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पीपल व बरगद जैसे पुराने पेड़ों को विरासत पेड़ के रूप में मिलेगी पहचान

पर्यावरण एवं वन मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की बैठक, दिये निर्देश

औरंगाबाद शहर. जिले में पुराने व बड़े पेड़ों को विरासत पेड़ के रूप में पहचान मिलेगी. इसमें पीपल, पाकड़, बरगद, नीम, चह, जंगली जलेबी, सिरिस, शीशम, जामुन, आम आदि शामिल है. इस दिशा में वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा कवायद की जा रही है. मंगलवार को सूबे के पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभाग के पदाधिकारियों व कर्मियों के साथ बैठक की. बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकारी रूचि सिंह, जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सह जिला पार्षद गायत्री देवी, जैव विविधता प्रबंधन समितियों के सदस्य एवं वन विभाग के वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, वनपाल एवं वनरक्षी शामिल हुए. जिले के सभी प्रखंडों में इस बैठक का आयोजन किया गया जिसमें जैव विविधता प्रबंधन समिति के सदस्य शामिल हुए. मंत्री द्वारा विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और वनीकरण को बढ़ावा दिये जाने पर जोर दिया. मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि जैव विविधता के सदस्यों की भूमिका अहम है. उन्होंने कृषि वानिकी, पशु एवं अन्य उत्पादन व्यवस्था में जैविक विविधता, प्राकृतिक वन क्षेत्रों में जैव विविधता से संबंधित सुझाव दिये. जैव विविधता के विभिन्न वनस्पति, पेड़-पौधे, जड़ी-बुटी, घास की स्थानीय प्रजातियों की विविधता किसी भी भू-भाग में भौगोलिक परिवेश के अनुरूप प्राकृतिक अवस्था में जीव-जंतुओ में वन्य जीवों की विविधता, पक्षियों की विविधता, जलीय जंतुओं की विविधता, कीड़े-मकोड़े एवं सूक्ष्म जीवों की विविधता का महत्व बताया. कहा कि हमसभी को प्राकृतिक वनाच्छादन का संरक्षण तथा वृक्षारोपण का संरक्षण एवं संवर्धन करना है. जड़ी-बुटी की खेती व बागवानी को प्रोत्साहित करना, कृषि वानिकी को प्रोत्साहित करना तथा जड़ी-बुटी तथा अन्य वनस्पतिक तथा जैविक उत्पाद के प्राकृतिक स्थलों से निष्कासन और व्यापार को अपने संज्ञान में लेकर उन्हें जैव विविधता अधिनियम के अंतर्गत बिहार राज्य जैव विविधता पार्षद के माध्यम से अपने विनिमयन में लाना है. इस प्रकार के विनियमन से स्थानीय जैव विविधता प्रबंधन समिति को ऐसे व्यापार से लाभांश में हिस्सा मिल सकता है. मंत्री द्वारा कई अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा की गयी और निर्देश दिये गये.

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