जिला शिक्षा कार्यालय में जांच टीम की होने लगी धमक
खबर छपते ही दो-दो टीमों ने शुरू की जांच
औरंगाबाद कार्यालय. शिक्षा विभाग में कार्य के नाम पर गलत तरीके से किये गये भुगतान के मामले की जांच अब तेज हो गयी है. प्रभात खबर अखबार में खबर छपते ही जांच के लिए प्रतिनियुक्त अधिकारियों की नींद खुली और मंगलवार को जिलाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त दो-दो जांच टीम विभागीय कार्यालय पहुंची. एक जांच टीम में वरीय उप उपसमाहर्ता रत्ना प्रियदर्शनी के साथ भवन प्रमंडल के सहायक अभियंता जीशान कादीर, तो दूसरे जांच दल में वरीय उपसमाहर्ता श्वेता प्रियदर्शी व स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार शामिल थे. हालांकि, वरीय उप समाहर्ता रत्ना प्रियदर्शनी के नेतृत्व में जांच दल सोमवार को भी विभागीय कार्यालय पहुंची थी. पता चला कि सोमवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी भोला कुमार कर्ण द्वारा कोई खास दस्तावेज उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया. खबर छपने के बाद जांच टीम एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों में सनसनी फैल गयी. मंगलवार को एक बार फिर जांच की कार्रवाई की गयी. इस संबंध में जांच टीम में शामिल वरीय उप समाहर्ता रत्ना प्रियदर्शनी ने बताया कि निवर्तमान कार्यपालक अभियंता तवरेज आलम द्वारा लगाए गए आरोप के आधार पर कार्यालय में जांच की गई है. जरूरत के अनुसार अवलोकन के लिए संचिका ली गयी है. अवलोकन के उपरांत जिलाधिकारी को प्रतिवेदन सौंपा जायेगा. इधर, दूसरी टीम में शामिल वरीय उप समाहर्ता श्वेता प्रियदर्शी एवं कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार ने बताया कि सभी बिंदुओं पर जांच की गई है. इस संबंध रिपोर्ट डीएम को सौप जाएगा. निवर्तमान कार्यपालक अभियंता द्वारा डीपीओ गार्गी कुमारी पर कुबेर ट्रेडर्स के खाते में गलत तरीके से दस लाख भुगतान किये जाने से संबंधित आवेदन विभाग को दिया गया है. उन्होंने कार्यालय में कई सामग्रियों की खरीदारी भी नियमों को ताक पर रखकर करने का आरोप लगाया है .उनके द्वारा लगाये गये आरोप के आधार पर जांच की जिम्मेदारी डीएम द्वारा उप समाहर्ता रत्ना प्रियदर्शनी एवं सहायक अभियंता जीशान कादीर को दी गयी थी. डीएम ने जांच की प्रक्रिया पूरी कर सात दिन के अंदर प्रतिवेदन की मांग की थी. परंतु अधिकारियों द्वारा समय पर जांच की प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी. मामले को लेकर निवर्तमान कार्यपालक अभियंता ने डीएम को पुन: आवेदन देकर बताया था कि साक्ष्य छिपाने के लिए जांच में विलंब की जा रही है. उन्होंने नोट कैंप से फोटो लेकर डीएम को साक्ष्य के रूप में फोटोग्राफ उपलब्ध कराया है. इस मामले में जांच के लिए जिलाधिकारी द्वारा श्वेता प्रियदर्शी के नेतृत्व में दूसरी टीम का गठन किया गया. जांच की कार्रवाई पूरी कर ली गयी है. अब देखना यह है कि जांच टीम द्वारा मामले को लेकर क्या रिपोर्ट सौंपा जाता है.
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