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कोयल नहर के भरोसे धान की रोपाई संभव नहीं, खेतिहर हताश

भगवान भरोसे रह गयी खेती, आंदोलन के मूड में किसान, धरना-प्रदर्शन होगा शुरू

औरंगाबाद/कुटुंबा. धान रोपने का प्रमुख पुनर्वस नक्षत्र बीत रहा है. अब तक जिले के दक्षिणी क्षेत्र में धान की रोपनी शुरू नहीं हुई है. इक्के-दुक्के साधन-संपन्न किसान इलेक्ट्रिक मोटर के सहारे धान की रोपनी कर रहे है. जिनके पास अपना कोई साधन नहीं है, वे आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं. हालांकि फिलहाल मौसम अनुकूल है, पर खेतों की जुताई करने लायक मूसलाधार बारिश नहीं हो रही है. इधर, प्रखंड की सारी नदियां सूखी हुई है. जिले के हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचित करने वाली उत्तर कोयल नहर खुद पानी के लिए तरस रही है. अब तक किसी भी वितरणी और उप वितरणी का अंतिम छोर तक टेस्टिंग नहीं किया गया है. कोयल नहर के तटबंधों में उभरे दरारों से पानी लिक कर जा रहा है. इस बार कोयल नहर के भरोसे धान की रोपाई संभव प्रतीत नहीं हो रही है. ऐसे जल संसाधन विभाग के अधिकारी तटबंधों की मरम्मत कराने में लगे हुए है. हालांकि, उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. इसके बावजूद भी ससमय नहर कंप्लीट नहीं हो रहा है. इधर, संजय सिंह, अजीत कुमार, मनोज सिंह, विकास कुमार, उदय साव, लखन यादव, सुदर्शन सिंह आदि किसान बताते हैं कि रोहिणी नक्षत्र में तैयार की गयी नर्सरी में बिचड़ा खराब हो रहा है. अब तक नहरी क्षेत्रों में मास लेबल पर रोपनी शुरू हो जाना चाहिए था. ऐसे स्थिति में किसान हताश हैं. अब उन्हे भगवान पर ही भरोसा रह गया है. जानकारी के अनुसार 30 जून को भीम बराज मोहम्मदगंज से कोयल नहर में डिस्चार्ज किया था. अब तक किसी भी खेत को पानी नसीब नहीं हुई है. प्रखंड क्षेत्र के किसान नहर के पानी के लिए आंदोलन का मुड बना रहे है. पूर्व मुखिया योगेंद्र सिंह ने बताया है कि अगर तीन दिनों के अंदर नहर को रेगुलर नहीं किया गया तो बाध्य होकर धरना-प्रदर्शन शुरू किया जायेगा. झारखंड के भीम बराज में पर्याप्त पानी रहने के बावजूद वितरणिया सूखी रह रही है. यह चिंता का विषय है. इधर कई लोग कोयल नहर पर राजनीति करने लगे हैं. हालांकि, उन्हें पूरी जानकारी नही हैं. वहीं अधिकारी भी हकीकत बताने से परहेज करते है. ऐसे चर्चा है कि मौसमी मजदूर पिछले साल की अपेक्षाकृत काफी कम हो गये हैं. सृजित पद के अनुरूप विभाग में एई व जेई नहीं है. टूटे हुए तटबंधों को तत्काल दुरूस्त करने की आजादी अधिकारियों को नहीं है. इसके लिए जल संसाधन विभाग के स्तर से संवेदक चिह्नित किये गये है. इसमें दो-चार छोड़कर सब बाहर के हैं. जो स्थानीय भी हैं वे छोटी-मोटी मरम्मत कार्य ससमय करने को तैयार नहीं हो रहे है. विदित हो कि अब तक मेन कैनाल के झारखंड पोरसन में 91आरडी और नवीनगर के 124 तथा 140 आरडी के समीप कोयल नहर के छिद्र से पानी लिकेज होने से तटबंध क्षतिग्रस्त हुआ है. इधर, मंगलवार को अंबा डिवीजन के अंतिम छोर के 199 आरडी के समीप पंपिंग होने से डिस्चार्ज प्रभावित हुआ है. एसी अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि उत्तर कोयल नहर के अधिनस्थ क्षेत्रों में समुचित सिंचाई व्यवस्था बहाल रखने के लिए जल संसाधन विभाग हर संभव प्रयास कर रही है. फिलहाल किसानों के साथ-साथ अधिकारी व कर्मी को भी परेशानी हो रही है, जिसे दो-तीन दिनों के अंदर ठीक कर लिया जायेगा. विभाग किसान हित में लगातार कार्य कर रहा है. ऐसे भी बहुत हीं जल्द नहर का अनवरत संचालन शुरू कर दिया जायेगा.

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