार वहां पहुंचे और कैंपर से हिरण को वन कार्यालय ले गये. पशु चिकित्सक से हिरण का इलाज कराया गया. वनकर्मियों ने बताया कि हिरण प्यास से छटपटा रहा था. प्यास लगी तो कुएं में कूद गयी निलगाय दक्षिणी उमगा पंचायत के शिवनगर के बधार में स्थित एक कुएं में नीलगाय गिर गयी. जानकारी मिली कि पानी की तलाश में जंगल से भटक कर निलगाय शिवनगर पहुंच गयी और कुएं में पानी देख उसमें कूद गयी. निलगाय की प्यास तो बुझ गयी, लेकिन उसकी जान पर बन आयी. कुछ लोगों को जब जानकारी मिली तो वन विभाग को सूचना दी.वन विभाग की टीम पहुंची और कुएं से निलगाय को निकालकर पहले इलाज करायी, फिर जंगल में छोड़ दी.
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