औरंगाबाद कार्यालय. औरंगाबाद का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान मदरसा इस्लामिया विवादों में पड़ता दिख रहा है. आरोप-प्रत्यारोप के साथ-साथ अनियमितता व लूट खसोट का दौर शुरू हो गया है. मदरसा के अध्यक्ष, सचिव और प्रिंसिपल आमने-सामने आ गये है. मदरसा इस्लामिया के प्रिंसिपल मो वहाजुद्दीन अख्तर के खिलाफ मामला डीएम के पास पहुंचा है. मदरसा इस्लामिया इंतेजामिया कमेटी के अध्यक्ष मो सबीर हुसैन और सचिव शरीफ आलम ने डीएम को आवेदन देकर प्रिंसिपल पर घोर अनियमितता और लूट-खसोट का आरोप लगाया है. सचिव ने कहा है कि उन्होंने सचिव की हैसियत से मदरसा इस्लामिया का औचक निरीक्षण किया, जिसमें अनियमितता एवं लूट-खसोट पाया गया. विद्यालय के प्रिंसिपल द्वारा वस्तानिया, फौकानिया, मौलवी, आलिम व फाजिल के एडमिशन व परीक्षा फार्म में वास्तविक शुल्क से अधिक शुल्क वसूला जा रहा है. प्रिंसिपल के सर्टिफिकेट में त्रुटि है, जिसकी जांच उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा करायी जाये. सीनियर शिक्षक के रहते हुए भी जूनियर को प्रिंसिपल बना दिया गया. विद्यार्थियों की संख्या ऑन रजिस्टर अधिक है, लेकिन विद्यार्थियों की उपस्थिति 10 के भीतर ही रहती है. प्रतिदिन 100 से 125 विद्यार्थियों के मिड डे मील के खाने का रुपया एनजीओ से लेते है. यह भी कहा है कि प्रिंसिपल द्वारा अवैध ट्रस्ट का निर्माण और निबंधन कराया गया. मदरसा इस्लामिया के प्रांगण में लाइब्रेरी के लिए फंड आवंटित किया गया था, लेकिन प्रिंसिपल और पूर्व कमेटी की मिलीभगत से दुकान में तब्दील कर बिक्री कर दिया गया. आवेदन में अध्यक्ष, सचिव के अलावा कुछ अन्य लोगों ने भी हस्ताक्षर किया है. अध्यक्ष व सचिव द्वारा लगाये गये आरोप को प्रिंसिपल वहाजुद्दीन अख्तर ने गलत करार दिया है. उन्होंने कहा कि बिना सत्यापन का वे थोड़े ही नौकरी कर रहे है. 17 वर्षों से वह नौकरी में है. वर्ष 2013 से प्रिंसिपल है. मदरसा के तहत मदरसा मार्केट भी है. लगभग 200 दुकानों से एक लाख 75 हजार की वसूली सचिव द्वारा की जाती है. इसमें वे पौने दो पैसे भी मदरसा को नहीं देते है. शैक्षणिक परिसर को दुकान के नाम पर बेचने की फिराक में है. करोड़ों का सौदाबाजी हुआ है. इसका विरोध किया, तो उन्हें परेशानी हो रही है. प्रिंसिपल ने कहा कि उन्होंने अनुमंडल कोर्ट में रोक लगाने के लिए आवेदन दिया है. वक्फ बोर्ड का ध्यान दिलाया गया है. सीएम से मिलकर करतूत उजागर करेंगे.
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