प्लेस ऑफ सेफ्टी औरंगाबाद का प्लेस ऑफ सेफ्टी अक्सर विवादों में रहता है. यहां पर पदस्थापित कर्मचारी भी अपनी हरकतों से सुर्खियों में आ जाते है. व्यवस्थाएं कभी कुव्यवस्था में बदल जाती है, जिसकी वजह से बाल बंदियों में नाराजगी भी बढ़ जाती है. लगातार अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किये जाने के बाद भी यहां की व्यवस्था में बदलाव नहीं आ रहा है. एक बार फिर प्लेस ऑफ सेफ्टी में अनियमितताओं का पिटारा खुला है.
प्लेस ऑफ सेफ्टी का औचक निरीक्षण किया
गुरुवार को किशोर न्यायालय के प्रधान दंडाधिकारी सुशील प्रसाद सिंह जब अनियमितताओं की शिकायत पर अपने साथियों के साथ बभंडीह स्थित प्लेस ऑफ सेफ्टी का औचक निरीक्षण किया तो अनियमितताओं का पिटारा खुला हुआ मिला. किशोर न्याय बोर्ड औरंगाबाद के पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि निरीक्षण के क्रम में बहुत सारी खामियां पाई गई . मेन्यु के अनुसार भोजन नहीं बना था,भोजन तीन टाईम के बजाय दो टाईम दिया जा रहा है. गुरुवार को भी बीस किशोरों को भोजन नहीं मिल पाया था.
फ्रिज किसी कर्मचारी के घर
प्लेस ऑफ सेफ्टी का फ्रिज किसी कर्मचारी के घर में चला गया, यानी सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ायी गयी. बच्चों को जितना कपड़ा मिलना चाहिए उतना नहीं दिया जा रहा है. कुछ कर्मी अनुपस्थिति पाए गए. डॉक्टर भी अनुपस्थिति थे. साफ सफाई नगण्य पायी गयी. कुछ बच्चों द्वारा शिकायत की गयी कि उनसे ही साफ-सफाई करायी जाती है. बच्चों ने बताया कि कुछ कारणों से उन लोगों ने कुछ दिन पहले हड़ताल भी किया था.
कुछ माह पहले दर्जनों बच्चे फरार हो गये थे
प्रधान दंडाधिकारी के समक्ष बच्चो ने कई तरह की लिखित शिकायतें रखी. कहा कि उन्हें यहां परेशान किया जाता है. निरीक्षण के बाद प्रधान दंडाधिकारी ने कहा कि इस मामले का संज्ञान लिया जायेगा. उच्च अधिकारियों को इससे संबंधित ध्यान दिलाया जायेगा और आवश्यक कार्रवाई की जायेगी. बच्चों को आश्वस्त किया गया कि उनकी समस्याओं का समाधान कराया जायेगा. निरीक्षण के दौरान किशोर न्याय परिषद औरंगाबाद के सदस्य प्रवीण कुमार , डॉ गुलाब देवी आदि उपस्थित थे. ज्ञात हो कि प्लेस ऑफ सेफ्टी से कुछ माह पहले दर्जनों बच्चे फरार हो गये थे. इस मामले में अधिकारियों के हाथ –पांव फुल गये थे. जैसे-तैसे बच्चों की वापसी करायी गयी थी. यह भी ज्ञात हो कि कई बार यहां रहने वाले बाल बंदियों ने हंगामा व तोड़फोड़ भी किया था.
क्या है प्लेस ऑफ सेफ्टी
प्लेस ऑफ सेफ्टी एक संस्था है जहां 16 से 18 वर्ष के कैदियों को रखा जाता है. दरअसल 2012 में दिल्ली में हुये निर्भया कांड के बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जेजे एक्ट में संशोधन का बिल लाते हुये सेक्शन 49 के तहत विधि विवादित वैसे लड़के जिनकी उम्र 16 से 18 के बीच है उनको प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखने की सिफारिश की. बिहार में फिलहाल औरंगाबाद के अलावे दो अन्य जिलों में प्लेस ऑफ सेफ्टी संचालित है.