शहर में नहीं हो रहा नो इंट्री का पालन, बेरोकटोक घुसते हैं ट्रैक्टर व ट्रक

40 फुट चौड़ी सड़क पूरी तरह अतिक्रमण का शिकार हो चुकी

By Prabhat Khabar News Desk | April 12, 2024 10:38 PM

औरंगाबाद कार्यालय. औरंगाबाद शहर में 40 फुट चौड़ी सड़क पूरी तरह अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है. इसके कारण मुख्य बाजार पथ पुरानी जीटी रोड और महाराजगंज रोड में जाम नियती बन गयी है. पौ फटते ही बाजार की सड़क पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो जाता है. सुबह नौ बजे से रात नौ बजे के बीच शहर की दोनों सड़कों से गुजरने वाला हर व्यक्ति जाम से कराह उठता है. सबसे बड़ी बात यह है कि शहर में नो इंट्री का पालन नहीं होता. कहने को तो नो इंट्री का आदेश जारी किया गया है, पर इस आदेश का पालन करता कोई नहीं दिखता. भारी वाहन बेरोकटोक गुजरते है. सबसे अधिक परेशानी सुबह 11 बजे से तीन बजे के बीच होती है. तमाम प्राइवेट स्कूलों की बसे छुट्टी के बाद जब मुख्य बाजार से गुजरती हैं, तो स्थिति और खराब हो जाती है. मनमानी जाम का बड़ा कारण धरनीधर मोड़ से लेकर रमेश चौक तक जाम का नजारा हर दिन भयावह होता है. इसके पीछे लोगों की मनमानी कारण है. किसी को बाजार में शॉपिंग करना हो, तो बीच सड़क पर चारपहिया लगाकर आराम से किसी दुकान में बैठ जाते हैं. किसी से बात करना हो, तो बीच सड़क पर वाहन पर बैठे ही बात करने लगते हैं. हर दिन बाजार पथ में 10 से 15 गाड़ी यूं ही सड़क पर खड़ी दिखती है और लोग उसके आगे-पीछे मशक्कत करते दिखते है. ऐसे रइसों को आम लोगों की चिंता व जाम से कोई सरोकार नहीं होता है. सरकारी बाबू या उनके परिवार के सदस्य भी बीच सड़क पर वाहन खड़े कर शॉपिंग करने में व्यस्त रहते हैं. अनियंत्रित ऑटो परिचालन पर कब लगेगी रोक औरंगाबाद शहर का मुख्य बाजार पथ ही नहीं, बल्कि महाराजगंज रोड भी हर दिन जाम के हवाले होता है. ओवरब्रिज के समीप हर दिन घंटों आम लोगों व यात्रियों को जाम से गुजरना पड़ता है. अब तो मुहल्लों की सड़कें भी जाम की चपेट में आ रही है. इन सबके पीछे अनियंत्रित ऑटो परिचालन भी एक कारण है. औरंगाबाद शहर में दो हजार से अधिक ऑटो है. इसका परिचालन ओवरब्रिज से धर्मशाला चौक तक किया जाता है. वैसे भी शहर का यह प्रमुख बाजार सड़क है. ऑटो चालक लापरवाही के साथ ऑटो चलाते है. इन्हें किसी का भी भय नहीं रहता. कब तक होगी खानापूर्ति, क्यों नहीं निभा रहे जवाबदेही जिला मुख्यालय के मुख्य बाजार पथ से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई अब तक खानापूर्ति ही साबित हुई है. महीने में दो-चार बार अभियान चलाया जाता है. कुछ देर के लिए शहरी व्यवस्था बेहतर हो जाती है, लेकिन अभियान समाप्त होते ही स्थिति वही उत्पन्न हो जाती है. कई बार जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया गया. नगर पर्षद के कुछ कर्मी अतिक्रमण हटाने निकलते भी है, लेकिन इसका असर नहीं हो रहा है. सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक यह खानापूर्ति होगी और संबंधित अधिकारी अपनी जवाबदेही क्यों नहीं निभा रहे है. ऑटो परिचालन पर नियंत्रण से सुधर सकती है आधी स्थिति शहरी बाजार में सड़क जाम का मुख्य कारण बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था और अनियंत्रित ऑटो परिचालन को माना जाता है. दो हजार से अधिक ऑटो का परिचालन हर दिन होता है. रूट निर्धारण नहीं होने की वजह से स्थिति बेकाबू हो गयी है. ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ट्रैफिक थाने बहाल किये गये है, लेकिन इसका कुछ खास असर नहीं दिख रहा है. अगर ऑटो परिचालन पर नियंत्रण स्थापित किया जाता है तो आधे से ज्यादा स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

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