दाउदनगर. दाउदनगर महाविद्यालय, दाउदनगर के प्रेमचंद सभागार में वन महोत्सव सप्ताह के दूसरे दिन ‘वन संरक्षण : पृथ्वी पर टिकाऊ जीवन’ विषय पर व्याख्यान कराया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की ओर से किया गया. अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राचार्य डॉ ज्योतिष कुमार ने विषय प्रवेश कराते हुए वन महोत्सव सप्ताह का संक्षिप्त इतिहास बताते हुए कहा कि वन महोत्सव सप्ताह की शुरुआत 1950 के दशक में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री केएम मुंशी द्वारा की गयी थी. जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में वनों के प्रतिशत को बढ़ाकर धरती को हरा- भरा करना है. वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुमित कुमार मिश्रा ने वन संरक्षण व पृथ्वी पर टिकाऊ जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में वनों की हो रही अंधाधुंध कटाई और गैर कानूनी व्यापार ने वनोन्मूलन की गंभीर समस्या पैदा कर दी है, जिसका दु:प्रभाव धरती की निरंतर बढ़ता तापमान है. धरती की निरंतर बढ़ते तापमान को कम करने तथा सभी जीवों के अस्तित्व के रक्षार्थ बड़े पैमाने पर पौधारोपण करना चाहिए, जिसमें सरकार के साथ-साथ स्थानीय लोगों की जागरुकता भी जरुरी है. कॉलेज के बीए सेमेस्टर दो के विद्यार्थियों शंभु कुमार एवं मनीष कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये. अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी एवं भूगोल विभाग के सहायक प्राचार्य डॉ देव प्रकाश ने सतत विकास की संकल्पना को समझाते हुए कहा कि यद्यपि सतत विकास की संकल्पना की पहली चर्चा 1987 के ब्रंटलैंड रिपोर्ट के हमारा साझा भविष्य में हुई. तथापि यह संकल्पना भारतीय साहित्यों में सैधांतिक रूप से तथा परंपराओं में व्यावहारिक रुप से सदियों चली आ रही है. अत: जरुरी है कि आधुनिक विज्ञान और प्राचीन भारतीय ज्ञान के बीच समन्वय स्थापित कर सतत विकास के लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है. उन्होंने एनएसएस द्वारा कॉलेज होने वाली आगामी गतिविधियों की भी चर्चा किया. संचालन हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो आकाश कुमार ने किया. धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अभिषेक भक्त ने किया. मौके पर डॉ सुमन शेखर, प्रो शशांक मिश्रा, डॉ इंदुभूषण प्रसाद, डॉ रवीन्द्र कुमार, डॉ हादी सरमदी, मंजु कुमार सोरेण व शिक्षकेतर कर्मी संतोष कुमार, उदय प्रकाश, देवेंद्र कुमार, सुमित कुमार, नरेश कुमार सिन्हा, प्रवीण कुमार, बब्लु कुमार व अमानुल्लाह उपस्थित थे.
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